एपल की बड़ी मुश्किलें: पहले मुकदमा दायर, अब शेयर बाजार में तगड़ा झटका, एक ही दिन में गंवाए 113 अरब डॉलर
नई दिल्ली। आईफोन बनाने वाली कंपनी एपल की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। पहले एपल पर उपभोक्ताओं और छोटी कंपनियों को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगा और अब शेयर बाजार में बड़ा झटका लगा है।
दरअसल, अमेरिकी सरकार ने एपल पर एंटीट्रस्ट कानूनों का उल्लंघन करने का मुकदमा दायर किया है। अमेरिकी न्याय विभाग और 16 स्टेट अटॉर्नी जनरल ने गुरुवार को एपल के खिलाफ एक एंटीट्रस्ट मुकदमा शुरू किया है। वहीं, यूरोप में कंपनी को इस बारे में जांच का सामना करना पड़ रहा है कि क्या वह क्षेत्र के डिजिटल बाजार अधिनियम का अनुपालन कर रही है।
भारत में पिछले एक दशक में मोबाइल का उत्पादन तेजी से बढ़ा है। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-दिसंबर के दौरान अमेरिका को भारत का स्मार्टफोन निर्यात बढक़र 3.53 अरब डॉलर हो गया था, जो वित्त वर्ष 2022-23 की समान अवधि में 99.8 करोड़ डॉलर था। हालांकि, अब गुरुवार को एपल कंपनी के शेयर 4.1 फीसदी फिसल गए। इससे एक ही दिन में कंपनी के बाजार मूल्य में करीब 113 अरब डॉलर की गिरावट दर्ज की गई।
यह पहली बार नहीं है जब एपल किसी जांच के घेरे में आया है। कंपनी और उससे जुड़े लोग वर्षों से प्रतिस्पर्धियों को दबाकर खुद को लाभ पहुंचाने जैसे आरोपों का सामना कर रहे हैं। हालांकि, जैसे-जैसे एपल के उत्पाद अधिक लोकप्रिय हुए हैं और दुनिया भर में दैनिक जीवन का एक हिस्सा बन गए हैं, तब से प्रशासन भी इसके प्रति सतर्क हो गया है।
एपल ने एंटीट्रस्ट लॉ का उल्लंघन कई नीतियों को रिस्ट्रिक्ट और कंपटीशन को रोककर किया है, जो अन्य कंपनियों को डिजिटल वॉलेट जैसे अपने प्रोडक्ट को कंपटीट करने वाले एप्लिकेशन पेश करने से रोकती है। इससे संभावित रूप से आईफोन का मूल्य कम हो जाता।
न्यू जर्सी डिस्ट्रिक्ट के लिए अमेरिकी जिला न्यायालय में दायर मुकदमे के अंश के अनुसार, एपल के कार्यों से उपभोक्ताओं और उसकी सेवाओं के साथ कंपटीशन करने वाली छोटी कंपनियों को नुकसान होता है। सरकार का दावा है कि एपल के इस आचरण ने पिछले कुछ वर्षों में उसके स्मार्टफोन एकाधिकार को मजबूत किया है, जिससे अनुचित लाभ हुआ है। मुकदमे के केंद्र में एपल का प्रमुख उत्पाद आईफोन है। आलोचकों का तर्क है कि एपल अपने डिवाइस पर यूजर्स एक्सपीरिएंश को सख्ती से कंट्रोल करता है। अपने ही प्रोडक्ट और सेवाओं को कंपटीटर्स से अधिक तरजीह देता है। जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी लॉ स्कूल में एंटीट्रस्ट प्रोफेसर बिल कोवासिक ने कहा कि एक साथ कई मामले सामने आने पर कंपनी को नुकसान होना तय होता है। कंपनी मुकदमे जीत भी जाती है, तब भी वह दूसरी तरीके से हार चुके होंगे।
एपल ने अमेरिकी जिला न्यायालय में दायर मुकदमे को गलत बताया। साथ ही चेतावनी दी की इस कार्रवाई से कंपनी की इन्वोशन की क्षमता को खतरा होगा। इसके अलावा, प्रौद्योगिकी डिजाइन में सरकारी हस्तक्षेप करना एक खतरनाक मिसाल कायम कर सकती है। कंपनी ने कार्रवाई के खिलाफ सख्ती से बचाव करने की कसम खाई। हालांकि, कंपनी ने यूरोपीय जांच पर कुछ नहीं कहा।