लाल किला कार धमाके की जांच में बड़ा खुलासा, ट्रांजैक्शन शुरू से अंत तक निकला फर्जी

ईडी की तरफ से अलफलाह यूनिवर्सिटी को लेकर एक बड़ा खुलासा किया गया है. ये मरे हुए हिंदुओं की जमीन के फर्जी डॉक्यूमेंट्स के आधार पर जवाद अहमद सिद्दीकी की संस्था को बेच दी गई थी.

4पीएम न्यूज नेटवर्क: ईडी की तरफ से अलफलाह यूनिवर्सिटी को लेकर एक बड़ा खुलासा किया गया है. ये मरे हुए हिंदुओं की जमीन के फर्जी डॉक्यूमेंट्स के आधार पर जवाद अहमद सिद्दीकी की संस्था को बेच दी गई थी. ये हिंदू दिल्ली के मदनपुर खादर के थे. जांच में सामने आया कि फर्जी GPA और Al-Falah से जुड़े फाउंडेशन ने जमीन खरीदी.

दिल्ली में लाल किले के सामने हुए कार धमाके किताब सीधे तौर पर अलफलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े हैं. अब अलफलाह यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर जवाद अहमद सिद्दीकी से जुड़ा हुआ एक बड़ा खुलासा ED ने किया है जिसमें सामने आया है. दिल्ली के मदनपुर खादर में मरे हुए हिंदुओं की जमीन को फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जावेद अहमद सिद्दीकी की संस्था को बेचा गया.

ED की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है कि मरे हुए हिन्दू लोगों के नाम पर बनाई गई फर्जी GPA, और Al-Falah से जुड़े फाउंडेशन ने जमीन खरीदी. जांच एजेंसी ने पाया है कि मदनपुर खदर इलाके की खसरा नंबर 792 वाली ज़मीन
को फर्जी दस्तावेज़ों के जरिए बेचा दिखाया गया और आखिर में यह ज़मीन तर्बिया एजुकेशन फाउंडेशन के नाम हो गई. यह फाउंडेशन अल-फलाह यूनिवर्सिटी के चेयरमैन जावद अहमद सिद्दीकी से जुड़ा हुआ है.

मरे हुए लोगों की GPA का किया इस्तेमाल
ED के मुताबिक, इस ज़मीन को बेचने के लिए जो जनरल पावर ऑफ अटॉर्नी (GPA) इस्तेमाल की गई, वह पूरी तरह फर्जी थी. जांच में सामने आया कि GPA में जिन लोगों के दस्तखत या अंगूठे लगे दिखाए गए हैं, उनमें से
कई लोग 1972 से 1998 के बीच ही मर चुके थे. इसके बावजूद GPA पर तारीख 7 जनवरी 2004 लिखी गई है और दिखाया गया है कि मृतक व्यक्तियों ने यह दस्तावेज़ खुद तैयार किया. ED को जिन मौतों का रिकॉर्ड मिला, उनमें इन लोगों के नाम शामिल हैं.

1972 में मौत नथू

1991 में मौत हरबंस सिंह

1993 में मौत हरकेश

1998 में मौत शिव दयाल

1998 में मौत जय राम शामिल हैं.

इन सभी को GPA में ऐसे दिखाया गया जैसे वे जीवित हों और उन्होंने 2004 में जमीन बेचने की अनुमति दी
हो. फर्जी GPA को विनोद कुमार के नाम पर बनाया गया. जांच में पता चला कि इसी GPA के आधार पर विनोद
कुमार ने आगे ज़मीन बेच दी. जिनके नाम पर ज़मीन थी, उनमें मृतक व्यक्ति भी शामिल थे, लेकिन दस्तावेज़ों
में उन्हें को ओनर बताकर उनकी हिस्सेदारी भी बेच दी गई.

फर्जी GPA के नौ साल बाद, 27 जून 2013 को एक रजिस्टर्ड सेल डीड तैयार की गई. इस सेल डीड में ज़मीन की कीमत ₹75 लाख दिखाई गई , जबकि आप है की जमीन की कीमत उसे वक्त करीब ढाई से 3 करोड़ रुपए थी. खरीदार के तौर पर तर्बिया एजुकेशन फाउंडेशन का नाम है और बेचने वाले के तौर पर विनोद कुमार ने सभी मालिकों की ओर से दस्तखत किए. इसमें उन्हीं मृतक व्यक्तियों के हिस्से भी बेचे गए.

जिन लोगों की ये ज़मीन थी, उनमें एक नाम कुलदीप बिधूड़ी भी है. कुलदीप का कहना है कि ये ज़मीन उनके
खानदान की है. कुलदीप का कहना है कि मारे हुए लोगों के नाम पर ये फर्जीवाड़ा कर ज़मीन बेची. उन्होंने मुकदमा किया जिसके बाद कोर्ट के आदेश पर निर्मांण गिराया गया.

फर्जी साइन कराया गया
वहीं ज़मीन पर मालिकाना दावा करने वाले भगत सिंह बिधूड़ी का कहना है कि उनके हिस्से में 1600 गज जमीन थी, जिसे फ़र्ज़ी साइन कर बेचा गया. उनके हिस्से की ज़मीन प्रेम सिंह, समय सिंह,भगत, जगत, भरत के नाम पर थी और इनके फ़र्ज़ी हस्ताक्षर किए गए.2016 में उन्होंने जवाद अहमद एयर विनोद के खिलाफ मुकदमा किया.

ऐसे ही एक शख्स है धंर्मेन्द्र बिधूड़ी, जिनके परदादा नत्थू सिंह की मौत 1972 में हो गयी, ज़मीन धर्मेंद्र के पिता और फिर 2000 में धंर्मेन्द्र के नाम पर आ गयी लेकिन 2004 में बनी फ़र्ज़ी जनरल पावर ऑफ अटार्नी में नत्थू के साइन है. ED के अनुसार यह पूरा सौदा धोखाधड़ी और जालसाजी पर आधारित है. ED की जांच में साफ हुआ कि मृत व्यक्ति के नाम पर बनाई गई GPA कानूनी रूप से अमान्य होती है. ऐसे दस्तावेज़ों पर आधारित सेल डीड भी गैरकानूनी मानी जाती है. यानी पूरा ट्रांजैक्शन शुरू से अंत तक फर्जी है.

जांच के मुताबिक, इस फर्जीवाड़े का अंतिम लाभार्थी तर्बिया एजुकेशन फाउंडेशन है,जिसके नाम पर ज़मीन दर्ज कर दी गई. ED का कहना है कि इस फाउंडेशन ने फर्जी GPA और जाली हस्ताक्षरों की मदद से ज़मीन हासिल की. एड अब इस मामले में फर्जी दस्तावेज़ बनाने वालों GPA तैयार कराने वाले दलालों, सेल डीड कराने वाले लोगों और इस सौदे का फायदा उठाने वालों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और धोखाधड़ी के तहत कार्रवाई जारी है.

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