वंदे मातरम की आड़ में अहम मुद्दों से लोगों को भटका रहे मोदी-शाह, संजय सिंह का बड़ा खुलासा!
वंदे मातरम गीत को लेकर सियासी गलियारों में जमकर चर्चा चल रही है। इसे लेकर पक्ष विपक्ष आमने सामने है। आलम ये है की केंद्र में बैठी भाजपा सरकार इस मुद्दे को ढाल बनाकर देश में फैली महंगाई, बेरोजगारी जैसे तमाम अन्य मुद्दों को दबाने की कोशिश कर रही है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: वंदे मातरम गीत को लेकर सियासी गलियारों में जमकर चर्चा चल रही है। इसे लेकर पक्ष विपक्ष आमने सामने है। आलम ये है की केंद्र में बैठी भाजपा सरकार इस मुद्दे को ढाल बनाकर देश में फैली महंगाई, बेरोजगारी जैसे तमाम अन्य मुद्दों को दबाने की कोशिश कर रही है। लेकिन वहीं दूसरी तरफ विपक्ष इसे लेकर भाजपा पर हमलावर है।
हालांकि चर्चा भले ही सदनों में हुई लेकिन इसकी गूँज यूपी में भी खूब उठ रही है। वहीं सदनों में इस विशेष चर्चा के दौरान आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने बीजेपी और आरएसएस पर तीखा हमला बोला। संजय सिंह ने कहा कि वंदे मातरम का नारा लगाने वाले शहीदों की कुर्बानी पर जिनका कोई इतिहास नहीं, वे आज देशभक्ति के ठेकेदार बने घूम रहे हैं। संजय सिंह ने कहा कि सरकार वंदे मातरम की आड़ में असली मुद्दों बेरोजगारी, महंगाई, दलित-पिछड़ों पर अन्याय और देश की आर्थिक लूट से ध्यान भटकाना चाहती है।
संजय सिंह ने कहा कि वंदे मातरम मातृभूमि की वंदना है, लेकिन जो मातृभूमि को बेच रहे हैं, वे उसकी वंदना नहीं, अपमान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार देशभक्ति की बाते करती है लेकिन एक रुपये में अपने मित्र को हजारों एकड़ जमीन और लाखों पेड़ दे देती है। उन्होंने कहा कि रेल, सेल, तेल और देश की जमीन बेचकर मातृभूमि की वंदना नहीं हो सकती। जो लोग देश बेच रहे हैं, वे वंदे मातरम का अपमान कर रहे हैं।
आप सांसद ने कहा कि आरएसएस ने न तो कभी तिरंगा फहराया, न राष्ट्रगान स्वीकार किया और न वंदे मातरम बोला है। 1949 में आरएसएस के अखबार ऑर्गेनाइजर में राष्ट्रगान का विरोध किया गया था। देश के प्रधानमंत्री और बीजेपी को इसके लिए पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए। संजय सिंह ने कहा कि तीन देश भक्त युवकों ने जब आरएसएस मुख्यालय पर तिरंगा फहराया, तो संगठन ने उन्हीं के खिलाफ एफआईआर कर दी और 13 साल तक मुकदमा लड़ा। उन्होंने कहा कि जो तिरंगे और राष्ट्रगान का विरोध करें, वे भारत माता के सच्चे सपूत नहीं हो सकते।
साथ ही संजय सिंह ने आरोप लगाया कि बीजेपी यूपी में SIR फॉर्म के नाम पर करीब 3 करोड़ वोट चोरी करने की तैयारी कर रही है। उन्होंने कहा कि आपने तो वोट की भी चोरी कर ली है। जिस तरह फिल्मों में डाकू जय भवानी बोलकर गांव लूटते थे, बीजेपी वंदे मातरम बोलकर लोकतंत्र लूट रही है। संजय सिंह ने कहा कि बीजेपी सरकार बेरोजगारी, महंगाई, दलितों-पिछड़ों पर अत्याचार जैसे मुद्दों पर चर्चा नहीं करना चाहती। उन्होंने कहा कि देश आज 200 लाख करोड़ रुपये के कर्ज तले दबा है और सरकार देशभक्ति का नाटक कर रही है।
संजय सिंह ने कहा कि हम वंदे मातरम कहेंगे, भारत माता की जय कहेंगे, जय हिंद कहेंगे। लेकिन किसी को भी वंदे मातरम के नाम पर देश लूटने नहीं देंगे। आपको बता दें कि आप नेता संजय सिंह अक्सर महंगाई बेरोजगारी जैसे तमाम अहम मुद्दों को लेकर सत्ताधारी दल भाजपा पर हमला करते हुए नजर आते हैं। वहीं अभी कुछ दिनों पहले भी उन्होंने प्रदेश में फैले इस महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे को उठाते हुए बड़ी यात्रा निकालकर भाजपा को चेतावनी दी थी। मगर भाजपा पर इसका कुछ असर होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है।
तभी तो भाजपा सरकार में बैठे देश में चल रही कमियों को दूर करने के बजाय वंदे मातरम जैसे मुद्दों को उठा रहे हैं। बात की जाए इस पूरे मामले की तो आपको बता दे कि 7 नवंबर 1875 को बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा लिखे गए वंदे मातरम के 2025 में 150 साल पूरे हुए हैं। इस उपलक्ष्य पर केंद्र सरकार ने कई आयोजन भी किए हैं। ऐसे ही एक आयोजन में प्रधानमंत्री ने पिछले महीने कांग्रेस को घेरा था।
पीएम ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस ने 1937 के कलकत्ता में रखे गए अधिवेशन में वंदे मातरम के कुछ अहम छंद हटा दिए गए थे। उन्होंने दावा किया था कि इस फैसले ने बंटवारे के बीज बोए थे। प्रधानमंत्री ने कहा था कि कांग्रेस ने राष्ट्रगीत को दो हिस्सों में तोड़ दिया और इसकी असल आत्मा को कमजोर कर दिया। उन्होंने इस मुद्दे को विकसित भारत के अपने विजन से जोड़ा और राष्ट्रीय विकास को सांस्कृतिक प्रतीकों के साथ मेल के तौर पर पेश किया।
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी के इन आरोपों को न सिर्फ नकारा, बल्कि पलटवार भी किया। पार्टी ने महात्मा गांधी के कथनों और लेखन से संचित- ‘द कलेक्टेड वर्क्स ऑफ महात्मा गांधी’ का हवाला देते हुए कहा कि 1937 में वंदे मातरम को लेकर हुआ फैसला कांग्रेस वर्किंग कमेटी के प्रस्ताव के बाद आया था। इस समिति में जवाहरलाल नेहरू के अलावा खुद महात्मा गांधी, सरदार पटेल, सुभाष चंद्र बोस, राजेंद्र प्रसाद, अबुल कलाम आजाद, सरोजिनी नायडू और कई वरिष्ठ नेता शामिल थे। कांग्रेस के मुताबिक, सीडब्ल्यूसी ने तब पाया था कि वंदे मातरम के शुरुआती दो छंद ही पूरे देश में वृहद स्तर पर गाए जाते थे। प्रस्ताव में यह भी कहा गया था कि बाकी के छंद धार्मिक स्वरूपों को पेश करते हैं, जिनसे कुछ नागरिकों को आपत्ति थी।
कांग्रेस ने यह भी तर्क पेश किया कि वंदे मातरम के छंद हटाने का फैसला इस अधिवेशन में रबिंद्रनाथ टैगोर की सलाह पर ही लिया गया, जिन्होंने 1896 में एक अधिवेशन के दौरान पूरा वंदे मातरम गाया था। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री वंदे मातरम के बहाने आजादी के आंदोलन की विरासत पर हमला बोल रहे हैं और आज के मुद्दे, जैसे- बेरोजगारी, गैरबराबरी और विदेश नीति की चुनौतियों से ध्यान हटाने की कोशिश कर रहे हैं। गौरतलब है कि यह ‘मामला अभी भी चर्चा में बना हुआ है और इसे लेकर पक्ष विपक्ष आमने-सामने है। विपक्ष का कहना है कि इस मुद्दे के सहारे भाजपा अहम मुद्दों से ध्यान हटाना चाह रही है।



