नीतीश कुमार के साथ ऑपरेशन लोटस से बड़ा खेल,प्लान लीक
दोस्तों आखिरकार नई सरकार और नीतीश कुमार के साथ वो हो गया जे जो 53 साल पहले बिहार साल पहले बिहार की राजनीति में हुआ था यानि कि नीतीश् कुमार से गृह विभाग छीन लिया गया है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: दोस्तों, बिहार में नीतीश की सीएम शपथ के साथ पीएम साहब के चाणक्य जी यानि अमितशाह का गेम बिहार में शुरु हो गया है। इसका पहला रुझान बिहार के मंत्रिमंडल में नीतीश कुमार का गृह विभाग छीनने के रुप में सामने आया है।
लेकिन आपको बता दें कि बड़ी खबर निकल कर सामने आ रही है कि ये तो अभी शुरुआत है, असली गेम साल 2027 में होने जा रहा है, और ये गेम ऐसा है कि जदयू पूरी तरह से साफ हो जाएगी, क्योंकि बीजेपी को हर हाल में बिहार में अपना सीएम चाहिए। जैसे ही ये खबर सामने आई है हड़कंप मचा गया है। क्यों और कैसे नीतीश कुमार से अचानक गृह विभाग छीन लिया और सिर्फ चार सीटें कम होने की कैसे इतनी बडी कीमत नीतीश कुमार को चुकानी पड़ी है, और 2027 का जो प्लान लीक हुआ है, वो क्या है। ये सबकुछ हम आपको अपनी इस आठ मिनट की रिपोर्ट में बताने वाले हैं।
दोस्तों आखिरकार नई सरकार और नीतीश कुमार के साथ वो हो गया जे जो 53 साल पहले बिहार साल पहले बिहार की राजनीति में हुआ था यानि कि नीतीश् कुमार से गृह विभाग छीन लिया गया है। आपको बता दें कि जब साल 1967 में बिहार में पहली जब गैर कांग्रेसी सरकार आई थी तो मुख्यमंत्री महामााया प्रसाद के दौर मंे गृह मंत्रालय रामानंद तिवारी को मिला था। ऐसे में साफ है कि नीतीश के सीएम बनते ही गुजरात लॉबी अपना नरेटिव सेट करने में लग गई है और शपथ के बाद ही खेल शुरु हो चुका है।
चुनाव के बाद जब एनडीए के विधायक दलों की बैठक में ये फैसला लिया गया था कि नीतीश ही सीएम होंगे तो तो यह दावा किया जा रहा था कि नीतीश कुमार पीएम साहब और उनके चाणक्य जी को शीशे में उतारने में कामयाब हो गए है और मीडिया में तो यहां तक कह किया गया था कि नीतीश कुमार ने पीएम साहब और उनके चाणक्य जी को घुटने टेकने पर मजबूर किया है लेकिन शपथ के बाद जब मंत्रिमंडल की लिस्ट सामने आई तो पूरा खेल उलटा दिखाई दिया है। जो नीतीश कुमार एनडीए के विधायक दलों की बैठक में सबसे पावरफुल दिख रहे थे, वो मंत्रिमंडल की लिस्ट आने के बाद बहुुत कमजोर, बहुत प्रेशर में और कुछ डरे सहमे दिखाई दे रहे हैं।
हालांकि अंदरखाने की खबर है कि गृह विभाग को लेकर कल यानि कि शुक्रवार को लिस्ट आने से पहले काफी उठापटक रही है और लिस्ट बनी फिर कैंसिल हुई, राजभवन पहुंचने के बाद भी लिस्ट पर नीतीश कुमार के साइन नहीं थे। देर शाम तक ये सबकुछ खेल चलता रहा है लेकिन बाद में फाइनल वही लिस्ट हुई जो गुजरात लॉबी के इशारे पर बनी थी, नीतीश कुमार के विरोध का भी कोई बहुत असर नहीं हुआ। आखिर में फाइनल लिस्ट आई और उसमें सम्राट चौधरी को गृह मंत्रालय दिया गया है। आपको बता दें कि ये अपने आप में एक बहुत खेल है। आमतौर पर प्रशासन और गृह मंत्रालय मुख्यमंत्री के पास ही रहता है।
क्योंकि पुलिस और प्रशासन दोनों की शासन की सबसे बड़ी ताकत होते हैं। अगर गृह मंत्रालय किसी सीएम के पास चला जाए तो ये माना जाता है कि उसकी ताकत कम नहीं आधे से भी कम हो गई है। और जब समा्रट चौधरी को गृह मंत्रालय मिला है तो कहीं न कहीं नीतीश की ताकत कम हुई। आपको बता दें कि राजनीति के सीनियर जर्नलिस्टो को मानना है कि ये सबकुछ अचानक नीतीश कुमार से नहीं लिया गया है बल्कि जब संजय झा और ललन सिंह रातोंरात चार्टर प्लेन से दिल्ली गए थे तो ये उसी समय लगभग तय था लेकिन फाइनल इस पर मोहर नहीं लगी थी क्योंकि बीजेपी की चार सीटें ज्यादा थीं इसलिए बीजेपी चाहती थी कि उसका अपना सीएम हो, और इस डिमांड को बीजेपी ने जदयू के नेताओं के साथ हुई बैठक में रखा भी था,
और वो आखिर तक इस पर डटी रहीे लेकिन आखिर में एक रास्ता गृह मंत्रालय को लेकर निकला, और बताया जाता है कि यह तय हुआ कि जिसका सीएम नहीं होगा उसका गृह मंत्रालय होगा और ये ऑफर सिर्फ बीजेपी के लिए नहीं बल्कि जदयू के लिए भी था कि गृह मंत्रलाय लेकर नीतीश जी दो डिप्टी सीएम बना लें लेकिन जदयू में नीतीश को सीएम के लिए ही प्रस्ताव किया लेकिन आपको बता दें कि पूरे खेल में शाह को बड़ा फायदा हो गया है क्योंकि गुजरात लॉबी ये बात पूरी तरह से जानती थी कि नीतीश कुमार सीएम की कुर्सी नहीं छोड़ेंगे और उनका ही खेल हिट होगा और आखिर में हुआ भी यही कि सम्राट चौधरी को गृह मंत्रालय मिला है लेकिन इस बार नीतीश सीएम भले से ही बन गए हैं परंतु ये बात तय है कि सीएम से ज्यादा ताकत इस बार सम्राट चौधरी के पास होगी। खबरे तों यहां तक आई है कि बिहार में अब बुलडोजर वाला खेल और कानून व्यवस्था पर पूरा फोकस होगा और सम्राट चौधरी सीधे अमित शाह के इशारों पर या यह भी कह सकते हैं।
कि अमित शाह के निर्देशन में काम करेंगे यानि कि बिहार सरकार का रिमोट आखिकार दिल्ली पहुंच गया है। हालांकि विपक्ष का दावा है कि गृह मंत्रालय सिर्फ और सिर्फ सम्राट चौधरी को अपने केस खत्म कराने के लिए दिया है। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के एक नेता है आईपीए सिंह उनका दावा है कि सम्राट 302 मुजरिम हैं, 7 हत्या के मामले में महीनों जेल में बंद रहे। 8 वीं पास का भी कोई सर्टिफिकेट नहीं हैं। ऐसे में वो सिर्फ अपना केस हटवाने के लिए आए है। वैसे ये बात विपक्ष के दावों की है लेकिन ये तय माना जा रहा है कि बिहार का गृह विभाग दिल्ली के ही इशारों पर चलेगा।
लेकिन इस सबके बीच बड़ा सवाल यह है कि आखिर नीतीश कुमार ने ऐसा किया क्यों, जदयू में इतने पुराने पुराने नेता हैं और 50-50 साल से सिर्फ राजनीति कर रहे हैं, क्या ये समान्य सी समझ उनके पास नहीं थी, कि नीतीश की ताकत जा रही है। कहा जा रहा है कि इसके पीछे दो वजहें हो सकती हैं। पहली ये कि नीतीश कुमार की जदयू अंदरखाने में पूरी तरह बीजेपी हो गई है। जिस तरह से संजय झा और ललन सिंह के बारे में पहले से ये बात पहले से ही कही जाती है कि वो अमितशाह के करीबी हैं तो क्या ऐसे ही जदयू के ज्यादातर नेता अमित शाह और पीएम साहब के करीबी हो गए हैं और ऐसे में अमितशाह के फैसले का किसी ने विरोध नहीं किया।
या फिर जदयू ऑपरेशन लोट्स जैसे केस से डरी हुई है। क्या जदयू को ये खतरा है कि अगर वो गुजरात लॉबी के इशारों पर काम नहीं करेंगे तो उनकी पार्टी टूट जाएगी। क्योंकि जिस तरह से महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के साथ बीजेपी ने किया, क्या कुछ ऐसा विरोध करने पर नीतीश के साथ भी हो सकता है था। शायद इस वजह से भी जदयू में प्रेशर मंे हो लेकिन ये सच है कि भले से उद्धव ठाकरे वाला गेम नीतीश के साथ नहीं हुआ लेकिन अब नीतीश कुमार की हालत एकनाथ शिंदे से कम नहीं होने वाली है और इसके आसार दिखने शुरु हो गए है। लेकिन आपको बता दें कि अंदरखान से एक बड़ी और गंभीर चर्चा सामने आई है लेकिन अभी फिलहाल की कहीं से कोई पुष्टि नहीं हुई है। बहुत खोजबीन के बाद सोशल मीडिया पर एक दो पोस्ट इस संबंध में दिखाई दिए है।
दरअसल बिहार में जदयू और नीतीश के साथ बड़ा खेला करने की तैयारी है। क्योंकि पीएम साहब और उनके चाणक्य जी का 11 साल से सपना रहा है कि बिहार में उनका अपना सीएम हो और ये सपना 2027 में लागू होने जा रहा है। 2027 में इसलिए कि नीतीश कुमार से सीएम का पद वापस ले लिया जाएगा और उनकी जगह बीजेपी का सीएम होगा क्योकि नीतीश कुमार को राष्ट्रपति के पद पर आसीन किया जाएगा। आपको बता दें कि साल 2027 में द्रौपदी मुर्मू का कार्यकाल खत्म हो रहा है और इसके बाद नीतीश न सिर्फ राजनीति से सन्यास लेंगे बल्कि वो राष्ट्रपति के पद पर जाएंगे। कुछ चर्चांए इस तरह की भी है कि इसके बाद राजनीति में नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार सक्रिय होंगे। हालांकि इस पूरे मामले की सिर्फ और सिर्फ चर्चा और कोई पुष्टि नहीं है
लेकिन आप सभी जानते है कि जब कही से कोई बात उठती हैं। कहीं पर कोई चर्चा होती है तो ही मामला संज्ञान मंे आता है और जरुर कहीं न कहीं ये बड़ा प्लान अंदरखाने में चल रहा हैं और अगर ये चल रहा है तो ये जदयू के लिए बुरी खबर है क्योंकि बिहार में नीतीश कुमार के बिना जदयू का कोई वजूद नहीं है, क्योंकि पार्टी के जो दो नेता ललन सिंह और संजय झा है वो अति पिछड़े वर्ग से नहीं आते हैं और जदयू का जो मूल वोटर है वो अति पिछड़ा है । ऐसे में जैसे ही नीतीश पार्टी से हटे उनको जो अति पिछ़ड़ा वोट है वो सीधे बीजेपी में ट्रॉसफर हो जाएगा और बीजेपी बिहार की सबसे मजबूत पार्टी बन जाएगी।
इसमें जदयू के वजूद पर खतरा मंडराने लगेगा, हालाकि अगर निशांत कुमार आते है तो कुछ लोगों का जुडाव होगा लेकिन क्योंकि निशांत राजनीति में सक्रिय नहीं हैं, ऐसे में निशांत क्या संभाल पाएंगे या नहीं ये सबसे बड़ा सवाल है और ऐसे में पीएम साहब और उनके चाणक्य की बल्ले बल्ले हो जाएंगी। हालांकि पूरे मामले में हर तरीके से एक बात जो सबसे साफ दिखाई दे रही है वो ये है कि जो दावा सरकार के गठन से पहले बीजेपी के एक पूर्व सीनियर मंत्री ने यशवंत सिन्हा ने कहा था कि नीतीश कुछ दिन के सीएम हैं, ये बात कहीं न कहीं पूरी तरीके से सही साबित होती दिख रही है और अब हर किसी को लगने लगा है कि नीतीश कुमार ज्यादा दिन सीएम नहीं रहेंगे। या तो फिर से ऑपरेशन लोटस होगा या फिर 2027 के बाद राष्ट्रपति बन नीतीश राजनीति से संन्यास लेंगे।



