बिहार चुनाव: वोटचोरी रंगे हाथों पकड़ी गई, RJD के सवालों से सियासी भूचाल

दोस्तों बिहार चुनाव में एनडीए को जो प्रचंड बहुमत मिला वो अभी तक बहुत से लोगों के गले नहीं उतर रहा है और सिर्फ साधारण आदमी नहीं बल्कि देश के बड़े बुद्धजीवी भी इसी खोज में लगे है कि आखिर बिहार चुनाव में कैसे बीजेपी को इतनी बड़ी जीत मिली, इसके लिए तथ्य और आंकड़े खंगाले जा रहे है

4पीएम न्यूज नेटवर्क: दोस्तों, बिहार चुनाव के रिजल्ट सवालों के घेरे के आ गए है और ज्ञानेश जी बुरा फंसे हुए है तो वहीं दूसरी ओर बिहार में वोटचोरी के भयंकर खुलासों का दौर है कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है।

हालत यह है कि पीएम साहब की वित्त मंत्री निर्मला सीतारणम के पति और आर्थिक मामलों के बड़े जानकार प्रकला प्रभाकर भी वोटचोरी का खुलासा करने उतर पड़े हैं और इतना बड़ा खुलासा किया है कि ज्ञानेश कुमार जी को बहुत बुरा फंसा दिया है। साथ ही आरजेडी ने भी पोस्टल बैलेट में भयंकर बेमानी किए जाने का खुलासा करके हड़कंप मचा दिया है। प्रकला प्रभाकर ने कौन सा खुलासा किया है कि सीधे ज्ञानेश कुमार जी को ही फंसा दिया है और आरजेडी कितनी सीटों पर भयंकर पोस्टल बैलेट में भयंकर वोटचारी का सबूत ले आई है, ये हम आपको आगे अपनी इस रिपोर्ट में बताएंगे।

दोस्तों बिहार चुनाव में एनडीए को जो प्रचंड बहुमत मिला वो अभी तक बहुत से लोगों के गले नहीं उतर रहा है और सिर्फ साधारण आदमी नहीं बल्कि देश के बड़े बुद्धजीवी भी इसी खोज में लगे है कि आखिर बिहार चुनाव में कैसे बीजेपी को इतनी बड़ी जीत मिली, इसके लिए तथ्य और आंकड़े खंगाले जा रहे है और इस दिशा में पीएम साहब की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पति और देश में आर्थिक मामलों के बड़े जानकार प्रकला प्रभाकर ने बड़ा खुलासा किया है। उनका दावा है कि बिहार चुनाव में एक लाख 77 हजार 673 वोट ज्यादा गिने गए।

वैसे आपको बात दें कि उन्होंने सीधा डेटा अपने एक्स पर डाला है और चुनाव आयोग से पूछा है कि आखिर ये वोट आए कहा से। उन्होंने अपने एक्स पर लिखा है कि बिहार में 67.13 प्रतिशत वोट पड़े यानि कि बिहार में 5 करोड़ 29 हजार 880 वोट टोटल पोल हुए लेकिन जब गिनती के टोटल वोटों को जोड़ा जा रहा है तो 5 करोड़ 2 लाख 97 हजार 553 वोटों की काउंटिंग हुई। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि आखिर 1 लाख 77 हजार 673 वोट कहां से आए। प्रभाकर जी ने सीधे इलेक्शन कमीशन से जवाब मांगा है। आपको दे कि ये एक लाख 77 हजार वोटों को हल्के में मत लीजिए, कम से कम ये इतने वोट ही बिहार चुनाव की 50 से ज्यादा सीटों के रिजल्ट बदल सकते हैं।

क्योंकि बिहार का रिजल्ट जो आया है उसमें एक हजार की मार्जिन की जीत हार वाली ही 13 से ज्यादा सीटें हैं। और इसके बाद दो हजार से पांच हजार के बीच में भी 23 से ज्यादा सीटें है। ऐसे में साफ है कि ये इतने वोट 50 सीटों पर प्रभावी हो सकते हैं लेकिन आपको बता दें कि प्रभाकर जी ने बड़ा सवाल उठाया है कि आखिर कैसे एक लाख 77 हजार से ज्यादा वोट ज्यादा काउंट हुए जबकि वोट इससे कम पड़े थे। वैसे भी ये बात सभी जाने है कि चुनाव आयोग का ये पुराना फंडा है और वो चीजों का छिपाए रखता है ।

पिछले दिनों तक बिहार के कुल वोटर्स की संख्या में तीन लाख का अचानक इजाफा हुआ और हर ओर से यह सवाल उठने लगा कि आखिर ये तीन लाख वोट कहां से आए तो चुनाव आयोग सामने आया और ये दावा करने लगा कि एसआईआर होने के आखिर दिन तीन लाख वोटर्स बढ़े गए। सवाल ये खड़ा हुआ कि आखिर कैसे आखिरी दिन 3 लाख वोटर्स बढ़ सकते हैं लेकिन जिस समय बढ़े उस समय चुनाव आयोग ने सार्वजनिक तौर पर इसकी जानकारी नहीं दी बल्कि जब वो पकड़ा गया और हर ओर ये शोर शुरु हो गया कि तीन लाख वोट ज्यादा हो गए तो सच्चाई कबूली, अगर एसआईआर के आखिरी दिन तीन लाख वोटर्स वाली बात बताई होती तो लोग जरुर खोजबीन करते लेकिन ऐसा न होने के तीन लाख वोटर्स बढ़ गए और अब प्रभाकर जी ने जो खुलासा किया है उसमें भी यही सवाल है कि एक लाख 77 हजार से ज्यादा वोट काउंटिंग में कैसे बढ़ गए।

आपको बता दे कि एक ओर जहां प्रभाकर जी ने भयंकर खुलासा कर चुनाव अयोग और ज्ञानेश कुमार को सवालों के घेरे में ला दिया है और पूरे रिजल्ट पर भी सवाल खड़ा कर दिया है तो वहीं दूसरी ओर आरजेडी ने भी पोस्टल बैलेट में बहुत बड़ी वोट चोरी का खुलासा किया है। आरजेडी का दावा है कि कम से कम तीन सीटें हैं कि जिन पर शासन प्रशासन ने मिली भगत कर एनडीए के प्रत्याशियों को चुनाव जिता दिया गया है। आरजेडी ने अपने एक्स पर एक पोस्ट भी साझा की है जिसमें तीन सीटों पर मिली भगत को डेटा सहित पेश किया है। आरजेडी ने अपने एक्स पर लिखा है कि…. जबरन बेईमानी से हरायी गयी सीटों के झकझोरने वाले आंकडे! नबीनगर विधानसभा- 𝟏𝟏𝟐 वोटों से 𝐑𝐉𝐃 हारी, 𝟏𝟑𝟐 पोस्टल वोट रिजेक्ट हुए।अगिआंव विधानसभा- 𝟗𝟓 वोटों से 𝐂𝐌𝐏𝐈𝐋 हारी, 𝟏𝟕𝟓 पोस्टल वोट रिजेक्ट हुए।संदेश विधानसभा- 𝟐𝟕 वोटों से 𝐑𝐉𝐃 हारी, 𝟑𝟔𝟎 पोस्टल वोट रिजेक्ट हुए।

देखा आपने कि आरजेडी का दावा है जब पोस्टल वोट को रिजेक्ट करते हार दिलाई गई। और जिस सीट पर केवल 27 वोटों से आरजेडी को हार मिली है कि वहां 360 पोस्टल वोट रिजेक्ट हुए हैं। साथ ही जहां पर 95 वोट से हार हुई वहां 175 और जहां पर 112 वोट से हार हुई है वहां पर 132 पोस्टल वोट रिजेक्ट हो गए हैं। आपको बात दें कि देश में पहले से ही इस तरह के कई मामले सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में पेंडिग हैं और सुप्रीम कोर्ट में पोस्टल बैलेट को लेकर पंचायत चुनाव कीं बेईमानी रंगेहाथ पकड़ी भी गई है। इसलिए इस डेटा को डिनाई नहीं किया जाए सकता हैं क्योंकि पोस्टल बैलेट के रिजेक्शन में खेल हो सकता है।

ऐसे में साफ है कि कहीं न कहीं चाहे प्रभाकर का खुलासा हो या फिर आरजेडी, दोनों आंकड़ों के दृष्टि से सही दिखाई दे रहे हैं और ऐसे में चुनाव आयोग पर गंभीर सवाल उठ रहा है। साथ ही कहीं न कहीं बिहार चुनाव का रिजल्ट संदिग्ध दिखाई देने लगा है। आपको बता दें कि हरियाणा के पिछले चुनाव को लेकर हाईकोर्ट में पोस्टल बैलेट का एक मामला पेंडिंग है और जहां जहां इस तरह की बाते आई हैं लोग हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक गए हैं और इन तीनों सीटों के मामले में भी यह बात तय है कि तीनों मामले जल्द ही हाईकोर्ट में दिखाई देंगे ओर सिर्फ इतना ही नहीं देश के बहुत से राजनीति दल वोटचोरी को लेकर भले से सुप्रीम कोर्ट नहीं गए हैं लेकिन आरजेडी खुले तौर पर ऐलान कर चुका है कि वो सबूत जमा कर रहा है और जब सबूत पूरी तरह से मिल जाएंगे तो वो सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा जरुर खटखटाएगा और तीन सीटों पर मतों के अंतर से रिजक्ट हुए पोस्टल बैलेट की संख्या वाला मामला तो कोर्ट जाना तय है लेकिन प्रभाकर ने जो सवाल उठाया है वो भी बहुत गंभीर है।

पोस्टल बैलेज का मामला तो तीन सीटों पर है लेकिन प्रभाकर जी के दावे वाले एक लाख 77 हजार से ज्यादा वोट सीधे-सीधे पचास सीटों को प्रभावित कर सकते हैं। ऐसे में इन बातों को इग्नोर नहीं किया जा सकता है। और एक ओर बिहार चुनाव को लेकर जहां ज्ञानेश जी बुरा फंसे हुए हैं तो वहीं दूसरी ओर जिस प्रभाकर की मांग के बावजूद अभी तक चुनाव आयोग का कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है। ऐसे में कहीं न कहीं प्रभाकर के उठाए सवाल गंभीर दिख रहे है अब देखना यह है कि पूरे मामले पर क्या जवाब चुनाव अयोग देता है।

वैसे आपको बता देें कि देश में जो वोटचोरी और एसआईआर से जुड़े मुद्दे हैं, उस पर चुनाव आयोग सामने आकर दो टूक देने के बजाय पॉििलटिक्स वाला गेम भी शुरु कर चुका है। 272 लोग राहुल गांधी को चिट्ठी लिख चुके हैं कि चुनाव अयोग की साख को दांव पर मत लगाओ लेकिन कोई ये नहीं सवाल उठा रहा है कि आखिर जब बिहार में एसआईआर हुआ तो कैसे बिहार में बीजेपी के लगभग आधा दजर्नन नेताओं ने पहुंच कर दोबारा वोट कर दिया है। कोई ये सवाल चुनाव आयोग से नहीं पूछ रहा है कि राहुल गांधी से सवाल के जवाब का क्यों नहीं ज्ञानेश कुमार नहीं दे रहे है। क्यों चुनाव अयोग प्रभाकर और आरजेडी के दावों पर तुरंत रिएक्शन नहीं दे रहा है।

ऐसे में कहीं न कहीं दाल में या तो कुछ न कुछ काला है या फिर पूरे मामले से चुनाव अयोग पूरी तरह से कन्नी काटना चाहता है। आपको बता दें कि ये दो मामले तो नजीर है इससे पहले कांग्रेस एनडीए की 202 सीटों की जीत का एक लेटर जारी करके बता चुकी है कि कम से कम 128 सीटें ऐसी हैं जिन पर एसआईआर में कटे वोटों की वजह से जीत हुई है। बीजेपी सिर्फ और सिर्फ 74 सीटें ऐसी जीत सकी है जहां एसआईआर में वोट नहीं कटे हैं। ऐसे में न सिर्फ वोटचोरी का मामला है बल्कि एसआईआर को लेकर भी देश में तरह तरह के सवाल उठ रहे हैं और जिस तरह से बिहार के बाद देश के 12 राज्यों में अचानक एसआईआर शुरु कर दिया है, हर ओर खलबली है, हर आदमी अपने वोट को बचाने की जगुत में लग गया है। कहीं आत्म हत्याएं के केस सामने आ रहे हैं तो कहीं प्रदर्शन हो रहा है।

ऐसे में चौतरफा ज्ञानेश कुमार जी फंसे और उनको विभाग वोटचोरी के दावे करने वालों को सही जवाब नहीं दे पा रहा है, जिससे मामला संदिग्ध होता जा रहा है। ऐसे में माना जा रहा है कि आरजेडी जल्द ही सारे मामलों को लेकर सुप्रीम कोट जाएंगे लेकिन फिलहाल ज्ञानेश जी और उनका विभाग सवालों के घेरे में है। पूरे मामले पर आपका क्या मानना है, क्या वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के पति प्रभाकर के दावों बहुत गंभीर हैं और ये सीधे लगभग 50 सीटों पर असर दिख दिखाएं। क्या आरजेडी ने जो पोस्टल बैलेट में घालमेल किए जाने का दावा किया है वो कितना तर्कसंगत है।

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