नए सिरे से जाति सर्वेक्षण का आदेश दे बिहार सरकार: चिराग

जूनियर पासवान ने की पारदर्शिता सुनिश्चित करने की मांग

आंकड़ों में गड़बड़ी का लगाया आरोप

 4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
पटना। नीतीश सरकार द्वारा जातिगत जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक करने के बाद अब पूरे देश की राजनीति में एक नई बहस छिड़ गई है। अपने इस दांव से नीतीश-तेजस्वी ने विरोधी खेमे में खलबली मचा दी है। यही वजह है कि इन आंकड़ों के सामने आने से भाजपा और उसके एनडीए के खेमे में सबसे अधिक खलबली मची हुई है। अब इस मुद्दे पर लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के नेता चिराग पासवान ने मांग की कि बिहार में नीतीश कुमार सरकार नए सिरे से जाति सर्वेक्षण कराए।
जमुई से सांसद चिराग ने एक वीडियो जारी करके आरोप लगाया कि सर्वेक्षण में पारदर्शिता की कमी है और बिहार में सत्तारूढ़ सरकार की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए आंकड़ों में हेराफेरी की गई है।

कम दिखाई गई पासवान जाति की संख्या : चिराग

चिराग पासवान ने कहा कि लोजपा (रामविलास) जाति सर्वेक्षण के निष्कर्षों को सिरे से खारिज करती है। एक जाति की संख्या बढ़ा-चढ़ाकर बताई गई है। दूसरी ओर कई अन्य जातियों को संख्यात्मक रूप से इनसे छोटा दिखाया गया है। उन्होंने यह भी अरोप लगाया कि यहां तक कि मेरी अपनी जाति पासवान की जनसंख्या भी हम जितना समझते हैं, उससे बहुत कम दिखाई गई है। यह आश्चर्य की बात है क्योंकि यह प्रक्रिया जल्दबाजी में की गई है। राज्य के अधिकांश लोगों से सर्वेक्षणकर्ताओं ने कभी संपर्क नहीं किया। बिहार में दुसाध समुदाय जिनके लिए चिराग के दिवंगत पिता रामविलास पासवान एक आदर्श के रूप में जाने जाते थे, कुल आबादी का 5.31 प्रतिशत हैं। प्रदेश में दुसाध जाति यादव समुदाय (14.27 प्रतिशत) जो बड़े पैमाने पर राज्य की सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनता दल के समर्थक रहे हैं, के बाद दूसरा स्थान रखता है।

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