भाजपा-कांग्रेस मिलकर दिल्ली में आम आदमी पार्टी को हराना चाहते हैं

केजरीवाल का दावा- दिल्ली चुनाव में है बीजेपी-कांग्रेस का गठबंधन

  • हमारा वोट बैंक 140 करोड़ जनता है : केजरीवाल
  • बाकी पार्टियों को आप की राजनीति समझ में ही नहीं आती : आतिशी
  • ‘हमारी लड़ाई किसी व्यक्ति से नहीं सिस्टम से है’

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। दिल्ली में चुनावी मंच सज चुका है और चुनाव का बिगुल बज चुका है। सारे राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गए हैं। इस बीच सबकी नजरें हैं आम आदमी पार्टी पर, क्या आप एक बार फिर दिल्ली की सत्ता पर राज कर पाएगी और अरविंद केजरीवाल एक बार फिर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान हो पाएंगे।
दिल्ली चुनाव को लेकर आम आदमी पार्टी की तैयारियों और आगे की प्लानिंग को लेकर 4क्करू के संपादक संजय शर्मा ने बातचीत की आम आदमी पार्टी की पूरी कोर टीम से, जिसमें पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री आतिशी, पूर्व शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया, पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन और दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज शामिल रहे। चुनावी मौसम में इस पहले राउंड टेबल इंटरव्यू में कई बड़े-बड़े खुलासे हुए हैं। प्रस्तुत हैं इस बातचीत के कुछ अंश-

 

  • आपकी पार्टी में ये सारे लोग किस तरह से रहते हैं? प्यार से रहते हैं या आपको प्रिंसिपल की तरह डांट लगाना पड़ती है?
  • मुझे डांटने की जरूरत नहीं पड़ती है और न ही इनमें से कोई मेरी डांट को सुनता है। हम सब मिलकर एक परिवार की तरह रहते हैं। ये परिवार काफी बड़ा है। आज तो सिर्फ हम पांच लोग ही यहां एकजुट हो पाए हैं, लेकिन हमारा परिवार काफी बड़ा है। बीजेपी वालों को उम्मीद थी कि हमको जेल में डालने से हमारा परिवार बिखर जाएगा या टूट जाएगा, लेकिन इससे हम सब एक-दूसरे के और करीब आ गए।
  •  मनीष जी आप तो हमारी तरह एक पत्रकार थे, आपने कभी सोचा था कि पहले इस तरह का ताज मिलेगा, लेकिन फिर बाद में जेल भी जाना पड़ेगा?
  •  मैंने न ताज का सोचा था और न ही जेल का सोचा था। बस कुछ इनके (केजरीवाल) दिमाग में था, कुछ मेरे दिमाग में था, जब दोनों एकसाथ बैठे तो पता चला दोनों के दिमाग में देश के लिए एक जैसी सोच है, तो चलो साथ में काम करते हैं। अब जब साथ में काम करना है तो फिर चाहें ताज मिले या जेल दोनों को ही झेल लेंगे।
  •  केजरीवाल के इस्तीफा देने के बाद हर कोई सोच रहा था कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा? लोगों को लग रहा था कि बाकियों की तरह यहां भी मिसेज केजरीवाल ही सीएम बनेंगी। लेकिन केजरीवाल ने एक तेज तर्रार महिला को सीएम बनाया। आतिशी सच बताइए आपने या आप के परिवार ने कभी सोचा था कि इतनी पढ़ाई-लिखाई करने के बाद आप मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच जाएंगी?
  •  (आतिशी) नहीं, कभी नहीं सोचा था। जब बीस साल पहले मैं और मेरे दोस्त कॉलेज से निकले थी तो हम सोचते थे कि अच्छी नौकरी, अच्छी पे-चेक और अच्छा काम करेंगे। एक मिडिल क्लास फैमिली से निकला कोई व्यक्तिह्य कभी सोच भी नहीं सकता कि इतनी पढ़ाई करने के बाद नौकरी या अच्छी सैलरी को छोड़कर कभी पॉलिटिक्स में आएंगे। हां, ये जरूर सोचते थे कि कभी कोई सोशल वर्क करेंगे, लेकिन पॉलिटिक्स नहीं। 20 साल पहले तो कोई मुझे कहता था कि पॉलिटिक्स में एंट्री कैसे करते हैं तो मुझे ये भी नहीं पता था। मुझे लगता है कि आम आदमी पार्टी इस इंडस्ट्री से अलग है। आम आदमी पार्टी ने हम जैसे पढ़े-लिखे लोगों को जिनका कोई पॉलिटिकल बैकग्राउंड नहीं है, उन्हें राजनीति में लाया है। न हम पॉलिटिकल फैमिली से आते हैं, न हमारा कोई पॉलिटिकल बैकग्राउंड रहा है, न हम पैसे वाली फैमिली से आते हैं और न ही हमारा कोई वोट बैंक है। मुझे लगता है कि अगर हम किसी और पार्टी में होते तो जो नेता मंचों पर भाषण देते हैं, हम लोग उन भाषणों की रिसर्च कर रहे होते। लेकिन ये आम आदमी पार्टी है, ये अरविंद केजरीवाल जी हैं जिन्होंने हम जैसे लड़के-लड़कियों को पॉलिटिक्स में फ्रंट लाइन में लाकर खड़ा कर दिया। ये ही सबसे अलग चीज है आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल की।
  • सत्येंद्र जी आपकी एक तस्वीर ने लोगों को अंदर तक झकझोर दिया था, कई लोगों की आंखों में तो मैंने आंसू भी देखे थे। क्या वाकई में जेल में इतनी यातना दी जाती है? 38 किलो वजन कम होने का कारण क्या वो मानसिक टॉर्चर या फिजिकल टॉर्चर ही था?
  • आपने जो प्रिंसिपल वाली बात कही थी सबको एक रखने के लिए, तो मैं आपको बता दूं कि आप पांच ही नहीं बल्कि दस लोगों का इंटरव्यू कर लो और सबसे एक ही जैसा लगभग सवाल पूछ लो, आपको सबका जवाब एक ही मिलेगा। मैं आपको बताऊं कि पार्टी में आने से पहले मैं एक ऑर्किटेक्ट था। जब मैंने अपना प्रोफेशन छोड़ा, पॉलिटिक्स में आया, तो मैं पांच दिल्ली के नामी सीएस के पास गया और पूछा कि अरविंद केजरीवाल कैसा आदमी है? पैसे तो नहीं लेते हैं, तो सबने ये ही बोला कि नहीं, डिपार्टमेंट में अकेला आदमी है जो नहीं लेता। तब मैंने अपनी जिंदगी उनके पीछे लगाई थी। तो जब प्रिंसिपल आपके साथ हैं, फिर तो सब कुछ आपके साथ ठीक होगा ही। हम प्रिंसिपली ही साथ में जुड़े हुए थे। जब हम लोग जेल में थे तब तो हमारा कोई संपर्क आपस में नहीं था, लेकिन फिर भी ये कहा जाता था कि जो अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया बोल रहे हैं, वो ही तुम भी बोल रहे हो। जबकि हम तीनों ही अलग-अलग जेल में थे। क्योंकि हमारी विचारधारा एक है और हमारा मकसद सिर्फ एक है देश के लिए कुछ काम करना। मैंने जिंदगी में कभी भी पॉलिटिक्स में आने का नहीं सोचा था, मंत्री बनने का नहीं सोचा था। केजरीवाल ने बीच में टोकते हुए कहा कि सत्येंद्र जैन को पहली बार टिकट देने के लिए मनाने के लिए चार बार हमें इनके घर जाना पड़ा। जैन आगे कहते हैं कि जब मुझे टिकट मिल गया तो मेरे पिता जी ने मुझसे कहा था बेटा हम इज्जतदार और पढ़े-लिखे लोग हैं, राजनीति में तो गुंडे-बदमाश होते हैं। अच्छे लोग थोड़े न आते हैं राजनीति में। अब दस साल बाद मैं जितना बुरा समझता था नेताओं को, वो धारणा और भी स्ट्रांग हो गई, क्योंकि नेता खराब नहीं बल्कि बहुत ही खराब होते हैं। लेकिन मैं आपको बता दूं कि हम लोग राजनीति में नहीं हैं, हम जो करने आए थे वो ही कर रहे हैं। अगर वजन कम होने की बात करूं तो उसकी वजह दूसरी थी। मैं काफी धार्मिक व्यक्ति हूं। तो मैं मंदिर जाने से पहले कभी अन्न नहीं खाता, तो जेल जाने पर मैंने पूरे एक साल तक अन्न नहीं खाया और उपवास पर रहा। उसकी वजह से मेरा वजन कम हो गया।
  • सौरभ भारद्वाज से, आपका कभी मन था राजनीति में आने का या आपका भी नहीं था?
  • मुझे पॉलिटिक्स काफी ग्लैमर वाली लगती थी। कॉलेज में यूनियन लीडर वगैरह को देखकर लगता था कि इनका जलवा तो है। लेकिन हमारे कॉलेज में ऐसा कुछ था नहीं। मैं एक नॉर्मल सॉफ्टवेयर इंजीनियर था और मंडे टू फ्राइडे अपनी नौकरी करता था और शनिवार-इतवार पैसा खर्च करता था। आपने जो पार्टी के एकजुट रहने वाली बात की थी तो मैं बता दूं कि अब तक अरविंद केजरीवाल के साथ मैं लगभग 500 से ज्यादा मीटिंग कर चुका हूं। यहां सबके आईडिया सुने जाते हैं। तो वो जो आईडिया बताते हैं वो अलग ही होता है। होता क्या है कि जैसे मोदी जी की कितनी आईक्यू है आपको अंदाजा है, मुझे तो है। जो बाकी नेता हैं उनके मैं नाम नहीं लेना चाहता, जो हमारे साथ गठबंधन में भी हैं। दरअसल, आपको किसी के क्रियाकलाप देखकर उसके आईक्यू का अंदाजा हो जाता है। मुझे ऐसा लगता है कि पूरे पॉलिटिकल जगत में अरविंद केजरीवाल का आईक्यू सबसे ज्यादा है।
  • आपने जब इतनी ज्यादा पढ़ी-लिखी महिला को मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया तो एक बार तो आपके मन में भी बहुत सारे ख्याल तो आये ही होंगे?
  • नहीं-नहीं, मेरे दिमाग में एक भी बार ऐसा कुछ नहीं आया। फैसला तो मुझे ही लेना था, अगर मेरे मन में जरा सा भी ये ख्याल आया होता कि मेरे साथ धोखा हो जाएगा, तो मैं अपने परिवार से किसी को बना देता। मेरे मन में एक बार को भी ख्याल नहीं आया। क्योंकि दस साल से हम जितने भी लोग आम आदमी पार्टी में काम कर रहे हैं सबको एक बात का भरोसा है कि हम यहां एक-दूसरे से दगा करने नहीं आए हैं, पैसा कमाने नहीं आए हैं, बेईमानी करने नहीं आए हैं। बाकी जितनी पार्टियां हैं वहां बेईमानी चलती है, इसीलिए वहां धोखे होते हैं। लेकिन यहां सबकी नीयत साफ है, पवित्र है। ये पवित्रता ही हमारी सबसे बड़ी ताकत है कि इतने बड़े-बड़े संकटों को झेलने के बाद भी आम आदमी पार्टी एकजुट है और एकसाथ खड़ी है।
  • आपने जब आतिशी को सीएम बनाया तो कुछ तो गुणा-गणित की ही होगी, कुछ रहा ही होगा आपके दिमाग में ?
  • केजरीवाल- क्या ही गणित रही होगी दिमाग में.. आप ही बताइए क्या गणित हो सकती है। ऐसा कुछ नहीं है। कहने वाले कहते हैं कि तेज तर्रार है, पढ़ी-लिखी है, महिलाओं को लेकर एक बड़ा दांव है। तो इसमें गलत क्या है, तेज तर्रार है, पढ़ी लिखी है, वो है ही और ये तो अच्छी बात ही है न।
  • आपने चुन-चुनकर ऐसे लोगों पर निशाना साधा, जिनके बारे में कहने की किसी की हिम्मत नहीं होती, देश के प्रधानमंत्री को भी।
  •  हमने कभी किसी पर निशाना नहीं साधा, हमारी किसी व्यक्ति से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है। हमारी ये लड़ाई किसी व्यक्ति से नहीं है, किसी पार्टी से नहीं है, हमारी लड़ाई इस सिस्टम से है और इस सिस्टम को हमने चैलेंज किया है। ये सिस्टम इन सब राजनीतिक पार्टियों से मिला हुआ है। हम लोगों ने इस पूरे सिस्टम को हिलाया है। कभी मजाक में भले कुछ किसी को कहा हो, लेकिन हम अपनी भाषा से, अपने शब्दों, अपनी वाणी से कभी किसी को कुछ नहीं कहना चाहते।
  • आप मजाक-मजाक में ही ऐसे शब्द बोल जाते हैं जो सीधे चुभते हैं। विधानसभा में फिर वो चाहें चौथी फेल राजा वाली कहानी हो या कोई और हमला, आप सीधा प्रधानमंत्री मोदी पर हमला बोलते हो। क्योंकि आप जानते हो कि पीएम पर हमला करने से पूरी पार्टी तिलमिला जाएगी।। आपने उनकी डिग्रियों को लेकर कई बार सवाल किए हैं, तो ये सब तो कुछ न कुछ सोचकर ही तो करते होंगे न?
  • मैं फिर से ये ही कहूंगा कि हमारी लड़ाई किसी व्यक्ति से नहीं है, किसी एक पार्टी से नहीं है। हमने ये पार्टी किसी व्यक्ति या एक पार्टी से लडऩे और उनसे बदला लेने के लिए नहीं बनाई है। हम यहां देश के लिए आए हैं, व्यवस्था बदलने के लिए आए हैं, हमने व्यवस्था बदली है। हमने दिल्ली के अंदर शिक्षा की व्यवस्था पूरी बदलकर रख दी है, हमने देश को स्वास्थ्य का एक मॉडल दिया है। हमने देश को एक बिजली का मॉडल दिया है, तो हम सिर्फ व्यवस्था बदलने के लिए आए हैं और उसी पर हमारा ध्यान भी है। हमने तो बाकी पार्टियों से भी कहा है कि वो हमें बुलाएं अपने राज्य में हम वहां भी स्कूलों की हालत सुधार देंगे, हम वहां चुनाव भी नहीं लड़ेंगे। आप हमसे सीख लो, आप भी मोहल्ला क्लीनिक बनाओ। इनकी बीस साल से गुजरात में सरकार है, ये 24 घंटे बिजली नहीं दे पाए, हम सिखा देंगे इन्हें, हमसे पूछें। हम पूरा देश जीतने नहीं आए हैं, हमारी असली जीत तब होगी जब पूरा देश तरक्की करेगा।
  • आतिशी बात हो रही है कि स्कूलों की, अस्पतालों की, इतने स्कूल खोल दिए, लेकिन जब आपने पिछली फाइलें उठाकर देखी होंगी तो इससे ज्यादा तो आप लोगों ने शराब की दुकानें खोल दीं।
  • आतीशी- देखिए बाकी पार्टियों की समस्या क्या है कि इन्हें दिल्ली सरकार और आम आदमी पार्टी समझ में नहीं आती है। इनको ये समझ में नहीं आता है कि ये कैसी सरकार है जो 10 साल में अपना बजट दोगुना कर देती है, जो बिजली, पानी, इलाज, अच्छी शिक्षा और बस सेवा सबकुछ फ्री में देती है और फिर भी मुनाफे में रहती है। ये कैसी सरकार है जहां दस साल मुख्यमंत्री रहने के बाद भी अरविंद केजरीवाल ने जब इस्तीफा दिया तो उनके पास अपना घर नहीं था, वो किराए का घर ढूंढ रहे थे। अब अगर ऐसे लोग राजनीति में आएंगे जो सड़कें भी ठीक कर देंगे, अस्पताल भी ठीक कर देंगे, फ्री में शिक्षा, बिजली, पानी सब कुछ देंगे, तो इन बाकी राजनीतिक दलों की तो दुकानें ही बंद हो जाएंगी। इसलिए इन्हें कोई न कोई कहानी तो गढऩी ही थी, तो इन्होंने शराब घोटाले की ये कहानी गढ़ी। अब पूरे देश ने देख लिया कि किस तरह से सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की सारी एजेंसियों पर तमाचा मारा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस कथित शराब घोटाले को लेकर कहा कि ये सभी सरकारी एजेंसियां पिंजरे में बंद पक्षी की तरह हैं और इन्हें स्वतंत्र होना चाहिए। ये पूरा शराब घोटाले का मामला ही इसलिए था कि इस आम आदमी पार्टी को खत्म करो।
  • भाजपा कहती है कि देश में 80 और 20 की लड़ाई है। 80 फीसदी हिंदू है और 20 फीसदी वो मुसलमानों को मानते हैं। लेकिन पहली बार कोई नेता बीजेपी की इस राजनीति में, उनके हिंदू वोटरों में ये पुजारियों के लिए योजना लाकर सेंध लगा रहा है। लगता है बीजेपी को आपसे इसीलिए दिक्कत है और इसीलिए वो आपको चुनावी हिंदू बता रहे हैं?
  • ये उनकी विचारधारा है, हमारी नहीं है। हम अच्छी राजनीति कर रहे हैं, हम स्कूलों और अस्पतालों की राजनीति कर रहे हैं। हम पंडितों और गरीब पुजारियों को तनख्वाह देने की बात कर रहे हैं। हम लक्ष्मी जी की बात करते हैं, गणेश जी की बात करते हैं, हनुमान जी की बात करते हैं, उन पर उनका अधिकार है क्या। रामचंद्र जी हमारे हैं, हनुमान जी हमारे हैं। इन पर उनका अधिकार थोड़े न है। वो रामचंद्र जी के नाम पर राजनीति करते हैं, हम तो दिल से मानते हैं।
  • आप बीजेपी की बिछाई शतरंज पर बैटिंग कर रहे हैं। लोगों का मानना है कि मोदी जी तो एक-दो सालों में रिटायर हो जाएंगे, क्योंकि उनकी उम्र भी हो गई है और पार्टी में भी बगावत उठ रही है। इसलिए अब आरएसएस चाहेगा कि अरविंद केजरीवाल जैसा एक नेता आए जो हिंदू वोट बैंक को संभाल सके।
  •  मेरा वोट बैंक इस देश के 140 करोड़ लोग हैं। मुझे सबसे ज्यादा खुशी तब होगी जब हम देश के हर बच्चे को अच्छी शिक्षा दे पाएं। मुझे खुशी होगी अगर सबको अच्छा इलाज मिल पाए, मुफ्त बिजली मिल पाए, अच्छी सड़कें मिल पाएं, अच्छा इंफ्रास्ट्रक्चर मिल पाए और देश के अंदर हर व्यक्ति अपनी-अपनी श्रद्धा के अनुसार अपने-अपने भगवान की भक्ति करने के लिए स्वतंत्र हो। मैं अगर बालाजी के मंदिर जाता हूं तो लोग कहते हैं कि ये चुनावी हिंदू है, ये क्या बात हुई।
  • लोग कहते हैं शाहीन बाग पर आप चुप हो जाते हैं और मंदिर चले जाते हैं?
  • क्या बोलूं मैं शाहीन बाग पर? वो इनकी राजनीति का हिस्सा है, ये कर रहे हैं राजनीति। मेरी राजनीति काफी अलग है। मेरी ये वाली राजनीति नहीं है। मेरी राजनीति शिक्षा, बिजली, पानी और सड़क वाली है। मेरी वाली राजनीति इनको करना नहीं आता, इसलिए ये वो नहीं करते हैं।
  • प्रधानमंत्री जी ने आपकी ओर इशारा करते हुए बड़ा बयान दिया है कि अन्ना के आंदोलन से कुछ ऐसे लोग पैदा हो गए हैं। अभी तक तो वो अन्ना को बहुमत मानते थे।
  • मैंने प्रधानमंत्री जी का भाषण सुना था। उन्होंने 43 मिनट का भाषण दिया जिसमें से 29 मिनट उन्होंने सिर्फ दिल्लीवालों को गालियां दी हैं। उन्होंने दिल्ली के लोगों, दिल्ली के लोगों द्वारा चुनी हुई सरकार को सिर्फ गालियां दी हैं। आखिर मोदी जी को गालियां देने की जरूरत क्यों पड़ी? क्योंकि उन लोगों ने 10 साल में कोई काम नहीं किया। दिल्ली के अंदर दिल्ली के लोगों ने 2015 में दो सरकारें चुनीं, केंद्र में मोदी जी को और दिल्ली में आम आदमी पार्टी को। दस साल तक हमने इतने काम किए कि मैं आपको गिनाता चला जाउंगा। लेकिन मोदी जी ने पिछले दस साल में एक भी काम नहीं किया। मैंने 500 मोहल्ला क्लीनिक बनाए, वो तो इतने ज्यादा ताकतवर हैं, वो बनाएं 5 हजार मोहल्ला क्लीनिक, किसने रोका है। अगर उन्होंने ऐसा किया होता तो उन्हें केजरीवाल को गाली देने की जरूरत नहीं पड़ती। अगर केजरीवाल कोई लाइन खीची हैं आप उसके सामने उससे बड़ी लाइन खीच दो, तो आपको मुझे गाली नहीं देनी पड़ेगी। आपको केजरीवाल को गालियां इसलिए देना पड़ रहा है क्योंकि आपने कोई काम किया ही नहीं। मैं गालीगलौज नहीं करता हूं, मैं काम की ही बातें करता हूं, आप मेरा कोई भाषण उठाकर देख लीजिए।
  • आपने राहुल गांधी को फोन करके क्यों नहीं कहा कि आप लोग क्यों कर रहे हो ऐसा ?
  • क्या उनको दिख नहीं रहा? उन्हें ये रोकना नहीं चाहिए क्या? ये बिना उनकी सहमति के तो हो नहीं रहा होगा। ऐसा तो नहीं हो सकता कि उन्हें इस बारे मे कुछ पता ही न हो।
  • दिल्ली के चुनाव के बाद आम आदमी पार्टी इंडिया गठबंधन का हिस्सा रहेगी या नहीं?
  • चुनाव के बाद देखते हैं आगे क्या करना है।
  • नतीजे आपके पक्ष में आएंगे तो मुख्यमंत्री आप (आतिशी से) रहेंगी या सिंहासन वापस कर देंगी ?
  • आतीशी- दिल्ली के लोग अरविंद केजरीवाल जी को चुनकर भेजेंगे, तो अरविंद केजरीवाल ही दिल्ली के मुख्यमंत्री बनेंगे। चुनाव ही अरविंद केजरीवाल के नाम पर लड़ा जा रहा है।
  • सत्येंद्र जी आप बताइए आप आर्किटेक्ट रहे हैं, लेकिन पार्टी को कैसे अच्छा बनाया जाए वो कैसे अच्छा काम करे ये अरविंद केजरीवाल को अच्छे से आता है न?
  • देखिए मेन बात है इंटेंट की। जैसा कि केजरीवाल जी ने बताया हमारी सोच साफ है, तो कोई गड़बड़ नहीं होगी। हमारी बात होती है काम की, और बाकियों की बात होती है राजनीति की। उनके पास तो इतनी लंबा-चौड़ा इतिहास है, लेकिन हमारे पास क्या? सिर्फ हमारा काम, स्कूल, अस्पताल, बिजली, पानी, सड़कें, बस।
  • क्या ईगो की लड़ाई है? अगर चुनाव से पहले आप लोग बात कर लेते कि दोनों लोग मिलकर लड़ लेते हैं।
  • ईगो कहां आ गया बीच में। मिलकर लडऩे का सवाल इसलिए नहीं है क्योंकि दिल्ली के अंदर वो परिस्थितियां नहीं हैं कि कांग्रेस के साथ गठबंधन हो। लेकिन आप 24 घंटे सिर्फ आप और केजरीवाल को ही घेर रहे हो। कांग्रेस के नेताओं का एक भी बयान बीजेपी के खिलाफ नहीं आता है। संदीप दीक्षित ने मेरे खिलाफ शिकायत की कि मैं महिला सम्मान योजना के लिए रजिस्ट्रेशन कर रहा हूं। जबकि ऐसा कुछ था ही नहीं। उसी विधानसभा के अंदर बीजेपी के नेता खुलेआम कैश में पैसे बांट रहे हैं, उसकी शिकायत कांग्रेस वाले नहीं करते हैं। मैं नहीं कहता मेरे पक्ष में करें, लेकिन इसका मतलब वो ये तो मान लें कि वो लोग बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। आप ये घोषणा कर दो कि बीजेपी और कांग्रेस दिल्ली से आम आदमी पार्टी को हराने के लिए मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। जनता बेवकूफ नहीं है, जनता देख रही है सबकुछ।
  • ये सारी कवायद इसलिए तो नहीं है कि दिल्ली चुनाव के बाद ये कहा जाने लगे कि अरविंद केजरीवाल इंडिया गठबंधन के संयोजक होंगे?
  • नहीं मुझे नहीं बनना संयोजक। गठबंधन में बहुत बड़े-बड़े नेता हैं, उन सबकी मैं बहुत इज्जत करता हूं। वो सभी नेता मुझसे ज्यादा काबिल भी हैं।
  • आपने कांग्रेस का वोट बैंक खत्म कर दिया है।
  • देखिए दिल्ली में 70 सीटें हैं, लेकिन एक सीट का नाम बताइए जहां आपको ये लग रहा हो कि कांग्रेस जीत रही है या जीतने के लिए लड़ रही है। दिल्ली के वोट बैंक में कांग्रेस के पास अब कोई वोट भी नहीं हैं। कांग्रेस दिल्ली में सिर्फ और सिर्फ आम आदमी पार्टी को हराने के लिए लड़ रही है।
  • चुनाव आयोग के पास आप जितनी शिकायतें कर रहे हैं और जिस तरह से चुनाव आयोग नाकारा बन गया है। आपको क्या लगता है दिल्ली चुनाव को आयोग ईमानदारी से करा पाएगा?
  • हम शाहदरा वाला मामला लेकर जो चुनाव आयोग गए थे, तो हमसे उन्होंने कॉपरेट किया और उनके हस्तक्षेप के बाद ही ये मास डिलीशंस दिल्ली में बंद हुए। अब इन्होंने मेरी विधानसभा टारगेट की है, उसको लेकर अब हम जा रहे हैं। मौजूदा वक्त में हर कोई डरा हुआ है। जज, पत्रकार, ब्यूरेकेट्स, मीडिया यहां तक कि ट्वीट करने वाला एक आम आदमी तक डरा हुआ है।
  • सत्येंद्र जी आपको कई तरफ से लडऩा पड़ रहा है, चुनाव आयोग से लडऩा पड़ रहा है, भाजपा से लडऩा पड़ रहा है और एक और बड़ी ताकत है मीडिया जिससे आपको लडऩा पड़ रहा है।
  • जनता दोनों तरफ की सुनती है। उन्होंने पहले सुनकर लोकसभा में चुन तो दिए न, ये सब ड्रामा और हंगामा करने के लिए उन्होंने लोकसभा के सांसद चुन दिए। अब काम करने वाला भी तो चाहिए है न कोई। दूसरी बात इनके विदेश में डंका और गुजरात विकास का प्रोपेगंडा चल सकता है। लेकिन जब ये दिल्ली में मोहल्ला क्लीनिक को लेकर कोई प्रोपेगंडा चलाएंगे तो नहीं चलेगा, क्योंकि यहां दिल्ली की गरीब जनता जा रही है और उसे इलाज मिल रहा है। लाखों लोगों को पता है कि मोहल्ला क्लीनिक में दवाई भी मिल रही है, डॉक्टर भी बैठा है और फ्री टेस्ट भी हो रहे हैं। 18 लाख बच्चे दिल्ली के सरकारी स्कूलों में बढ़ रहे हैं तो वो 18 लाख परिवार के लोग तो दिल्ली के स्कूलों का हाल देख ही रहे हैं न। वो तो जानते हैं न कि केजरीवाल ने क्या काम किया है। उन्हें मोदी जी कहां से झूठ बता पाएंगे।
  • फिर अगर सरकार बनती है तो एलजी से फिर ऐसे ही झगड़े होते रहेंगे, ऐसे ही कामों में फिर अड़ंगा लगता रहेगा?
  • पिछले दस साल से भी काम तो हो ही रहे हैं न। जितने काम दस साल में दिल्ली के अंदर हुए हैं, उतने काम पिछले 28-30 साल में इनकी सरकार में गुजरात के अंदर नहीं हुए हैं।
  • तो ये माना जाए कि ये बीजेपी का ट्रंप कार्ड है, जो ईवीएम से भी बड़ा है और इसके जरिए खेल उन राज्यों में भी हुआ जहां          चुनाव हुए ?
    य देखिए ये लोग दो तरह के खेल खेल रहे हैं- नाम कटवा रहे हैं दूसरी पार्टियों के, मैंने अपनी विधानसभा में पकड़ा है इन लोगों को, ये न्यूज चैनल के बनकर घर-घर जाते हैं और सर्वे के नाम पर पूछते हैं कि आप किसको वोट देंगे, तो कुछ लोग बताते हैं कुछ नहीं बताते हैं। इसी तरह से आठ-दस हजार वोट कटवाते हैं दूसरी पार्टी के और अपने इतने ही बढ़वा लेते हैं।
  • इस चक्कर में पब्लिक कन्फ्यूज हो जाती है। महाराष्ट्र में जाकर संजय सिंह कह रहे थे कांग्रेस बहुत अच्छी है। अब दिल्ली में आकर कहेंगे कि कांग्रेस बड़ी खराब है, इससे जनता तो कन्फ्यूज है न?
  • अरविंद केजरीवाल- पब्लिक ही नहीं, हम बहुत कन्फ्यूज हैं। लोकसभा के अंदर कांग्रेस के प्रत्याशी के लिए मैंने प्रचार किया, आज कांग्रेस के सारे नेता दिल्ली चुनाव में मुझे हराने में लगे हुए हैं। आप बताओ क्या ये सही है ? महाराष्ट्र में संजय सिंह कांग्रेस के लिए प्रचार करके आए, लेकिन अब वो ही कांग्रेस दिल्ली में बीजेपी के खिलाफ, मोदी जी के खिलाफ हमें हराने में लगी हुई है। क्या ये सही है?
  • हरियाणा-महाराष्ट्र चुनाव के बाद पूरी कांग्रेस ईवीएम का राग अलापती रही, लेकिन अकेले आपने अपनी जासूसी से पता कराकर ये कहा कि खेल ईवीएम में नहीं बल्कि मतदाता सूची में हो रहा है। ये बात कांग्रेस जैसी इतनी बड़ी पार्टी को समझ में नहीं आती, आपको कहां से ये अंदर की खबरें पता चल जाती हैं?
  • मैंने सबूत के साथ बताया है। हमने देखा कि शाहदरा के अंदर एक विधानसभा में भाजपा ने अपने लेटर हेड पर मोहर लगाकर 11 हजार वोटरों के नाम कटवाने की अप्लीकेशन दायर की है। एक भाजपा वाले ने खुद मुझे लाकर वो सूची दी है। अंदर से वो पूरी सूची हमारे पास आ गई और हमने उन 11 हजार में से रैंडम 500 लोगों की जांच कराई तो पता चला कि 378 मौजूद थे अपने घर में और वो सारे आम आदमी पार्टी के वोटर थे। रोहिंग्या-रोहिंग्या चिल्लाते हैं, ये सारे तो पूर्वांचली और दलित थे। यानी कि पूर्वांचली आम आदमी पार्टी के वोट कटवाने की साजिश रच रहे थे ये लोग मैंने सारा का सारा सच मीडिया के सामने लाकर रख दिया।
  • शुरू में आप भी काफी एंग्री यंग मैन थे, आपने आते ही देश के एक बड़े उद्योगपति अंबानी पर एफआईआर दर्ज करा दी थी, फिर देश का एक बड़ा न्यूज चैनल आपके खिलाफ खबरें चला रहा था, आपने उस चैनल के खिलाफ पूरे पेज का एक बड़ा विज्ञापन दे दिया था। लेकिन अब आपने लाइन चेंज कर दी है और थोड़ा सॉफ्ट हो गए हैं। अब आप ऐसा नहीं करते।
  • नहीं ऐसा नहीं है। जो सही है वो सही, जो गलत है वो गलत है। आप जिस वक्त की बात कर रहे हैं उस वक्त एंटी करप्शन ब्रांच हमारे पास होती थी, तो किसी भी किस्म का भ्रष्टाचार होगा तो उस पर हम एक्शन लेंगे। लेकिन अब मोदी जी ने आकर एंटी करप्शन ब्रांच ही छीन ली। हमसे छीनी थी तो आपने आप ही कुछ करते, लेकिन उन्होंने तो उनके साथ हाथ ही मिला लिया।
  • इंडिया गठबंधन के अखिलेश यादव कह रहे हैं हम आम आदमी पार्टी को सपोर्ट करेंगे, ममता बनर्जी कह रही हैं हम केजरीवाल को सपोर्ट करेंगे। इंडिया गठबंधन के जितने भी सहयोगी दल हैं वो कांग्रेस की बजाय आपकी तरफ आ रहे हैं, तो ये माना जाए कि इंडिया गठबंधन का सबसे बड़ा चेहरा आप हैं?
  • ऐसा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि सही हम हैं। सब लोग सही का साथ दे रहे हैं। हम बदमाशी नहीं कर रहे हैं, जबकि कांग्रेस बदमाशी कर रही है। कांग्रेस पीठ पीछे बीजेपी के साथ गठबंधन कर रही है। इसे अखिलेश भी बर्दाश्त नहीं कर सकते, ममता दीदी भी बर्दाश्त नहीं करेंगी, एनसीपी और शिवसेना भी बर्दाश्त नहीं करेंगे, इंडिया गठबंधन का कोई भी दल बर्दाश्त नहीं करेगा।
  • आपको क्या लगता है हरियाणा-महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में भी ये किया गया होगा ?
  • मुझे तो लगता है शायद हुआ है। किसी को इस पर रिसर्च करनी चाहिए। अगर रिसर्च होगी तो ये निकलकर आएगा पक्की बात है।
  • आपकी पार्टी तो अभी उतनी बड़ी भी नहीं है और आधे नेता तो आपके अक्सर जेल में रहते हैं, लेकिन आपसे बड़ी और ताकतवर पार्टी होने के बावजूद कांग्रेस क्यों नहीं कर पाती ये काम ?
  • ये तो आपको उनसे ही पूछना चाहिए।
  • क्या कारण है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ही आम आदमी पार्टी को खत्म करना चाहते हैं ?
  • वो दोनों एक ही व्यवस्था का हिस्सा हैं, जिस व्यवस्था में बहुत सारी समस्याएं हैं। आम आदमी पार्टी उस व्यवस्था को चैलेंज कर रही है। हमने उस सिस्टम को हिलाया है, इसीलिए हम लोग जेल गए हैं। वो दोनों पार्टियां एक-दूसरे सहमत हैं। आम आदमी पार्टी को दोनों पार्टियां समाप्त करना चाहती हैं।
  • अब मौलवियों को भी कुछ देने की योजना है क्या आपकी ?
  • सारे देते हैं मौलवियों को। आपके उत्तर प्रदेश में भी दे रहे हैं। वहां भी वक्फ बोर्ड देता है यहां भी वक्फ बोर्ड दे रहा है। हरियाणा में 16 हजार देता है वक्फ बोर्ड। लेकिन पुजारियों को रुपए देने वाला देश का इकलौता राज्य दिल्ली है। मौलवियों को देने वाले सारे राज्य हैं।
  • आप इंडिया गठबंधन में शामिल हुए और इंडिया गठबंधन से ही लड़ाई लड़ ली। कांग्रेस तो आजकलनाराज है आपसे ?
    इनहीं, हमने कहां लड़ाई लड़ ली। नेशनल लेवल पर हमारा गठबंधन था। राज्य स्तर पर हर पार्टी अपना-अपना चुनाव लड़ रही है। किसी राज्य में इंडिया गठबंधन की कुछ पार्टियां साथ आएंगी, किसी राज्य में नहीं आएंगी। वो हर राज्य में अलग-अलग निर्भर करता है।
  • केजरीवाल जी जब किसी परिवार के साथ ऐसा कुछ होता है एक पढ़ा लिखा इंजीनियर, एक आईआरएस बढिय़ा नौकरी करके राजनीति में आया और फिर अचानक जेल चला गया। तो परिवार पर क्या बीतती है? आपके बुजुर्ग माता-पिता हैं, पत्नी हैं और खासकर बच्चे जो छोटे हैं, वो जो दर्द है वो आपसे ज्यादा परिवार ने महसूस किया होगा? क्या आपको कोई दुख होता है?
  • जी बिल्कुल दर्द तो परिवार ने ज्यादा झेला, लेकिन गिल्ट या पक्षतावा किस बात का। जब आप इस रस्ते पर चलते हैं तो गिल्ट क्या। देखिए हम तो आजाद भारत में पैदा हुए हैं, इतनी सुविधाएं हैं, इतने अधिकार हैं। हम सौभाग्यशाली हैं कि ऐसे खुशहाल परिवार में पैदा हुए हैं जहां सारी सुविधाएं हैं। लेकिन आप उन लोगों की सोचों भगत सिंह की, चंद्रशेखर आजाद की, जिन्होंने देश को आजादी दिलाई थी। जब वो लोग आजादी के आंदोलन में कूदे होंगे तो उनके परिवारों पर क्या बीती होगी। हमारे परिवार पर बीती लेकिन जब हम राजनीति में आए तो हमारे परिवारों को पता था कि हम राजनीति में जा रहे हैं, जहां कुछ भी हो सकता है। हमने ऐसे-ऐसे काम किए हैं जिससे इतने सालों से देश को लूटने वाले लोगों को नुकसान हुआ है। तो ऐसे लोग चुप तो नहीं बैठेंगे।
  • केजरीवाल जी ऐसा माना जाता है कि इंसान जो करता है उसकी शुरूआत उसकी कॉलेज लाइफ में ही हो जाती है। हर कोई आपके दिमाग की बहुत तारीफ करता है, बीजेपी वाले भी ये कहते हैं कि अरविंद केजरीवाल के दिमाग में क्या चल रहा है ये कोई नहीं जान सकता। तो ये सब आपके दिमाग में कहां से आता है और कैसे आपका दिमाग इतनी तेज चलता है?
  • देखिए हमारी विचारधारा एक है और बाकी सबसे अलग है। हम सब देश के लिए कुछ करने आए हैं, हमें अपने लिए कुछ नहीं चाहिए। अगर हमारी पार्टी में किसी को ये लगता कि केजरीवाल पैसे बना रहा है, केजरीवाल पर लगे आरोप सही हैं, तो जब तक मैं जेल से बाहर आता पूरी पार्टी टूटकर बिखर चुकी होती। आज सब लोग पार्टी में इसलिए एकजुट हैं क्योंकि सबकी नीयत साफ है और सबकी विचारधारा एक है। जब मैं जेल से बाहर आया और आतिशी का नाम सीएम बनाने के लिए लाया, तो सबने हमसे कहा कि अरे ये क्या कर रहे हो, तुम्हारे साथ भी नीतीश कुमार की तरह हो जाएगा वगैरह-वगैरह। लेकिन हमें डर की कोई जरूरत ही नहीं है, क्योंकि सबकी नीयत साफ है, सबकी विचारधारा एक ही है। कोई यहां पैसे कमाने नहीं आया, कोई यहां पद के लिए नहीं आया। सब एक ही मकसद से काम कर रहे हैं। बस सबकी जिम्मेदारियां अलग-अलग हैं, लेकिन नीयत सबकी साफ है। अंत में सारी चीजें नीयत पर ही आ जाती हैं, जो हमारी साफ है।

Related Articles

Back to top button