बेशर्मी पर आई BJP, Nitish की गलती पर डाला पर्दा, कहा-युवती..जहन्नुम में जाए
भाजपा नेतृत्व NDA नेता सत्ता के नशे में इस कदर चूर हो चुके हैं कि अब शायद उन्हें अपनी सरकार बचाने की सनक के आगे सही और गलत में कोई फर्क करना ही नहीं आ रहा है...सही गलत तो छोड़िए...महिलाओं का सम्मान करना भी अब BJP नेताओं को नागवार गुजर रहा है...

4पीएम न्यूज नेटवर्क: भाजपा नेतृत्व NDA नेता सत्ता के नशे में इस कदर चूर हो चुके हैं कि अब शायद उन्हें अपनी सरकार बचाने की सनक के आगे सही और गलत में कोई फर्क करना ही नहीं आ रहा है…सही गलत तो छोड़िए…महिलाओं का सम्मान करना भी अब BJP नेताओं को नागवार गुजर रहा है…
दरअसल, बिहार में एक कार्यक्रम में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नुसरत परवीन का बुर्का खींच दिया था…जिसे लेकर पूरे देश में सीएम नीतीश कुमार की इस शर्मनाक करतूत के खिलाफ विरोध देखने को मिला…यही नहीं बात तो सीएम नीतीश कुमार के पद को लेकर भी उठ रही है…जिसकी वजह से अब बिहार NDA और BJP नेताओं की ओर से अब नीतीश कुमार की गलती पर पर्दा डाला जा रहा है…तो आखिर सीएम नीतीश की इस हरकर को लेकर लोगों का किस कदर फूटा गुस्सा और कैसे भाजपा ने सीएम नीतीश कुमार की शर्मनाक हरकत पर पर्दा डालने की करी कोशिश.
15 दिसंबर को पटना में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा एक युवती का नकाब खींचने की घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया…मंच पर बैठे एक संवैधानिक पद पर आसीन मुख्यमंत्री का इस तरह किसी महिला के पहनावे को छूना…वो भी कैमरों के सामने…सिर्फ एक गलती नहीं…बल्कि सत्ता के अहंकार और संवेदनहीनता का खुला प्रदर्शन माना गया….वीडियो वायरल होते ही सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक विरोध शुरू हो गया….सवाल उठने लगे कि क्या किसी महिला की व्यक्तिगत आस्था और सम्मान से बड़ा सत्ता का प्रदर्शन हो सकता है?……..
नीतीश कुमार को लंबे समय से सुशासन बाबू कहा जाता रहा है…लेकिन ये घटना सुशासन बाबू की उस पूरी छवि पर एक बड़ा सवाल खड़ा करती है…..क्योंकि, अगर यही काम कोई आम व्यक्ति करता….या विपक्ष करता…तो कानून तुरंत हरकत में आता…लेकिन जब मुख्यमंत्री ऐसा करते हैं…तो सत्ता उन्हें ढाल बनाकर बचाने में जुट जाती है….ये सिर्फ एक महिला के बुर्का खींचने का मामला नहीं…बल्कि ये दिखाता है कि सत्ता में बैठे लोग खुद को कानून और मर्यादा से ऊपर समझने लगे हैं…
भारत का संविधान हर नागरिक को व्यक्तिगत स्वतंत्रता और धार्मिक आज़ादी देता है…किसी महिला का बुर्का पहनना उसका निजी फैसला है…ऐसे में एक मुख्यमंत्री का उसे सार्वजनिक मंच पर छूना…वो भी बिना सहमति…सीधे-सीधे महिला गरिमा का उल्लंघन है….ऐसे में सवाल ये है कि क्या सीएम नीतीश कुमार ये भूल गए कि वो किसी पार्टी के नेता नहीं, बल्कि पूरे राज्य के मुख्यमंत्री हैं?…..
वहीं इस पूरे मामले में बीजेपी की भूमिका भी सवालों के घेरे में है….जो पार्टी महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान पर बड़े-बड़े भाषण देती है…वो इस घटना पर शुरू में पूरी तरह चुप रही…अगर यही घटना किसी गैर-एनडीए शासित राज्य में होती….तो बीजेपी सड़कों पर उतरकर इस्तीफे की मांग कर रही होती….लेकिन चूंकि मामला एनडीए के एक बड़े चेहरे से जुड़ा है…इसलिए नैतिकता अचानक गायब हो गई…….जब मामला ठंडा पड़ने की बजाय और गरमाया…..तब केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का बयान सामने आया…जिसमें उन्होंने कहा कि…नीतीश कुमार ने कुछ भी गलत नहीं किया। अगर वो नियुक्ति पत्र बांट रहे थे, तो क्या कोई हिजाब पहनकर नियुक्ति पत्र लेगा?… आजकल हर चीज़ को इस्लाम से जोड़ने की नई परंपरा हो गई है…
यही नहीं केंद्रीय मंत्री संजय निषाद ने तो ये तक कह दिया था कि…नकाब छू दिया तो इतना हो गया है….कहीं कुछ और छूते तब क्या हो जाता?….दोस्तों, सोचिए…इस पूरे मामले के चलते नुसरत परवीन का पूरा करियर बर्बाद हो गया…जिस नौकरी के लिए उसने सालों से मेहनत की थी….वो मेहनत मिट्टी में मिल गई….और ऐसे में मोदी सरकार में मंत्रियों की ओर से ऐसे बयान दिए जा रहे हैं….ये बयान न सिर्फ असंवेदनशील है…बल्कि महिला विरोधी सोच को भी उजागर करता है…एक केंद्रीय मंत्री द्वारा इस तरह की भाषा का इस्तेमाल ये दिखाता है कि सत्ता के शीर्ष पर बैठे लोगों में जरा भी आत्ममंथन की इच्छा नहीं है….गिरिराज सिंह के बयान का सबसे खतरनाक पहलू ये है कि इसमें पीड़िता को ही दोषी ठहराने की कोशिश की गई….ये वही सोच है…
जिसमें महिलाओं से कहा जाता है कि अगर कुछ गलत हुआ….तो गलती तुम्हारी है….विपक्ष ने इसे पीड़िता को शर्मिंदा करने वाली राजनीति करार दिया है…..अब सवाल उठता है कि क्या बीजेपी महिलाओं को सिर्फ वोट बैंक के रूप में देखती है?…..घटना के बाद कांग्रेस, आरजेडी, वाम दलों और टीएमसी समेत कई विपक्षी दलों ने नीतीश कुमार से माफी और इस्तीफे की मांग की…कांग्रेस ने कहा कि नीतीश कुमार को इस घटिया हरकत के लिए तुरंत इस्तीफ़ा देना चाहिए। ये घटियापन माफी के लायक नहीं है…वहीं आरजेडी ने इसे नीतीश कुमार की मानसिक स्थिति से जोड दिया……..
बीजेपी अक्सर बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा देती है…लेकिन जब बात व्यवहार की आती है…तो वही पार्टी अपने नेताओं के गलत आचरण को सही ठहराने में लग जाती है…गिरिराज सिंह का बयान ये साबित करता है कि सत्ता में बैठे लोग महिलाओं को बराबरी का नागरिक नहीं, बल्कि नियंत्रित किए जाने वाली वस्तु मानते हैं…ये मामला सिर्फ महिला सम्मान तक सीमित नहीं है…बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता का भी है…बुर्का किसी पर थोपा हुआ नहीं, बल्कि एक व्यक्तिगत आस्था का विषय है…एक मुख्यमंत्री द्वारा उसका मज़ाक उड़ाना या उसे हटाने की कोशिश करना, संविधान की मूल भावना के खिलाफ है…
वहीं इस पूरे विवाद में सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि न तो नीतीश कुमार ने स्पष्ट रूप से माफी मांगी और न ही बीजेपी ने अपने मंत्री के बयान पर कोई कार्रवाई की…जोकि, सत्ता के उस अहंकार को दिखाता है…जहां जवाबदेही सिर्फ आम लोगों के लिए होती है…नेताओं के लिए नहीं….सोशल मीडिया पर पर भी लोग नीतीश कुमार की इस हरकत का विरोध कर रहे हैं…लाखों लोगों ने वीडियो शेयर कर सवाल उठाए कि अगर यही काम किसी आम आदमी ने किया होता, तो क्या वह अब तक जेल में नहीं होता?…….
अहमदाबाद में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ लोगो ने सड़को पर उतरकर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया…और उनके खिलाफ रैली निकाली……लगातार हो रहे विरोध से ये घटना एनडीए की नैतिक गिरावट का प्रतीक बन गई है….जहां एक ओर मुख्यमंत्री नीतीश कुनार की हरकत…वहीं दूसरी ओर केंद्रीय मंत्री का बचाव….ये दोनों मिलकर ये संदेश देते हैं कि सत्ता में बैठे लोगों के लिए कानून और नैतिकता अलग-अलग हैं…
विपक्ष ने साफ कहा है कि महिलाओं के सम्मान से समझौता किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा…आखिर में सवाल यही है कि क्या सिर्फ एक औपचारिक सफाई से मामला खत्म हो जाएगा?….या फिर देश ये उम्मीद करे कि सत्ता में बैठे लोग अपनी जिम्मेदारी समझेंगे?….नुसरत परवीन का नकाब खींचना एक महिला का अपमान था और उसे सही ठहराना पूरे समाज का अपमान है….अगर लोकतंत्र में सच में महिलाओं का सम्मान है….तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह दोनों को अपने शब्दों और व्यवहार की जवाबदेही लेनी है….



