अपने मनसूबे में सफल हुई बीजेपी, एकनाथ शिंदे का खत्म हुआ युग, पार्टी टूटने की बारी!

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे जारी होने के बाद से जारी राजनीतिक उठा-पटक के बीच देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए हैं...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे जारी होने के बाद से जारी राजनीतिक उठा-पटक के बीच देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बन गए हैं… और उनके सहयोगी अजित पवार और एकनाथ शिंदे डिप्टी सीएम बन गए है…. बता दें कि बीजेपी काफी जद्दोजहद के बीच अपने मनसूबे में सफल हो गई है… और सत्ता में आने के बाद से उसकी तोड़ो की राजनीति में एक बाक फिर सफल हो गई है… बता दें कि महाराष्ट्र की राजनीति में ऐसा पहली बार हुआ है… जब एक जीती हुई पार्टी के सीटिंग सीएम को उसके पद से हटा दिया गया है… और दूसरे नेता को सीएम बनाया गया है… बता दें कि इसी के साथ एकनाथ शिंदे के करियर पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं… आपको बता दें कि बीजेपी ने अपनी रणनीति के तहत बीजेपी ने पहले शिंदे से सीएम पद छीन लिया है… अब धीरे-धीरे पार्टी को खत्म करने की योजना बनाई जा रही है… जिसके चलते शिंदे हमेशा बीजेपी के रहमों करम पर चलने के लिए मजबूर रहेंगे और फिर कभी दोबारा महाराष्ट्र के सीएम नहीं बन पाएंगे… जिससे साफ है कि बीजेपी एक बार फिर अपने मनसूबों में पास हो गई है,.,, बीजेपी की तोड़ो नीति काम कर गई है…. और एकनाथ शिंदे जीत कर भी हार गए है…

इस बीच शिवसेना नेता संजय राउत ने एकनाथ शिंदे को लेकर बयान दिया है…. आपको बता दें कि संजय राउत ने कहा कि एकनाथ शिंदे का युग खत्म हो गया है…. उनका युग दो साल का ही था….. उनकी जरूरत थी, अब पूरी हो गई है…. अब उनको फेंक दिया गया है…. अब शिंदे इस राज्य में कभी मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे…. ये लोग शिंदे की पार्टी भी तोड़ सकते हैं…. बता दें कि संजय राउत ने कहा कि ये बीजेपी की हमेशा से स्ट्रैटेजी रही है…. कि वे जिनके साथ काम करते हैं…. उनकी पार्टी तोड़ देते हैं…. अब देवेंद्र फडणवीस इस राज्य के मुख्यमंत्री होंगे…. उनके पास बहुमत है…. बहुमत होने के बावजूद ये पंद्रह दिन तक सरकार नहीं बना पा रहे थे….. इसका मतलब है कि पार्टी के अंदर या महायुति में कुछ न कुछ गड़बड़ है… और कल से ये गड़बड़ आपको दिखने लगेगी….. ये महाराष्ट्र या देशहित के लिए काम नहीं कर रहे…. ये अपने स्वार्थ के लिए एक साथ आए हैं….

आपको बता दें कि चुनाव नतीजे आने के लगभग डेढ़ हफ्ते तक मुख्यमंत्री पद को लेकर सस्पेंस बना रहा….. बताया जा रहा था कि एकनाथ शिंदे दोबारा मुख्यमंत्री बनना चाहते थे…. हालांकि, महायुति की सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते बीजेपी अपना मुख्यमंत्री चाहती थी…. और हुआ भी ऐसा ही…. आखिरकार बुधवार को देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री चुन लिया गया…. हालांकि शिवसेना दोबारा एकनाथ शिंदे को ही सीएम बनाना चाहती थी….. शिवसेना का तर्क था कि शिंदे सरकार की नीतियों की वजह से ही चुनाव में महायुति ऐसा प्रदर्शन कर सकी है….. वहीं अब एकनाथ शिंदे को डिप्टी सीएम पद का ऑफर दिया गया…. बताया जा रहा है कि शिंदे डिप्टी सीएम की पोस्ट के साथ-साथ गृह मंत्रालय भी चाह रहे थे…. लेकिन गृह मंत्रालय बीजेपी के पास ही रहने की बात कही जा रही है…. बताया जा रहा है कि शिंदे ने नाराज होकर साफ कर दिया था… कि अगर गृह मंत्रालय नहीं मिलता है तो वो सरकार में शामिल नहीं होंगे…. इस पर फडणवीस ने उनसे चर्चा भी की थी… और भरोसा दिलाया था कि वो उनकी मांग पर आलाकमान से चर्चा करेंगे….

बता दें कि महाराष्ट्र के निवर्तमान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को उपमुख्यमंत्री पद स्वीकार करने के लिए मनाया जा रहा था…. और एकनाथ शिंदे शिवसेना प्रमुख भी हैं….. चुने गए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उन्हें अपना डिप्टी बनाने की कोशिश कर रहे थे….. महाराष्ट्र के इतिहास में कई पूर्व मुख्यमंत्री बाद में मंत्री या उपमुख्यमंत्री बने हैं…. राजनीतिक परिस्थितियों या सत्ता के लालच के कारण ऐसा हुआ है…. शिंदे के सामने भी यही विकल्प है…. वह इस ‘परंपरा’ को अपना सकते हैं…. या गठबंधन की राजनीति को खतरों का सामना कर सकते थे…. वहीं एकनाथ शिंदे की तरह, महाराष्ट्र के कम से कम दो पूर्व मुख्यमंत्रियों ने भी अपने दल/गठबंधन को चुनावी जीत दिलाने के बावजूद शीर्ष पद खो दिया था…. फडणवीस शिंदे के नेतृत्व में उपमुख्यमंत्री के रूप में काम करने के बाद वापसी की हैं…. महाराष्ट्र में पूर्व मुख्यमंत्रियों द्वारा अन्य मंत्रालयों में मंत्री पद स्वीकार करने की शुरुआत उन्नीस सौ सत्तर के दशक में हुई थी….. कांग्रेस के दिग्गज एस.बी. चव्हाण, जिन्हें इंदिरा गांधी ने उन्नीस सौ पचहत्तर ले लेकर उन्नीस सौ सतहत्तर (आपातकाल) के दौरान राज्य का मुख्यमंत्री चुना था…. और इंदिरा गांधी ने यह परंपरा शुरू की थी….

वह दौर और था… तब देश को आजाद हुए ज्यादा समय नहीं हुआ था… देश तमाम विषम परिस्थियों का सामना कर रहा था… और देश को आगे बढ़ाने के लिए एक शिशु की तरह देखभाल और परवरिस की जरूरत थी… लेकिन यह दौर अलग है…. उसके बाद भी बीजेपी ने एकनाथ शिंदे को किनारे कर दिया है… और देवेंद्र फडणवीस को एक बार फिर से राज्य के सत्ता की कमान सौंप दिया है… वहीं शिंदे के पास भी कोई दूसरा विकल्प नहीं है… जिसके चलते शिंदे ने बिना मन के बीजेपी के सामने अपना हथियार डाल दिया है…. और घर चले गए टेंशन में बीमार भी हो गए… लेकिन उसका भी कोई फायदा नहीं मिला है… और बीजेपी ने शिंदे को किनारे कर दिया है… आपको बता दें कि वसंतदादा पाटिल द्वारा मुख्यमंत्री पद से हटाए जाने के एक साल से भी कम समय बाद, चव्हाण मंत्री बनने के लिए तैयार हो गए…. उस समय सैंतीस वर्षीय शरद पवार ने कांग्रेस (यू)-कांग्रेस (आई) गठबंधन को तोड़कर अपनी पहली (पीडीएफ) सरकार बनाई थी…. और उन्होंने जनता पार्टी के साथ गठबंधन किया था…. दिलचस्प बात यह है कि पवार इससे पहले चव्हाण सरकार में मंत्री रह चुके थे…. और चव्हाण उन्नीस सौ अस्सी के दशक में फिर से मुख्यमंत्री बने….

आपको बता दें कि उन्नीस सौ अस्सी के दशक के मध्य में कांग्रेस के मुख्यमंत्री शिवाजीराव पाटिल नीलंगेकर दो हजार तीन में मुख्यमंत्री सुशील कुमार शिंदे के अधीन मंत्री बने….. कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण न केवल दो बार मुख्यमंत्री बने….. बल्कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के अधीन मंत्री भी रहे…. शिवसेना के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे कांग्रेस की तीन सरकारों में मंत्री रहे…. ये सरकारें विलासराव देशमुख, शिंदे और अशोक चव्हाण के नेतृत्व में थीं…. बता दें कि शिंदे ने महायुति के अपने मुख्यमंत्री पद के बावजूद शीर्ष पद खो दिया है…. दो पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी इसी तरह के हालात का सामना करना पड़ा था…. दो हजार नौ में सुशील शिंदे के नेतृत्व में कांग्रेस-एनसीपी सरकार के सत्ता में बने रहने के बाद….. उन्हें देशमुख की वापसी के लिए मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा…. इसी तरह, दो हजार उन्नीस में फडणवीस के नेतृत्व वाली भाजपा-शिवसेना सरकार के सत्ता में बने रहने के बावजूद….. वो चार दिनों के लिए शपथ लेने के बाद भी मुख्यमंत्री नहीं रह सके…. शिवसेना ने कांग्रेस-एनसीपी के साथ मिलकर एमवीए सरकार बनाई…

आपको बता दें कि देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर रहे थे…… इस दौरान एकनाथ शिंदे से पूछा गया कि क्या वो भी शपथ लेंगे…. और उन्होंने कहा कि सब्र रखिए…. सब मालूम पड़ जाएगा…. इसी दौरान अजित पवार ने कहा कि मैं तो शपथ लेने वाला हूं…. उनके इतना बोलते ही सब हंसने लगे…. इसके बाद शिंदे ने टिप्पणी की…. और उन्होंने कहा कि अजित दादा को सुबह भी शपथ लेने का अनुभव है… और शाम को भी…. एकनाथ शिंदे साल हो हजार उन्नीस के उस समय की बात कर रहे थे…. जब अजित पवार ने देवेंद्र फडणवीस के साथ राजभवन में सुबह-सुबह शपथ ली थी….. लेकिन फडणवीस-पवार सरकार केवल तीन दिन ही चली…. क्योंकि पवार एनसीपी के पर्याप्त विधायकों का समर्थन पाने में विफल रहे….. उस समय एनसीपी के अध्यक्ष शरद पवार थे…. हालांकि, अजित इसके बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी सरकार में उपमुख्यमंत्री बने….. शिंदे की बगावत के कारण ठाकरे सरकार गिरने के बाद…. अजित पवार एक बार फिर सबको चौंकाते हुए शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में उपमुख्यमंत्री बने…. साल हो हजार चौदह से पहले कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन की पंद्रह साल तक चली सरकार के दौरान अजित पवार दो बार उपमुख्यमंत्री रहे थे….. हालांकि मुख्यमंत्री का पद हमेशा उनसे दूर रहा है….

 

 

 

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