बीजेपी को डबल इंजन से मिली ट्रिपल इंजन की चाबी, एमसीडी में भी वर्चस्व कायम करेगी भगवा ब्रिगेड

नई दिल्ली। दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को करारी मात खानी पड़ी है. 1998 के बाद सत्ता में लौटी बीजेपी ने डबल इंजन सरकार बना ली है, लेकिन असली मिशन दिल्ली में ट्रिपल इंजन की सरकार बनाने का है. दिल्ली की सत्ता से बेदखल होते ही आम आदमी पार्टी के लिए दिल्ली के नगर निगम पर अपने वर्चस्व को बचाए रखने की चुनौती खड़ी हो गई है. दिल्ली विधानसभा चुनाव के साथ ही नगर निगम के समीकरण के भी बदल गए हैं. केंद्र की सत्ता पर बीजेपी पहले से ही हावी है और अब दिल्ली में सरकार बनाने के बाद अगला टारगेट दिल्ली नगर निगम है.
दिल्ली चुनाव के नतीजों का सबसे पहला इफेक्ट नगर निगम (एमसीडी) पर पड़ता दिख रहा है. 2022 में आम आदमी पार्टी ने बीजेपी के हाथों से दिल्ली नगर निगम छीन ली थी, लेकिन ढाई साल के बाद सियासी समीकरण बदलते नजर आ रहे हैं. दिल्ली के 11 नगर निगम पार्षद विधानसभा चुनाव जीतने में सफल रहे हैं, जिसके चलते जल्द ही उनकी सीटों पर चुनाव होंगे. ऐसे में बीजेपी नगर निगम उपचुनाव में क्लीन स्वीप करने में कामयाब रहती है तो आम आदमी पार्टी के हाथों से दिल्ली के बाद एमसीडी भी निकल जाएगी?
एमसीडी की 11 सीटें हुईं खाली
दिल्ली नगर निगम के 17 पार्षदों ने विधानसभा चुनाव में किस्मत आजमाई थी. जिसमें 10 पार्षद विधायक बनने में कामयाब हो गए हैं. बीजेपी ने अपने 11 पार्षदों को विधानसभा का चुनाव लड़ाया था, जिसमें सात विधायक चुने गए हैं. इसके अलावा आम आदमी पार्टी ने अपने छह पार्षदों को विधानसभा चुनाव में उतारा था, जिसमें से तीन पार्षद विधायक बन गए हैं. बीजेपी की एक पार्षद पहले ही लोकसभा सांसद चुनी जा चुकी है, वो कमलजीत सहरावत थी. इस तरह दिल्ली नगर निगम की 11 पार्षद सीटें खाली हो गई हैं.
बीजेपी के टिकट पर जो पार्षद विधानसभा चुनाव जीते हैं, उसमें मुंडका से गजेंद्र दराल, शालीमार बाग से रेखा गुप्ता, वजीरपुर से पूनम शर्मा, नजफगढ़ से नीलम पहलवान, राजेंद्र नगर से उमंग बजाज, संगम विहार से चंदन चौधरी,विनोद नगर से रविंदर सिंह नेगी, ग्रेटर कैलाश से शिखा राय हैं. से सभी बीजेपी के पार्षद अब विधायक बन गए हैं.
आम आदमी पार्टी से जो तीन पार्षद विधायक चुने गए हैं, उसमें देवली से प्रेम चौहान, मटिया महल से आले मोहम्मद इकबाल और चांदनी चौक से पुनरदीप साहनी का नाम शामिल है. इसके अलावा मनोनीत पार्षद राजकुमार भाटिया बीजेपी के टिकट पर आदर्श नगर से विधानसभा चुनाव जीते हैं. इस तरह से इनकी पार्षद सीटें खाली हो रही हैं.
कैसे बदला एमसीडी का सीन
दिल्ली नगर निगम में कुल पार्षद की सीटें 250 हैं, जिसमें से एक पार्षद सांसद और 10 पार्षद विधायक बन गए हैं. इस तरह से निगम में 239 पार्षद बचे हैं, जिसमें आम आदमी पार्टी के 119, बीजेपी के 113 और कांग्रेस के सात पार्षद हैं. इस तरह बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच सिर्फ छह पार्षद का अंतर है. एमसीडी की रिक्त हुई 11 पार्षद सीटों में से बीजेपी अगर अपनी सीटें बरकरार रखती है और आम आदमी पार्टी के कब्जे वाली तीनों ही सीटें जीतने में कामयाब हो जाती है तो फिर नगर निगम का सीन ही बदल जाएगा.
विधायक बने पार्षदों को अगले 15 दिन के अंदर एक पद चुनने के कारण दूसरे से त्यागपत्र देना होगा. सहरावत पहले ही पार्षद पद से त्याग पत्र दे चुकी हैं, जिसके चलते उनकी सीट रिक्त है. लोकसभा चुनाव व विधानसभा चुनाव के मध्य समय कम होने से राज्य चुनाव आयोग ने गत वर्ष रिक्त हुए एक पार्षद वार्ड का उपचुनाव नहीं कराया था. उसका मानना था कि विधानसभा चुनाव में भी कुछ पार्षदों को टिकट मिल सकता है और विधायक बनने पर वार्ड रिक्त होंगे. इस तरह सभी रिक्त वार्डों के एक साथ चुनाव कराए जाएं तो बेहतर होगा.
11 पार्षद सीटों पर होगा उपचुनाव
एमसीडी के रिक्त वार्डों के उपचुनाव की अधिसूचना जारी होते ही दिल्ली में एक बार फिर कामकाज ठप हो जाएगा, क्योंकि आचार संहिता लागू होने से दिल्ली सरकार और एमसीडी कोई भी नीतिगत फैसले नहीं ले सकेंगी. चांदनी चौक, चांदनी महल, दक्षिणपुरी, मुंडका, शालीमार बाग बी, अशोक विहार, दिचाऊं कलां, नारायणा, संगम विहार, ग्रेटर कैलाश, विनोद नगर और द्वारका बी एमसीडी वार्ड में उपचुनाव होंगे. बीजेपी और आम आदमी पार्टी दोनों के लिए निगम पार्षद की सीटों के उपचुनाव पर फोकस होगा.
बीजेपी का टारगेट, ट्रिपल इंजन की सरकार
केंद्र की सत्ता पर बीजेपी पहले ही काबिज है और अब दिल्ली की सत्ता अपने नाम कर ली है. ऐसे में अब उसका फोकस दिल्ली नगर निगम में वापसी करने का है. दिल्ली की सत्ता से बीजेपी भले ही 27 साल तक दूर रही हो, लेकिन इस दौरान नगर निगम पर 15 साल तक उसका कब्जा रहा है. 2022 में आम आदमी पार्टी ने बीजेपी के हाथों से नगर निगम छीन लिया था, लेकिन विधानसभा चुनाव नतीजे के बाद दोबारा से उसके वापसी की उम्मीद जाग गई है. दिल्ली में अब बीजेपी की डबल इंजन की सरकार का रास्ता बनते ही नगर निगम की सत्ता की चाबी भी मिल गई है.
बीजेपी अब बिना किसी तोडफ़ोड़ के अप्रैल में होने वाले महापौर और उपमहापौर के चुनाव में बाजी मार अपने नाम कर सकती है. इससे दिल्ली में पहली बार बीजेपी की ट्रिपल इंजन की सरकार बन जाएगी. दिल्ली चुनाव जीतने से बीजेपी को सत्ता की चाबी मिल गई है,क्योंकि सत्ताधारी पार्टी के विधायक को विधानसभा अध्यक्ष बनने का मौका मिलेगा और वो ही अपने विवेक से नगर निगम में 14 विधायकों को सदस्य मनोनीत करेगा. आम आदमी पार्टी सरकार में अभी तक की परंपरा के अनुसार सत्तारूढ़ पार्टी के विधायकों को अधिकतम संख्या में मनोनयन किया जाता रहा है.
अगला मेयर बीजेपी का होगा?
दिल्ली में अगर 14 मनोनीत सदस्यों में 13 विधायक भी बीजेपी के नगर निगम में मनोनीत होते हैं, तो भी पार्टी एमसीडी का बहुमत हासिल कर लेगी. अगर 14 में से 13 विधायक ही बीजेपी के नगर निगम में मनोनीत होकर आते हैं. इस तरह 7 लोकसभा सांसदों और 13 विधायकों से बीजेपी के नगर निगम में कुल सदस्यों की संख्या 131 हो जाएगी. वहीं, आम आदमी पार्टी के पास 119 पार्षद हैं और तीन राज्यसभा सदस्यों और एक विधायक मनोनीत होता है तो आम आदमी पार्टी के सदस्यों की संख्या 123 हो जाएगी.
कांग्रेस के 7 सदस्यों को भी अगर आम आदमी पार्टी के साथ जोड़ देते हो तो यह संख्या 130 ही पहुंचती है. इस तरह से बीजेपी दिल्ली में अपना अगला मेयर बनाना आसान हो जाएगा.
नगर निगम में हर साल अप्रैल में महापौर का चुनाव होता है. 2022 में एमसीडी में आम आदमी पार्टी की सरकार बनी थी. आम आदमी पार्टी तीन बार अपना मेयर बना चुकी है और चौथे वर्ष में कोई भी पार्षद बीजेपी का प्रत्याशी होगा, वह चुनाव आसानी से न केवल महापौर का चुनाव जीत जाएगा, बल्कि उपमहापौर का चुनाव भी जीत सकती है. इसके अलावा रिक्त सीटों के उपचुनाव अगर जीतती है तो उसकी स्थिति और भी मजबूत हो जाएगी.

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