BJP ने गुजराती भाईयों को ही कर दिया बर्बाद, डेटा देखकर पीटेंगे माथा

आयकर विभाग के अनुसार... झारखंड में 20% लोग सालाना 12-50 लाख कमाते हैं... जबकि गुजरात में यह 7% है... झारखंड का मध्यम वर्ग बढ़ रहा है...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों भारत एक ऐसा देश है….. जहां आर्थिक विकास की कहानियां हर राज्य में अलग-अलग रंग दिखाती हैं…… एक तरफ गुजरात को हमेशा से ‘विकास का मॉडल’ कहा जाता है……. जहां बड़े उद्योग, बंदरगाह और निवेश की वजह से अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ी है……. दूसरी तरफ झारखंड जैसे राज्य जो खनिज संपदा से भरपूर हैं……. लेकिन गरीबी और पिछड़ेपन से जूझते रहे हैं……. लेकिन हाल ही में आयकर विभाग के जारी किए गए आंकड़ों ने एक चौंकाने वाली तस्वीर पेश की है…… इन आंकड़ों के मुताबिक झारखंड में 20 प्रतिशत से ज्यादा करदाता सालाना 12 लाख से 50 लाख रुपये की आय वाले समूह में आते हैं…… जबकि गुजरात में यह आंकड़ा महज 7 प्रतिशत है….. क्या इसका मतलब यह है कि गुजरात का ‘मॉडल’ आम लोगों के लिए फायदेमंद नहीं रहा…… या फिर झारखंड अब विकास की नई दिशा में आगे बढ़ रहा है….. वहीं इस खबर में हम इन आंकड़ों को गहराई से समझेंगे….. और दोनों राज्यों की अर्थव्यवस्था, मध्यम वर्ग की स्थिति, कारणों और प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करेंगे……

हाल ही में आयकर विभाग ने वर्ष 2024-25 के लिए आयकर रिटर्न के आंकड़े जारी किए हैं….. ये आंकड़े लोकसभा में एक सवाल के जवाब में पेश किए गए थे……. जहां मध्यम वर्ग की संख्या पर जानकारी मांगी गई थी…… इनमें व्यवसायी और पेशेवरों द्वारा दाखिल रिटर्न का विश्लेषण किया गया है…… जो भारत के मध्यम वर्ग की मैपिंग करता है….. जिसमें गुजरात की आम जनता काफी पीछे है….. बता दें कि गुजरात मॉडल से सिर्फ उद्योगपतियों को फायदा हुआ है….. जबकि आम जनता की कमर टूट गई है….. आम जनता गरीब होती जा रही है….. बेराजगारी चरम पर है….. जिससे मोदी सरकार के गुजरात मॉडल की पोल खुल गई है….. गुजरात माल का दावा करने वाले मोदी की जमकर फजीहत हो रही है…..

बता दें कि झारखंड राज्य गुजरात से आगे निकल चुका है….. यहां 20.6 प्रतिशत करदाता 12 लाख से 50 लाख रुपये सालाना कमाते हैं……. यह राष्ट्रीय औसत से काफी ज्यादा है…… महाराष्ट्र के बाद झारखंड इस समूह में दूसरे नंबर पर है…… जबकि गुजरात में 7 प्रतिशत करदाता इस आय समूह में हैं…… यहां तक कि 25 लाख से 50 लाख रुपये वाले करदाताओं की संख्या में गुजरात टॉप 10 राज्यों में भी नहीं है…… महाराष्ट्र यहां सबसे आगे है…… बता दें कि भारत के मध्यम वर्ग का आधा हिस्सा सालाना 7.5 लाख रुपये से कम कमाता है…… और सिर्फ 2.5 प्रतिशत लोग 25 लाख रुपये से ज्यादा कमाते हैं…..

वहीं ये आंकड़े बताते हैं कि झारखंड में मध्यम वर्ग की ताकत बढ़ रही है……. जबकि गुजरात में आय का वितरण असमान लगता है…… लेकिन क्या ये आंकड़े पूरी तस्वीर दिखाते हैं….. नहीं, क्योंकि ये सिर्फ करदाताओं पर आधारित हैं…… भारत में कुल करदाताओं की संख्या 8.6 करोड़ है…… जो कुल आबादी का छोटा हिस्सा है…… फिर भी, ये विकास की दिशा दिखाते हैं….. झारखंड भारत का एक युवा राज्य है…… जो 2000 में बिहार से अलग हुआ……. यहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से खनन पर टिकी है…… राज्य में भारत के 40 प्रतिशत खनिज भंडार हैं…… जिसमें 27 प्रतिशत कोयला, 26 प्रतिशत लौह अयस्क और 18 प्रतिशत तांबा शामिल है……. 2023 में यहां खनिज उत्पादन 138 मिलियन टन था……

ITR आंकड़ों से साफ है कि झारखंड में 12-50 लाख आय वाले लोगों की संख्या बढ़ी है……. इसका कारण राज्य सरकार की छोटे व्यापारियों को बढ़ावा देने वाली नीतियां हैं…… खनन उद्योग ने लाखों नौकरियां दीं…… कोयला, लौह अयस्क जैसे संसाधनों से कमाई बढ़ी….. जिससे लोगों का जीवन स्तर सुधरा……. 2021-22 में सब्जियों और फलों का उत्पादन क्रमश: 3.8 मिलियन और 1.3 मिलियन टन था…… जो कृषि क्षेत्र की मजबूती दिखाता है….. वहीं झारखंड का जीएसडीपी 2025-26 में 5.56 ट्रिलियन रुपये होने का अनुमान है…… जो 2015-16 से 10.41 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ा…… निर्यात में इंजीनियरिंग गुड्स, मीका, कोयला और लौह अयस्क प्रमुख हैं……. राज्य में 3008 मेगावाट बिजली क्षमता है……. और 2026 बजट में उपभोक्ताओं के लिए 5005 करोड़ रुपये सब्सिडी दी गई…..

आपको बता दें खनन से पर्यावरण को नुकसान हुआ…… वायु, जल और मिट्टी प्रदूषण बढ़ा, जिससे कृषि उत्पादकता घटी…… आदिवासी समुदाय सबसे ज्यादा प्रभावित हुए……. क्योंकि उनकी जमीनें छीनी गईं…… फिर भी, खनन ने ग्रामीण इलाकों में रोजगार दिए, जिससे मध्यम वर्ग मजबूत हुआ…… वहीं गुजरात को भारत का सबसे औद्योगिक राज्य माना जाता है……. यहां की अर्थव्यवस्था रसायन, पेट्रोकेमिकल्स, दवा, सीमेंट, जेम्स एंड ज्वेलरी जैसे क्षेत्रों पर टिकी है……. राज्य का निर्यात भारत का 30.7 प्रतिशत है…… 2022 में बेरोजगारी दर 4.4 प्रतिशत थी…… जो भारत में सबसे कम……

ITR आंकड़ों से लगता है कि गुजरात में मध्यम वर्ग का हिस्सा कम है……. कारण? यहां बड़े उद्योगपति और अमीर ज्यादा कमाते हैं……. 50 लाख से ऊपर आय वाले लोग ज्यादा हैं……. जिससे 12-50 लाख समूह छोटा दिखता है……. लेकिन यह असमानता दिखाता है……. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के हैंडबुक के मुताबिक……. गुजरात की गरीबी दर 16.63 प्रतिशत है…… जो राजस्थान और उत्तराखंड से ज्यादा है…… गुजरात का इन्फैंट मॉर्टेलिटी रेट 33 प्रति 1000 है…… जो झारखंड से भी ज्यादा है…… तमिलनाडु में यह 21 है…… शिक्षा में छात्र-शिक्षक अनुपात 28:1 है…… जो देश में चौथा सबसे खराब स्थिति में है….. लिंग अनुपात में भी पिछड़ापन है…… हर 100 लड़कियों पर 95.4 लड़कियां जन्म लेती हैं….

वहीं गुजरात का विकास बड़े कारोबारियों तक सीमित रहा…… छोटे व्यापारी और मध्यम वर्ग पीछे छूट गए…… 2011 सेंसस के मुताबिक गरीबी दर कश्मीर से भी ज्यादा है…… स्वास्थ्य और शिक्षा पर खर्च कम होने से मानव विकास सूचकांक में पिछड़ापन….. 2024 में गुजरात की प्रति व्यक्ति आय लगभग 2.5 लाख रुपये है…….. जबकि झारखंड की 80 हजार के आसपास है….. गुजरात की आय झारखंड से तीन गुना ज्यादा है….. लेकिन बहुआयामी गरीबी में दोनों लगभग बराबर है…… गुजरात 11.66 प्रतिशत, झारखंड 11.89 प्रतिशत है…..

गुजरात की गरीबी बंगाल जैसी है…… जबकि उसकी प्रति व्यक्ति आय दोगुनी है….. झारखंड में खनन से रोजगार बढ़े…… लेकिन पर्यावरण नुकसान हुआ….. गुजरात में विकास असमान पर है जहां बड़े अमीर हुए….. लेकिन आम लोग नहीं….. वहीं झारखंड में छोटे उद्योगों को बढ़ावा, खनन से नौकरियां….. गुजरात में नीतियां बड़े निवेशकों के लिए, जिससे असमानता बढ़ी…… SBI रिपोर्ट से पता चलता है कि 2014-22 में आय असमानता घटी….. लेकिन गुजरात में नहीं……

 

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