भाजपा का गठबंधन नहीं गांठबंधन: अखिलेश

  • जयंत चौधरी पर कसा तंज बोले- रैली में भी जगह नहीं पा रहे हैं भाजपा के सहयोगी दल

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय लोकदल के प्रमुख जयंत चौधरी समाजवादी पार्टी का साथ छोडक़र बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। कभी एक-दूसरे के साथी रहे समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव और जयंत चौधरी के बीच अब बयानबाजी हो रही है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सहारनपुर की पीएम की रैली को लेकर रालोद प्रमुख जयंत चौधरी पर तंज कसा है। उन्होंने एक्स पर लिखा कि पश्चिमी यूपी में भाजपा की घोषित संयुक्त रैली में उनके साथ गए दल भी अपनी जगह नहीं बना पा रहे हैं। उपेक्षित होकर अपमान का घूंट पीकर रह जा रहे हैं। यहां तक कि अपने प्रत्याशी के समर्थन में की जा रही रैली तक में वो हिस्सा नहीं ले पा रहे हैं।
इससे साफ जाहिर होता है कि भाजपा का गठबंधन ‘गांठबंधन’ बन चुका है। वो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में समाचार भर के लिए बचा है। इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों के आगे भाजपाइयों का गुट हथियार डाल चुका है। उन्होंने लिखा कि 24 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की बोहनी खराब हो जाएगी क्योंकि उप्र में चुनाव पश्चिमी उप्र से ही शुरू हो रहा है। इंडिया गठबंधन के प्रत्याशियों के आगे भाजपाइयों का गुट हथियार डाल चुका है।

मुख्तार की मौत की सुप्रीम कोर्ट के जज की निगरानी में हो जांच

अखिलेश ने मुख्तार की मौत की सुप्रीम कोर्ट के जज की निगरानी में जांच की मांग करते हुए सवाल भी दागा कि क्या रूस में विपक्षी नेता (एलेक्सी नवलनी) को जेल में जहर देकर नहीं मारा गया। क्या कनाडा सरकार ने उसकी जमीन पर एक व्यक्ति को मरवाने का आरोप भारत पर नहीं लगाया है। मुख्तार अंसारी ने खुद कहा था कि उन्हें जहर दिया जा रहा है। इस सच्चाई को सामने लाने के लिए ही वे जज की निगरानी में जांच की बात कर रहे हैं। अखिलेश इससे पहले कभी मुख्तार या उसके परिवार के लिए इतना खुलकर नहीं बोले, जितना कि रविवार को गाजीपुर में। हालांकि, एक वक्त वो भी था, जब मुख्यमंत्री रहते अखिलेश यादव ने मुख्तार अंसारी के कौमी एकता दल का विलय सपा में नहीं होने दिया था। तब उन्होंने कहा था कि माफिया के लिए सपा में कोई जगह नहीं है। इस मुद्दे पर उनका अपने चाचा शिवपाल यादव से ही विवाद हो गया था। अब अपने तब के बयानों से पलटते हुए कहा कि जेल में रहते हुए मुख्तार अंसारी चुनाव जीतते रहे तो इसका मतलब है कि जनता का दुख-दर्द बांटते थे। वरना, जनता उनके साथ न आती।

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