जयंत पर है भाजपा और कांग्रेस दोनों की निगाह

  • बीजेपी ने मंत्री पद का दिया ऑफर
  • कांग्रेस ने की यूपी-हरियाणा में सीटें देने की पेशकश

आराध्य त्रिपाठी/4पीएम न्यूज़
लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी पर कांग्रेस और भाजपा दोनों की निगाहें लगी हुई हैं। जयंत चौधरी सपा के साथ रहेंगे या फिर इन दोनों पार्टियों में से किसी के साथ। ये लोक सभा चुनावों से पहले ही पता चलेगा। लेकिन ये बात तय है कि अगर जयंत चौधरी मैं सपा का साथ छोड़ा तो फिर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नए राजनीतिक समीकरण बनते हुए नजऱ आएंगे, और फिर पिछड़ी जातियों को एकजुट करने की मुहिम भी नए सिरे से तैयार होगी। दरअसल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट समुदाय काफ़ी लोक सभा सीटों को प्रभावित करता है। वहां पर जयंत चौधरी जाटों के सर्वमान्य नेता बनकर उभरे हैं। अखिलेश यादव और उनके बीच कैमिस्ट्री काफ ी मज़बूत भी दिखाई देती है। पिछला विधानसभा चुनाव भी अखिलेश और जयंत मिलकर ही लड़े थे और इस बार जयंत के महत्व को देखते हुए कांग्रेस और भाजपा दोनों उन पर डोरे डालने मे जुट गई है। सूत्रों के मुताबिक़ भाजपा ने उन्हें केंद्र में मंत्री बनने तक की पेशकश कर दी जबकि कांग्रेस ने यूपी के अलावा हरियाणा में भी जयंत को सम्मानजनक सीटें देने का वादा किया। अब देखना ये है की जयंत अखिलेश यादव के साथ ही रहते हैं या फिर भाजपा और कांग्रेस में किसी एक का दामन थामते है।

विपक्षी एकता के पक्ष में जयंत

रालोद प्रमुख जयंत चौधरी जहां 2022 के चुनाव में अखिलेश यादव के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चुनाव लड़ते हुए दिखाई दिए थे, वो जयंत अब सपा से खिंचे-खिंचे नजर आ रहे हैं, जयंत चौधरी ने पटना में विपक्ष की बैठक में भी हिस्सा नहीं लिया था, हालांकि उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लिखी चि_ी में इस बैठक के लिए शुभकामनाएं जरूर दी। उन्होंने इस बैठक का समर्थन भी किया और कहा कि वो पूर्व निर्धारित पारिवारिक कार्यक्रम की वजह से इस बैठक में शामिल नहीं हो पाएंगे।

बैठक से बनाई थी दूरी

23 जून को पटना में विपक्षी दलों का जमावड़ा लगा। उसमें विपक्ष के सभी दिग्गज नेता जुटे। यूपी का प्रतिनिधित्व सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने किया। प्रदेश के अन्य सियासी दलों ने इससे किनारा किया सबसेे बड़ा चौकाने वाला निर्णय राज्य के प्रमुख दल राष्ट्रीय लोक दल के जयंत चौधरी का रहा वह इस महाबैठक में शामिल नहीं हुए। हालांकि उन्होंने इसमें शामिल न होने का कारण इसके पीछे पहले से तय कार्यक्रम को बताया था।

निकाय चुनाव में सपा से बढ़ी थी तल्खी

जयंत चौधरी ने भले ही विपक्ष की बैठक में शामिल नहीं होने की वजह पहले से तय कार्यक्रम बताए लेकिन बावजूद इसके एक बार फिर सपा और रालोद के बीच टकराव को लेकर कयास लगने शुरू हो गए। दरअसल यूपी निकाय चुनाव के दौरान सपा और रालोद के बीच मतभेद उस वक्त खुलकर सामने आ गए थे जब सपा ने मेरठ सीट पर जयंत चौधरी से बात किए बिना ही सीमा प्रधान को अपना प्रत्याशी बना दिया था, इसके बाद कई सीटों पर सपा और रालोद दोनों दलों के प्रत्याशी आमने-सामने नजर आए। भले ही जयंत चौधरी ने अब तक सपा के खिलाफ सीधे तौर पर कोई बयान न दिया हो लेकिन पार्टी के कई नेता लगातार सपा पर सवाल उठा रहे हैं।

सियासी दल उठा सकते हैं लाभ

जयंत के इस फैसले से प्रदेश क ी राजनीति को करीब से देखने वालों का कहना है कि इससे उत्तर प्रदेश में विपक्षी एकता को नुकसान पहुंच सकता है। जानकारों का मानना कि जयंत का पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अच्छा जनाधार है। खासतौर से जाटों के बीच वह एक लोकप्रिया नेता है। ऐसेे में अगर वह सपा के साथ रहते हैं तो वहां पर जाट-ओबीसी-मुस्लिम वोटों की एकजुटता होगी इसका फायदा कई लोक सभा सीटों पर मिलेगा। भाजपा को झटका भी लगेगा। हालांकि कुछ विश्लेषकों का मानना है रालोद के अलग होने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। सपा की पश्चिम के लोगों में बड़ी और मजबूत पैठ है। महाबैठक में बीजेपी के खिलाफ सभी दलों ने एकजुट होकर साझा रणनीति के तहत आगे बढऩे का फैसला लिया है। ये सभी किस रणनीति के तहत आगे बढ़ेंगे इसके लिए अगली बैठक अब शिमला में होगी। उम्मीद की जा रही है शिमला में होने वाले बैठक से पहले कई और दल विपक्ष के साथ जुडेंगे और भाजपा को 24 के चुनाव में पटखनी देंगे।

सीएम ममता के हेलीकॉप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग

  • कम दृश्यता की वजह से लिया फैसला

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी के हेलीकॉप्टर की मंगलवार को सेवोके एयरबेस पर इमरजेंसी लैंडिंग कराई गई। लैंडिंग की वजह कम दृश्यता बताया जा रहा है। मिली जानकारी के मुताबिक ममता बनर्जी जलपाईगुड़ी के क्रिन्टी में एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करने के बाद बागडोगरा जा रही थीं। टीएमसी नेता राजीब बनर्जी का कहना है कि वह सुरक्षित हैं।

अतीक-अशरफ की बहन सुप्रीम चौखट पर

  • हत्याकांड की स्वतंत्र जांच के लिए दायर की याचिका
  • लगाया आरोप- हत्या में यूपी सरकार का हाथ
  • भतीजे की मुठभेड़ में हत्या की भी जांच की मांग

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। प्रयागराज में पुलिस कस्टडी में 15 अप्रैल की रात में गोलियों से भूने गए माफिया अतीक अहमद और अशरफ की हत्या के मामले में उसकी बहन आयशा नूरी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। अतीक और अशरफ की बहन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। आयशा नूरी ने आरोप लगाया है कि अतीक और अशरफ की हत्या में सरकार का हाथ है। उन्होंने कथित तौर पर एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश या एक स्वतंत्र एजेंसी की अध्यक्षता में व्यापक जांच की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। इसके साथ ही आयशा नूरी ने अपने भतीजे और अतीक अहमद के बेटे की मुठभेड़ में हत्या की भी जांच की मांग की। अतीक की बहन आयशा नूरी ने अधिवक्ता के जरिए से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। याचिका में नूरी ने अपने दोनों भाई के कत्ल को कस्टडी में और एक्स्ट्रा जूडिशियल किलिंग करार दिया। याचिका में कहा है कि उच्चस्तरीय सरकारी एजेंटों के जरिए घटना की योजना बनाई गई। उन्होंने उसके परिवार के सदस्यों को मारने के लिए प्लान बनाया। पुलिस अफसरों को उप्र सरकार का पूरा समर्थन मिला है। प्रतिशोध के तहत सदस्यों को मारने, अपमानित करने, गिरफ्तार करने और परेशान करने के लिए पुलिस को पूरी छूट दी हुई है।

ये है पूरा मामला

माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की 15 अप्रैल की रात को प्रयागराज के कॉल्विन हॉस्पिटल के बाहर पुलिस हिरासत में तीन हमलावरों ने गोलियां बरसाकर हत्या कर दी थी। अतीक और अशरफ पर हमला करने वाले तीनों हमलावर मीडियाकर्मी बनकर वहां पहुंचे थे। हत्याकांड के तीनों आरोपियों को पुलिस ने घटना स्थल से ही पकड़ लिया था। तीनों शूटरों की पहचान लवलेश तिवारी, अरुण मौर्य और सनी सिंह के रूप में हुई थी। तीनों कातिल जेल में बंद हैं।आपको बता दें कि 24 फरवरी को प्रयागराज में उमेश पाल की हत्या के बाद से ही माफिया अतीक अहमद गैंग यूपी एसटीएफ और पुलिस के निशाने पर था। लगातार अतीक से पूछताछ चल रही थी। साबरमती जेल से अतीक और बरेली जेल से अशरफ को प्रयागराज लाकर पुलिस पूछताछ में जुटी थी। 15 अप्रैल को पुलिस देर रात दोनों माफिया बंधुओं का मेडिकल चेकअप कराने के लिए अस्पताल लाई थी। अस्पताल के बाहर ही मीडियाकर्मी बन कर आए तीन हमलावरों ने दोनों भाइयों को गोली मार दी थी, दोनों की मौका ए वारदात पर ही मौत हो गई थी।

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