बृजबिहारी प्रसाद हत्याकांड: सुप्रीम कोर्ट ने मुन्ना शुक्ला की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी, 15 दिन में सरेंडर का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने 26 साल पुराने बृजबिहारी प्रसाद हत्याकांड में बाहुबली नेता और पूर्व विधायक मुन्न शुक्ला को 15 दिन भीतर आत्मसमर्पण यानी सरेंडर करने के सख्त निर्देश दिया है।

4पीएम न्यूज नेटवर्कः सुप्रीम कोर्ट ने 26 साल पुराने बृजबिहारी प्रसाद हत्याकांड में बाहुबली नेता और पूर्व विधायक मुन्न शुक्ला को 15 दिन भीतर आत्मसमर्पण यानी सरेंडर करने के सख्त निर्देश दिया है। इस फैसले के बाद एक बार फिर से यह बहुचर्चित हत्याकांड और बाहुवली नेता मुन्ना शुक्ला चर्चा में आ गए हैं।

पटना हाईकोर्ट ने सुनाई थी सजा
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के कद्दावर नेता, तीन बार के विधायक और मंत्री रहे बृजबिहारी प्रसाद की हत्या 1998 में हुई थी। इस मामले में पटना हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2024 में मुन्ना शुक्ला को दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। मुन्ना शुक्ला ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट ने भी निचली अदालत और हाईकोर्ट के फैसले को पूरी तरह से सही ठहराया है।

राजनीतिक और आपराधिक पृष्ठभूमि का मामला
मुन्ना शुक्ला बिहार की राजनीति में एक चर्चित नाम रहे हैं, जिन्हें बाहुबली नेता के तौर पर जाना जाता है। उन पर कई आपराधिक मामले भी दर्ज रहे हैं। वहीं, बृजबिहारी प्रसाद की हत्या को राजनीतिक प्रतिशोध से जोड़कर देखा गया था, जिसने उस दौर में बिहार की राजनीति को हिला कर रख दिया था।

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी
फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इतने गंभीर और लंबे समय से चल रहे मामले में अब और देरी न्याय व्यवस्था की साख को नुकसान पहुंचा सकती है। अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि मुन्ना शुक्ला को किसी भी हाल में 15 दिनों के भीतर सरेंडर करना होगा, अन्यथा कानूनी प्रक्रिया स्वतः सक्रिय होगी।

छोटन शुक्ला को राखी बांधती थी रमा प्रसाद
1970 का दशक था. उन दिनों वैशाली से पटना तक लालगंज से बाहुबली छोटन शुक्ला की तूंती बोलती थी. उन दिनों बिहार में जातीय संघर्ष चरम पर था. छोटन शुक्ला ने इलाके के दबंगों की नकेल कसने के लिए मोतीहारी के आरजेडी नेता बृजबिहारी प्रसाद से संपर्क साधा. कहा जाता है कि दोनों में ऐसी दोस्ती हुई कि दोनों एक ही थाली में खाते थे. यहां तक कि बृजबिहारी की पत्नी रमा प्रसाद छोटन को राखी तक बांधने लगी. इसके चलते कुछ ही दिनों में बिहार की राजनीति से लेकर अपराध तक में छोटन शुक्ला का बड़ा नाम हो गया. ऐसे में छोटन ने धीरे-धीरे बृजबिहारी की छत्रछाया को उतारना शुरू कर दिया.

छोटन अब राजनीति में अपना करियर तलाश रहे थे. इसके चलते बृजबिहारी प्रसाद के ही साथ उनका टकराव होने लगा. कहा जाता है कि इसी टकराव की वजह से बृजबिहारी ने 1994 में छोटन शुक्ला को मरवा दिया. इसके बाद छोटन की विरासत को भाई भुटकुन ने बढ़ाया, लेकिन अगले ही साल वह भी मारे गए. भुटकन को उनके ही सुरक्षा गार्ड ने गोली मारी गई थी. आखिर में सबसे छोटे मुन्ना शुक्ला ने जनेऊ हाथ में लेकर बृजबिहारी के सर्वनाश की शपथ ली और अपराध वाली राजनीति में उतर पड़े. चूंकि इतने समय तक बृजबिहारी अपनी ताकत काफी बढ़ा चुके थे और मुन्ना शुक्ला के लिए बृजबिहारी तक पहुंचना आसान नहीं था. ऐसे में मुन्ना शुक्ला ने श्रीप्रकाश शुक्ला से हाथ मिलाया और साल 1998 में बृजबिहारी प्रसाद की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई.

सीएम निवास तक बृजबिहारी हत्याकांड की दहशत
इस वारदात की दहशत पूरे बिहार में देखी गई. आलम यह था कि हत्या की खबर सुनते ही मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और पूर्व सीएम लालू यादव ने अपने आसपास सुरक्षा घेरा कड़ा कर लिया. यही नहीं, बृजबिहारी प्रसाद के परिवार ने सबकुछ जानकर भी पुलिस में एफआईआर नहीं दर्ज कराई. इस वारदात में श्रीप्रकाश शुक्ला और मुन्ना शुक्ला के अलावा राजन तिवारी और सूरजभान का भी नाम आया था. 1998 में ही श्रीप्रकाश पुलिस एनकाउंटर में मारा गया. वहीं 2009 में पटना की अदालत ने बाकी बचे आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. मुन्ना शुक्ला का नाम 1994 में हुई डीएम जी कृष्णैया की हत्या में आया था. हालांकि इस मामले में मुन्ना शुक्ला तो सबूतों के अभाव में बरी हो गए, जबकि बाहुबली विधायक आनंद मोहन को सजा हो गई. वह हाल ही में जेल से सजा काटकर बाहर आए हैं.

आपको बता दें,कि मुन्ना शुक्ला की राजनीति ही राजद की जातिवादी राजनीति के खिलाफ शुरू हुई. करीब चार दशक तक वह राजद के निशाने पर रहे. राजनीति में कब दोस्त दुश्मन बन जाए और कब दुश्मनी दोस्ती में बदल जाए, कहा नहीं जा सकता. पिछले कुछ दिनों से मुन्ना शुक्ला राजद के साथ गलबहियां करते नजर आ रहे हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में मुन्ना शुक्ला की पत्नी राजद के टिकट पर वैशाली से चुनाव भी लड़ी थी, लेकिन हार गई. अब वह एक बार फिर राजद के ही टिकट पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है. माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुन्ना शुक्ला भले ही जेल चले जाएंगे, लेकिन उनकी राजनीति जारी रहेगी.

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