उपचुनाव में बसपा मजबूती से उतरने को तैयार

उम्मीदवार को परख कर टिकट देंगी मायावती

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। यूपी में बसपा एकबार फिर अपने पांव जमाने के लिए आतुर है। बसपा प्रमुख मायावती यूपी में होने वाले उपचुनाव के लिए मजबूत उम्मीदवार की तलाश में जुटीं हैं। बहुजन समाज पार्टी विधानसभा की रिक्त हुई 10 सीटों पर प्रत्याशियों को उतारने की कवायद में लगी है। पार्टी उपचुनाव के जरिए विधानसभा में अपनी उपस्थिति को बढ़ाने की तैयारी कर रही है।
बता दें कि विधानसभा में बसपा के उमाशंकर सिंह अकेले विधायक हैं। लोकसभा, राज्यसभा और विधान परिषद में पार्टी का कोई भी सदस्य नहीं है। पार्टी सूत्रों की मानें तो उपचुनाव के लिए मजबूत उम्मीदवारों के नामों की फेहरिस्त तैयार करने का जिम्मा इस बार जिलाध्यक्षों को सौंपा गया है।
वह उम्मीदवारों के बारे में सीधे बसपा सुप्रीमो मायावती को अपनी रिपोर्ट देंगे, जिसके बाद हाईकमान अंतिम निर्णय लेगा। लोकसभा चुनाव में हुई करारी शिकस्त के बाद उपचुनाव से पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों को दूर रखा जा रहा है। जानकारों के मुताबिक बसपा के लिए उपचुनाव में अपने प्रत्याशी उतारना मजबूरी बन चुका है क्योंकि आजाद समाज पार्टी भी उपचुनाव लडऩे की तैयारी में जुटी है। यदि बसपा उपचुनाव में हिस्सा नहीं लेती है तो दलित वोट बैंक आजाद समाज पार्टी की ओर रुख कर सकता है। यही वजह है कि अपने वोट बैंक को बचाए रखने और विधानसभा में अपने सदस्यों की संख्या को बढ़ाने के लिए बसपा उपचुनाव में उतरने की तैयारी में है। बता दें कि बसपा ने लोकसभा चुनाव के साथ हुए चार विधानसभा उपचुनाव में भी अपने प्रत्याशी उतारे थे, हालांकि उसे किसी भी सीट पर सफलता नहीं मिली थी।

आकाश आनंद पर संशय बरकरार

पार्टी के पूर्व नेशनल कोआर्डिनेटर और राजनीतिक उत्तराधिकारी आकाश आनंद की वापसी को लेकर अभी कौतूहल बरकरार है। लोकसभा चुनाव के दौरान आकाश आनंद को सभी पदों से हटाने का मायावती का फैसला पार्टी के तमाम कार्यकर्ताओं को नागवार गुजरा है।वहीं आकाश आनंद ने भी मायावती के इस फैसले के बाद चुप्पी साध ली है और उनकी सक्रियता कम हो गई है। जल्द होने वाली चुनावी समीक्षा बैठक में आकाश आनंद के आने पर भी असमंजस बना हुआ है।

दलित वोट बैंक को बचाने की कोशिश

यदि बसपा उपचुनाव में हिस्सा नहीं लेती है तो दलित वोट बैंक आजाद समाज पार्टी की ओर रुख कर सकता है। लोकसभा चुनाव में हुई करारी शिकस्त के बाद उपचुनाव से पार्टी के वरिष्ठ पदाधिकारियों को दूर रखा जा रहा है। जानकारों के मुताबिक बसपा के लिए उपचुनाव में अपने प्रत्याशी उतारना मजबूरी बन चुका है, क्योंकि आजाद समाज पार्टी भी उपचुनाव लडऩे की तैयारी में जुटी है। यदि बसपा उपचुनाव में हिस्सा नहीं लेती है तो दलित वोट बैंक आजाद समाज पार्टी की ओर रुख कर सकता है।
यही वजह है कि अपने वोट बैंक को बचाए रखने और विधानसभा में अपने सदस्यों की संख्या को बढ़ाने के लिए बसपा उपचुनाव में उतरने की तैयारी में है।

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