महिला आरक्षण लागू होने के पहले आएंगे सीएए के नियम, सरकार जल्द करेगी नोटिफाई
नई दिल्ली। महिला आरक्षण बिल भले ही विशेष सत्र में संसद से पास हो जाए, लेकिन 2029 से पहले इसके लागू होने की उम्मीद कम है।सूत्रों के मुताबिक, महिला आरक्षण 2029 लोकसभा चुनाव से पहले संभव नहीं है। आरक्षण को अमली जामा पहनाने के लिए लंबी संवैधानिक प्रक्रिया है। बिल को पचास प्रतिशत राज्य विधानसभाओं की मंजूरी की आवश्यकता नहीं है। यानी संसद से पास होने और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ये कानून बन जाएगा। कानून बनने के बाद आगे की प्रक्रिया इन चरणों में पूरी होगी।
महिला आरक्षण बिल पर चर्चा के बीच सरकार नागरिकता संशोधन कानून के नियम नोटिफाई करेगी। सूत्रों के मुताबिक, गृह मंत्रालय मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनावों के बाद सरकार सीएए के नियमों को नोटिफाई कर सकती है। इन तीनों राज्यों में इस साल के आखिर में विधानसभा होने हैं। बीजेपी को लगता है कि सीएए के लागू होने के बाद असम में जरूर उसे 5-6 लोकसभा सीटों पर नुकसान उठाना पड़ सकता पर इसका फायदा लोकसभा सीटों के लिहाज से पश्चिम बंगाल और माहौल के हिसाब से पूरे देश में होगा।
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की अध्यक्षता में परिसीमन आयोग का गठन किया जाएगा। परिसीमन आयोग लोकसभा तथा विधानसभा परिसीमन के साथ-साथ महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत सीटों का चयन भी करेगा, जो रोटेशन में बदलती रहेंगी। ऐसे में महिला आरक्षण कानून जनगणना और परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही लागू होगा। परिसीमन आयोग लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के आरक्षित 33 प्रतिशत सीटों का चयन का काम पूरा कर अपनी रिपोर्ट अगर जल्दी सौंप देता है तो उसके बाद जो भी विधानसभा चुनाव होंगे उसमें महिलाओं के लिए आरक्षण लागू होगा।
महिला आरक्षण कानून के तहत 543 लोकसभा सीटों के 33 फीसदी यानी 181 लोकसभा सीटें आरक्षित होंगी। यदि परिसीमन के बाद यदि लोकसभा की सीटें बढ़ती हैं तो जितनी सीटें बढ़ेगी उसका 33 फीसदी महिलाओं के लिए आरक्षित होगा।
इस बीच यदि कोई राज्य विधानसभा के लिए इस कानून को एडॉप्ट करना चाहता है तो वो अपने राज्य के चुनाव में कर सकेगा। एसटी एसटी का आरक्षण पहले की तरह जारी रहेगा। यानी 15 फीसदी एससी और 7।5 फीसदी एसटी के लिए के आरक्षण के अंदर ही महिलाओं को दिए जाने वाले 33 फीसदी आरक्षण पर भी लागू होगा।