अवैध निर्माण की जांच के लिए प्रदेश भर में चलेगा अभियान
लखनऊ। राजधानी में अवैध तरीके से बनाए गए होटल लेवाना सुइट्स में हुए अग्निकांड के बाद सरकार और शासन ने अवैध निर्माणों को लेकर सख्ती शुरू कर दिया है। इसी कड़ी में सभी विकास प्राधिकरणों को शहरी क्षेत्रों में बने मॉल, कोचिंग सेंटर, निजी अस्पताल, होटल समेत अन्य बड़े आवासीय और व्यावसायिक भवनों की जांच करने को कहा गया है। यह भी कहा गया है कि अवैध निर्माण होने की स्थिति में ऐसे भवनों को सील कर दिया जाए। यह निर्देश प्रमुख सचिव आवास नितिन रमेश गोकर्ण ने सभी विकास प्राधिकरणों के उपाध्यक्ष और सचिव के साथ वीसी में दिए। प्रमुख सचिव ने कहा कि जांच में यह जरूर देखा जाए कि संबंधित भवनों का निर्माण मानकों के मुताबिक हुआ है या नहीं। अगर मानक के विपरीत निर्माण मिले तो भवन स्वामी को नोटिस देकर खामियों को दूर करने को कहा जाए। इस पर भी वह नहीं मानता है तो भवन को सील करने और अवैध हिस्से को तत्काल ध्वस्त करने की कार्रवाई शुरू की जाए। इस मौके पर प्रमुख सचिव ने सभी प्राधिकरण के अधिकारियों से उनके कार्यक्षेत्र में अवैध निर्माणों और कॉलोनियों के बारे में जानकारी ली तो बताया गया कि प्रदेश भर में करीब पौने दो लाख अवैध निर्माण हैं। इस पर प्रमुख सचिव ने ऐसे निर्माणों को नियमानुसार नियमित करने का मौका देने अन्यथा सीलिंग या ध्वस्तीकरण की कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए हैं।
यूपी में 17 लाख निरक्षरों को किया जाएगा साक्षर
लखनऊ। प्रदेश में सत्र 2022-23 में 17 लाख निरक्षरों को साक्षर बनाया जाएगा। नवभारत साक्षरता अभियान के तहत सभी जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों व डायट प्राचार्यों को निरक्षरों को चिह्नित करने निर्देश दिए गए हैं। यही नहीं, चिह्नित निरक्षरों को शिक्षित करने के लिए स्वयंसेवी शिक्षकों की सूची भी गांव, बस्ती व मजरावार तैयार हो रही है। योजना के तहत निरक्षरों का चिह्नांकन परिषदीय विद्यालयों के शिक्षकों के जरिए कराया जा रहा है। ये शिक्षक अपने विद्यालय से सटे क्षेत्र में घर-घर संपर्क करेंगे। इस दौरान किसी घर में अगर बुजुर्ग भी निरक्षर है, तो उसका पता लगाया जाएगा। इसके बाद उन्हें साक्षर करने की कवायद शुरू होगी। एक स्वयंसेवी शिक्षक पर दस निरक्षरों को साक्षर करने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। इस संबंध में निदेशक साक्षरता एवं वैकल्पिक शिक्षा/सचिव गणेश कुमार ने विस्तृत निर्देश जिलों को जारी किए हैं। यही नहीं, निरक्षरों को चिह्नित करने का जिलेवार लक्ष्य भी तय किया गया है। इसमें होने वाले बजट में 60 फीसदी हिस्सा केंद्र और 40 फीसदी राज्य का होगा। चिह्नांकन कार्य 15 सितंबर तक पूरा किया जाएगा। इसके बाद आगे की रूपरेखा तय होगी। निरक्षरों को साक्षर करने के लिए बिना किसी मानदेय के योगदान देने वाले स्वयंसेवकों का चिह्नांकन क्षेत्रवार चल रहा है। इसके तहत विभिन्न विभागों, स्वयंसेवी संस्थाओं के प्रतिनिधियों को जोड़ा जा रहा है। स्वयंसेवक के रूप में कक्षा पांच व उससे ऊपर के स्कूली छात्रों को भी जुड़ने के लिए प्रेरित करने को कहा गया है।