वीडियोकॉन ग्रुप के पूर्व सीईओ वेणुगोपाल धूत को सीबीआई ने किया गिरफ्तार
नई दिल्ली। सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वसेटिगेशन ने आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ और एमडी चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को गिरफ्तार करने के दो दिन बाद, वीडियोकॉन के पूर्व चेयरमैन वेणुगोपाल धूत को गिरफ्तार कर लिया है। एजेंसी ने आईसीआईसीआई बैंक लोन धोखाधड़ी मामले में इसे अरेस्ट किया है।
इससे पहले मुंबई की स्पेशल कोर्ट ने शनिवार को बैंक की पूर्व एमडी और सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को 3 दिन की सीबीआई कस्टडी में भेज दिया था। चंदा और दीपक कोचर को सीबीआई ने एक दिन पहले शुक्रवार को गिरफ्तार किया था। वीडियोकॉन ग्रुप को रेगुलेशन के खिलाफ जाकर दिए गए करोड़ों रुपए के लोन के मामले में ये गिरफ्तारी हुई थी।
आरोप है कि जब चंदा कोचर ने जब देश के बड़े प्राइवेट बैंकों में से एक आईसीआईसीआई बैंक की कमान संभाली तो वीडियोकॉन की विभिन्न कंपनियों को 6 लोन स्वीकृत किए गए। कम से कम 2 लोन उन कमेटियों ने स्वीकृत किए थे जिनमें चंदा कोचर मेंबर थीं। उन पर वीडियोकॉन ग्रुप को लोन मंजूर करने के लिए अन्य कमेटियों को भी प्रभावित करने का आरोप है।
सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि दोनों अपने जवाबों में टालमटोल कर रहे थे और जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे। सीबीआई के वकील ने कहा, हमने पहले ही दोनों आरोपियों कोनोटिस दिया था, और 15 दिसंबर को पेश होने के लिए कहा था।
लेकिन उन्होंने कहा कि वे 4 दिन बाद पेश होंगे और 19 तारीख को भी नहीं आए। वे कल आए और जांच में सहयोग नहीं कर रहे थे। इसलिए हम क्रिमिनल ब्रीच ऑफ ट्रस्ट कीधारा 409 जोडऩा चाहते हैं। इसके साथ ही स्पैम एविडेंस और केस के डॉक्यूमेंट के साथ उनका सामना कराने के लिए हमें दोनों आरोपियों की 3 दिन की हिरासत दी जानी चाहिए।
कोचर परिवार की ओर से पेश वकील अमित देसाई ने गिरफ्तारी को अवैध बताया और कहा, कानून के अनुपालन में गिरफ्तारी करने में विफल रही है। असहयोग गिरफ्तारी का आधार नहीं है। उन्होंने कहा, जनवरी 2019 से अब तक कपल उपलब्ध था, तो फिर इतने सालों में उन्हें जांच के लिए क्यों नहीं बुलाया गया।
वकील ने कहा, जुलाई 2022 तक सीबीआई को जांच के लिए उनकी जरूरत तक नहीं थी और अब हिरासत में पूछताछ की मांग कर रही है। जुलाई में, चंदा कोचर को बताया गया कि उन्हें आगे के सवालों के साथ एक ईमेल भेजेगी। ऐसा कोई ईमेल नहीं भेजा गया था और अब सीधे उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। यहां असहयोग कहां है।
वकील ने कहा कि चंदा ऐसी किसी भी कंपनी में डायरेक्टर या स्टेकहोल्डर नहीं थीं, जिसे लोन दिए गए थे। यह बयान श्वष्ठ को स्वीकार्य था और ईडी ने उन्हें गिरफ्तार नहीं किया। लेकिन सीबीआई इस बयान से संतुष्ट नहीं हुई और गिरफ्तारी की गई।
दीपक और चंदा कोचर पर आरोप है कि उन्होंने ढ्ढ बैंक की ओर से वीडियोकॉन को दिए गए लोन के जरिए फ्रॉड किया। ये लोन बाद में नॉन परफॉर्मिंग एसेट में बदल गए। इस मामले में दीपक और चंदा कोचर के खिलाफ के खिलाफ कई जांच एजेंसियां जांच कर रही हैं।
इसमें साल 2012 में वीडियोकॉन को दिया 3,250 करोड़ रुपए का लोन शामिल है। आरोपों के अनुसार, वीडियोकॉन ग्रुप के पूर्व चेयरमैन वेणुगोपाल धूत ने कोचर की कंपनी नूपवर रिन्यूएबल्स में वीडियोकॉन को लोन मिलने के बाद करोड़ों रुपए का निवेश किया था।
लोन को एक कमेटी से मंजूरी दी गई थी, जिसमें चंदा कोचर भी एक मेंबर थीं। अक्टूबर 2018 में इस मामले को लेकर चंदा को इस्तीफा देना पड़ा था।