केरल के विकास में बाधा डाल रहा केंद्र
- सीए विजयन बोले- अपने कर्ज राज्य पर लाद रही सरकार
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
तिरुवनंतपुरम। केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने मंगलवार को केंद्र सरकार पर राज्य के विकास में बाधा डालने का आरोप लगाया। विधानसभा में मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि केरल इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड (केआईआईएफबी) द्वारा लिए गए ऋ ण को केंद्र मनमाने ढंग से केआईआईएफबी राज्य के कर्ज में जोड़ रहा है, जिसके परिणामस्वरूप सरकार की उधार लेने सीमा कम हो गई है।
सदन में विजयन ने केआईआईएफबी द्वारा वित्त पोषित परियोजनाओं और उनकी स्थिति के संबंध में एक प्रश्न के उत्तर के जवाब में यह प्रतिक्रिया मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि केंद्र द्वारा बाधाएं पैदा करने के बावजूद प्राथमिकता के आधार पर परियोजनाओं को पूरा किया जाएगा।
विजयन ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के उधार को केंद्र के कर्ज का हिस्सा नहीं माना गया है, वहीं केआईआईएफबी के ऋ ण के संबंध में इस बात का ध्यान नहीं दिया गया।
भ्रष्टाचार का ही रूप है रेवड़ी कल्चर : साल्वे
नई दिल्ली। भारतीय राजनीति में चुनाव जीतने के लिए मुफ़्त सुविधाओं का वादा करना रेवड़ी कल्चर कहा जाता है, और उसके पक्ष और विपक्ष में कई तर्क रखे जाते हैं। माहौल ऐसा है कि देश की कई राजनीतिक पार्टियों का वोटबैंक ही रेवड़ी कल्चर पर टिका नजर आता है, लेकिन भारत के पूर्व सॉलिसिटर जनरल तथा जाने-माने वकील हरीश साल्वे इसे भ्रष्टाचार का ही एक रूप मानते हैं, और उन्होंने चुनाव जीतने के लिए रेवड़ी कल्चर को सस्ता राजनीतिक कदम बताया है. हृष्ठञ्जङ्क के एडिटर-इन-चीफ संजय पुगलिया के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में हरीश साल्वे ने चुनावी हथकंडे के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली मुफ्तखोरी पर जमकर हमला बोला। हरीश साल्वे ने कहा, रेवड़ी कल्चर भी एक तरह का भ्रष्टाचार है। आप करदाताओं का पैसा दोनों हाथों से बांटो, चुनाव जीतने के लिए, इससे ज़्यादा घटिया राजनीति नहीं हो सकती। इस पर मैं एक ही बात कहूंगा कि भारत अकेला देश नहीं है, जहां यह हो रहा है… कई देशों में ऐसा हो रहा है… यूरोप में आप देख लीजिए, समाजवाद के नाम पर जो कुछ किया गया है, उससे वहां की अर्थव्यवस्था लडख़ड़ा रही है… वेतन बढ़ा दिए हैं, कर्मचारियों के लिए जो नियम बनाए हैं, वे अर्थव्यवस्था के अनुकूल नहीं हैं… इससे उत्पादन की लागत बढ़ गई है, कर्मचारी काम नहीं करते।