मुख्य चुनाव आयुक्त का इस्तीफा तय? अब सिर्फ टाइमिंग का खेल!
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर संकट गहराता जा रहा है... ज्ञानेश कुमार का इस्तीफा तय? अब सिर्फ टाइमिंग का खेल!

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार इस्तीफा देंगे….. बस समय का थोड़ा इंतजार है….. जी हां दोस्तों आपको बता दें कि पहले भी तमाम इस्तीफे हुए हैं….. अभी हाल ही में जगदीप धनखड़ का इस्तीफा हुआ है….. ऐसे ही तमाम लोगों के इस्तीफे हुए हैं…… आज के लोकतंत्र में जो भी अधिकारी मोदी के इशारे पर काम नहीं करता है….. या फिर उससे मोदी को फायदा नहीं होता है….. या फिर वह अधिकारी मोदी की सच्चाई को जनता के सामने लाने लगता है….. उससे स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर इस्तीफा ले लिया जाता है…… फिर उसको नजरबंद कर दिया जाता है….. वह व्यक्ति मीडिया के सामने नहीं आ पाता है…..
ठीक इसी तरह से चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार का भी इस्तीफा होगा.,… बस थोड़े समय का इंतजार है….. वैसे उनका कार्यकाल 2029 तक है लेकिन वे अपना कार्यकाल पूरा भी कर पाएंगे इस पर संदेश है….. जी हां दोस्तों ऐसा मैं नहीं कह रहा हूं…… ऐसी खबरें सामने आ रही है…… बता दें कि मोदी सरकार बस बिहार और बंगाल चुनाव का इंतजार कर रही है….. हो सकता है कि बिहार चुनाव के बाद ही ज्ञानेश कुमार को इस्तीफा देना पड़ जाए…… अगर ऐसा नहीं हुई तो बंगाल चुनाव के बाद उनका इस्तीफा तय माना जा रहा है….. जिसका मुख्य कारण है कि मोदी जी जिस काम के लिए उनको चुनाव आयुक्त के पद पर बैठाए हैं….. उसका लाभ मिल नहीं पा रहा है,….. विपक्ष ने चुनाव आयोग की सारी चोरी पकड़ ली है……. और वोट चोरी का मुद्दा जन- जन तक पहुंच गया है…..
बिहार की जनता ने मोदी और नीतीश सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है…… केंद्र सरकार का जो प्लान था कि एसआईआर से वोटर लिस्ट में बड़ा खेला किया जाएगा…… लेकिन विपक्ष की मजबूती से अब ऐसा होता दिखाई नहीं दे रहा है….. जिससे गुजरात लाबी में डर का माहौल व्याप्त है…… और चुनाव आयुक्त भी मोदी की भाषा बोल रहे हैं….. चुनाव आयुक्त ने बीते दिनों विपक्ष के दबाव में आकर पीसी तो कर ली….. लेकिन राहुल गांधी के एक भी आरोप का जवाब नहीं दिया….. और अपने लगभग 85 मिनट की पीसी में सिर्फ जुमले बाजी और बीजेपी की भाषा बोलकर पीसी को समाप्त कर दिया….. लेकिन विपक्ष जो आरोप लगा रहा है…. उसपर एक भी जवाब नहीं आया…. वहीं अब बड़ी खबर निकल कर सामने आ रही है….. कि मोदी सिर्फ बिहार और बहुत ज्यादा हुआ तो बंगाल चुनाव को देख रहे हैं….. अगर उनके मुताबिक परिणाम नहीं आए तो….. चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार से इस्तीफा दिलवा देंगे….. ऐसा पहले से ही मोदी का इतिहास रहा है……
आपको बता दें कि भारत की राजनीति में इन दिनों एक बड़ा विवाद चल रहा है…… मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर विपक्षी दलों ने गंभीर आरोप लगाए हैं…… जिसको लेकर कहा जा रहा है कि वे स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दे सकते हैं…… और इसका संबंध बिहार तथा पश्चिम बंगाल के चुनावों से है…… साथ ही सेबी की पूर्व चेयरपर्सन माधुरी पुरी बुच, पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन और पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफों को भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दबाव से जोड़ा जा रहा है…… लेकिन क्या ये सब सच्चाई है? या सिर्फ राजनीतिक अफवाहें…… यह सब आने वाले दिनों में देखने को मिलेंगे…..
भारत का चुनाव आयोग लोकतंत्र की रीढ़ है…… लेकिन हाल ही में मतदाता सूची में धांधली के आरोपों ने इसे हिला दिया है…… विपक्षी गठबंधन इंडिया ब्लॉक ने सीईसी ज्ञानेश कुमार पर आरोप लगाया कि वे भाजपा के पक्ष में काम कर रहे हैं…… राहुल गांधी ने बिहार में ‘वोट चोरी’ का आरोप लगाया, जिस पर ज्ञानेश कुमार ने कड़ी प्रतिक्रिया दी….. उन्होंने कहा कि या तो राहुल हलफनामा दें या देश से माफी मांगें……
इसी तरह अन्य हाई-प्रोफाइल इस्तीफों को मोदी सरकार के दबाव से जोड़ा गया…… जिसमें माधुरी पुरी बुच पर हिंदनबर्ग रिपोर्ट में संघर्ष के हित के आरोप लगे…… रघुराम राजन ने 2016 में इस्तीफा दिया था…… और जगदीप धनखड़ ने जुलाई 2025 में स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया था….. लेकिन क्या ये दबाव के कारण थे….. आपको बता दें कि ज्ञानेश कुमार एक रिटायर्ड आईएएस अधिकारी हैं…… जो पहले मोदी सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर रहे….. और उन्होंने अनुच्छेद 370 हटाने और राम मंदिर ट्रस्ट जैसे प्रोजेक्ट्स में भूमिका निभाई…… मार्च 2025 में राजीव कुमार की जगह उन्हें सीईसी बनाया गया….. लेकिन विपक्ष उन्हें ‘मोदी का आदमी’ कहता है……
वहीं अगस्त 2025 में बिहार मतदाता सूची में धांधली के आरोप तेजी वायरल हुए…. राहुल गांधी ने कहा कि एक ही पता पर कई वोटर हैं…… और ईसीआई इसे छुपा रहा है…… इंडिया ब्लॉक ने 18 अगस्त 2025 को ज्ञानेश कुमार को हटाने का प्रस्ताव रखा…… ईसीआई ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में आरोपों को खारिज किया……. कहा कि सभी पार्टियां बराबर हैं….. बता दें कि बिहार में एसआईआर वोटर्स पर विवाद है…… ईसीआई ने कहा कि मशीन-रीडेबल वोटर लिस्ट नहीं है…… लेकिन रिपोर्टर्स कलेक्टिव ने इसे झूठ बताया…… बंगाल में भी चुनाव की तैयारी है…… जहां टीएमसी और भाजपा में टक्कर है….. विपक्ष का कहना है कि ईसीआई भाजपा की मदद कर रहा है…… इसलिए इस्तीफा जरूरी है….. लेकिन ईसीआई ने कहा कि वे निष्पक्ष हैं……
माधुरी पुरी बुच सेबी की पहली महिला और प्राइवेट सेक्टर से चेयरपर्सन थीं……. उन्होंने मार्च 2022 में पद संभाला, लेकिन फरवरी 2025 में इस्तीफा दे दिया…….. इस्तीफे का कारण हिंदनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट था……. जिसमें उन पर अडानी ग्रुप जांच में संघर्ष के हित का आरोप लगा…….. रिपोर्ट ने कहा कि बुच ने जांच में रुकावट डाली क्योंकि उनके पति की कंपनियां शामिल थीं…… सितंबर 2024 में सेबी कर्मचारियों ने बुच के खिलाफ प्रदर्शन किया……. हानिकारक कामकाज का आरोप लगाया…… कांग्रेस ने कहा कि वे किराए की आय ले रही थीं……. जो जांच से जुड़ी कंपनी से थी…… इस्तीफे के बाद कोई विदाई नहीं हुई, कर्मचारी खुश थे….. मार्च 2025 में कोर्ट ने बुच और अन्य पर स्टॉक मार्केट फ्रॉड में एफआईआर का आदेश दिया……
जिसको लेकर विपक्ष कहता है कि मोदी सरकार ने दबाव डाला क्योंकि उद्योगपति उनके करीबी हैं……. लेकिन बुच ने आरोपों को खारिज किया…… कुछ स्रोत कहते हैं कि इस्तीफा स्वैच्छिक था, लेकिन दबाव से…… वहीं रघुराम राजन आरबीआई के 2013 से 2016 तक गवर्नर थे….. और उन्होंने जून 2016 में इस्तीफा दिया……. वापस शिक्षा में जाने का कारण बताया…… लेकिन आरोप लगे कि मोदी सरकार ने दबाव डाला…… सुब्रमण्यम स्वामी ने राजन पर हमले किए कहा कि वे मोदी के खिलाफ हैं….. राजन महंगाई नियंत्रण पर सख्त थे, जो सरकार को पसंद नहीं आया…… इस्तीफे के बाद डेमोक्रेटाइजेशन हुआ….. जिस पर राजन असहमत थे…… सूत्र कहते हैं कि राजन ने दबाव महसूस किया…… लेकिन मोदी सरकार ने इसे सामान्य कहा…..
वहीं आज भी राजन मोदी नीतियों पर बोलते हैं….. जिसमें अमेरिकी टैरिफ पर भी शामिल है….. वहीं इनका इस्तीफा पुराना है दबाव के सबूत हैं, लेकिन आधिकारिक नहीं हैं…… इसी कड़ी में जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई 2025 को उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया…… वजह स्वास्थ्य कारण बताए गए….. जिसको लेकर अमित शाह ने कहा कि स्वास्थ्य कारण, ज्यादा मत खींचो….. कांग्रेस ने कहा कि गहरा कारण है….. धनखड़ भाजपा के थे……. राज्यसभा में विपक्ष को दबाते थे……. इस्तीफे से पहले न्यायाधीश हटाने का मुद्दा था…… कुछ जानकार कहते हैं कि आरएसएस ने 75 साल की उम्र पर मोदी पर भी रिटायरमेंट का दबाव डाला….
वहीं ये इस्तीफे मोदी सरकार के समय हुए, लेकिन सबूत मिले जुले हुए हैं…… राजन के मामले में दबाव के प्रमाण हैं…… जिसको स्वामी के हमलों से जोड़कर देखा जा सकता है……. बुच पर आरोप आर्थिक हैं, लेकिन राजनीतिक लगते हैं…… धनखड़ का स्वास्थ्य कारण, लेकिन टाइमिंग संदिग्ध हैं….. जिसको लेकर विपक्ष कहता है कि मोदी संस्थानों को नियंत्रित करते हैं……. लेकिन भाजपा इसे साजिश कहती है…… लोकतंत्र में दबाव गलत नहीं हैं अगर वह दबाव नीतिगत होना चाहिए…… लेकिन व्यक्तिगत दबाव गलत है….



