बांग्लादेशी बताकर गिरफ्तार प्रवासी मजदूरों पर SC सख्त, केंद्र को नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पंजाब और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों की सीमा पार राज्यों के साथ साझा संस्कृति और भाषा है,

4पीएम न्यूज नेटवर्क: सुप्रीम कोर्ट ने बांग्लादेशी प्रवासियों के नाम पर गिरफ्तार किए जा रहे भारतीय प्रवासी मजदूरों के मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. सरकार की “पुशबैक” नीति को चुनौती देते हुए कोर्ट ने अंतरिम रोक लगाने से इनकार किया, लेकिन केंद्र से एक सप्ताह में जवाब मांगा.
बांग्लादेशियों के नाम पर गिरफ्तार किए जा रहे प्रवासी मजदूरों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है. सर्वोच्च अदालत ने गृह मंत्रालय के पुशबैक सर्कुलर पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार करते हुए केंद्र से एक सप्ताह में इस मसले पर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है.
जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस जॉयमाल्या बागची और जस्टिस विपुल मनुभाई पंचोली की बेंच ने केंद्र सरकार मांगा है. सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि कोर्ट को जंतर मंतर नही बनने देना चाहिए. इस पर कोर्ट ने सरकार से यह बताने को कहा है कि अवैध प्रवासियों को वापस भेजने की क्या प्रक्रिया है. बेंच ने गृह मंत्रालय के पुश-बैक सर्कुलर पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पंजाब और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों की सीमा पार राज्यों के साथ साझा संस्कृति और भाषा है, इसलिए केंद्र को यह बताना होगा कि इस तरह की परिस्थितियों में प्रवासियों की वापसी के लिए क्या मानक कार्यप्रणाली अपनाई जाती है? कोर्ट ने गुजरात सरकार को भी इस मामले में पक्षकार बनाया है. इससे पहले ही कोर्ट नौ राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब मांग चुका है.
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट को बताया कि एक गर्भवती महिला को बांग्लादेश के अधिकारियों ने अपने विदेशी कानून के तहत यह कहकर गिरफ्तार कर लिया कि वह भारतीय है. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि इसमें कई तथ्यात्मक मुद्दे शामिल हैं. हम समझते हैं कि बंदी प्रत्यक्षीकरण को स्थगित नहीं किया जा सकता. क्योंकि मामला कोर्ट ने लंबित है, हम हाई कोर्ट से इस मामले पर विचार करने का अनुरोध करेंगे.
भूषण ने कहा कि कोई भी अधिकारी किसी को इस तरह कैसे देश से बाहर निकाल सकता है? जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि ऐसा आदेश कैसे पारित किया जाए, जो प्रकृति में ही अस्पष्ट हो? भूषण ने कहा कि कोई भी अधिकारी किसी व्यक्ति को कोई ट्रिब्यूनल आदि द्वारा गैर-नागरिक घोषित किए बिना दूसरे देश में नहीं भेज सकता. यह याचिका पश्चिम बंगाल प्रवासी श्रमिक कल्याण बोर्ड की ओर से याचिका दायर की गई है.
साथ ही याचिका में बंगाली प्रवासी श्रमिकों को कथित तौर पर हिरासत में लेने और बांग्लादेश वापस भेजने के फैसले को चुनौती दी गई है. कोर्ट पहले ही केंद्र सरकार सहित दिल्ली, ओडिशा, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, हरियाणा और पश्चिम बंगाल से जवाब मांग चुका है. मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा था कि सत्यापन से पता चलता है कि वे भारतीय नागरिक है.



