मुस्लिम बहुल इलाकों में हुई सबसे ज्यादा हिंसा, बढ़ी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चिंता

कोलकाता। पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव के दौरान हिंसा का दौर जारी है। राज्य के अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में सबसे ज्यादा हिंसा हुई है। नामांकन जमा करने से लेकर चुनाव के दिन तक पंचायत चुनाव के दिन राज्य के कुछ अल्पसंख्यक इलाकों में तृणमूल कांग्रेस को विरोध का सामना करना पड़ा, जिससे राज्य का सत्ताधारी पार्टी तृणमूल कांग्रेस और पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी चिंतित हैं।
मतदान के दिन कुल आठ तृणमूल कार्यकर्ताओं की जान गई थी। अधिकतर अल्पसंख्यक समुदाय के थे। चुनाव को लेकर तृणमूल कांग्रेस के लोगों की जान जा रही है। ऐसा पिछले 11-12 साल के तृणमूल शासन में नहीं देखा गया। अल्पसंख्यक क्षेत्रों में संघर्ष हो रहा है। चाहे वह मतदान से पहले नामांकन का दौर हो या मतदान के दिन हो। हालांकि, तृणमूल इसे स्वीकार नहीं करना चाहती है।पार्टी के राज्य सचिव और प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, ‘सीपीएम, कांग्रेस, आईएसएफ के कुछ पूर्व सदस्यों ने हमारे लोगों को निशाना बनाया और मार डाला।’हालांकि, सीपीएम के मुर्शिदाबाद जिला सचिव जमीर मोलर का दावा है, अल्पसंख्यकों को हमेशा तृणमूल द्वारा वोट बैंक के रूप में देखा जाता है, लेकिन इस राज्य के अल्पसंख्यकों को एनआरसी को भय दिखाकर तृणमूल का काम नहीं चलेगा। वैसे यह मतदान के नतीजों के बाद समझ आ जाएगा कि यह प्रतिरोध कितना प्रभावी रहा है। अगर यह देखा जाए कि 2021 के विधानसभा चुनावों की तुलना में संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों में तृणमूल का वोट कम हुआ है, तो यह अकेले ही सत्तारूढ़ दल के लिए चिंता का कारण होगा। अगर ऐसा लगता है कि ऐसा नहीं हुआ तो समझ लेना चाहिए कि प्रतिरोध का कोई राजनीतिक महत्व नहीं है। लेकिन साथ ही यह साफ है कि ऐसी घटना या ऐसी तस्वीर पहले कभी तृणमूल में नहीं देखी गई है। मुर्शिदाबाद में सागरदिघी उपचुनाव के नतीजों ने सत्तारूढ़ पार्टी को चिंता में डाल दिया था, क्योंकि, सागरदिघी में ही तृणमूल की अल्पसंख्यक समर्थन पाने की ‘निरंतरता’ को झटका लगा था। अल्पसंख्यक बहुल सीट पर तृणमूल उम्मीदवार कांग्रेस-सीपीएम गठबंधन के उम्मीदवार बायरन बिस्वास से हार गए थे, जिससे विपक्षी सीपीएम-कांग्रेस यह धारणा बनाना चाहती थी कि अल्पसंख्यक टीएमसी से दूर हो रहे हैं। हालांकि तीन महीने के भीतर बायरन बिस्वास तृणमूल में शामिल हो गए। मुख्यमंत्री के तौर पर ममता ने अल्पसंख्यकों के विकास के लिए भी काफी काम किया। इतना कि विपक्षी बीजेपी ने उन पर ‘मुस्लिम तुष्टिकरण’ का आरोप लगाया है, लेकिन पंचायत चुनाव में जिस तरह से मुस्लिम बहुल इलाकों में हिंसा का तांडव मचा है। उससे ममता बनर्जी की चिंता बढ़ गई है।

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