रामदत्त जोशी सरकारी अस्पताल की बदहाल स्थिति पर उठे सवाल, समय पर इलाज न मिलने से बच्चे की मौत
उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि “बहुत जल्द अस्पताल की स्थिति में सुधार किया जाएगा और सभी जरूरी व्यवस्थाएं बहाल की जाएंगी।

4पीएम न्यूज नेटवर्कः रामनगर के रामदत्त जोशी सरकारी अस्पताल में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर स्थानीय लोगों में नाराजगी लगातार बढ़ती जा रही है। हाल ही में एक सड़क दुर्घटना में घायल बच्चे की समय पर इलाज न मिलने से मौत के बाद स्थिति और अधिक संवेदनशील हो गई है। लोगों ने अस्पताल में शीघ्र डॉक्टरों की नियुक्ति और बुनियादी सुविधाओं की बहाली की मांग को लेकर आवाज बुलंद की है।
उत्तराखंड के स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर एक बार फिर सवाल उठने लगे हैं। ताजा मामला रामनगर स्थित रामदत्त जोशी सरकारी अस्पताल का है, जो कई वर्षों से पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर संचालित हो रहा था। स्थानीय लोगों की लगातार शिकायतों और दबाव के चलते सरकार ने इस अस्पताल को पीपीपी मोड से हटाकर दोबारा अपने नियंत्रण में ले लिया। लेकिन इसके बावजूद स्वास्थ्य सेवाओं में ठोस सुधार नहीं हो सका, और क्षेत्रवासियों को अब भी बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए जूझना पड़ रहा है।
अस्पताल में डॉक्टरों की भारी कमी, खराब उपकरण और अव्यवस्थित व्यवस्थाएं लोगों की परेशानी को और बढ़ा रही हैं। इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि “बहुत जल्द अस्पताल की स्थिति में सुधार किया जाएगा और सभी जरूरी व्यवस्थाएं बहाल की जाएंगी।” हालांकि मंत्री के दावों के बावजूद स्थानीय लोगों का भरोसा डगमगाया हुआ है, और वे जल्द से जल्द ठोस कदम उठाने की मांग कर रहे हैं।
अस्पताल में न तो पर्याप्त डॉक्टर है और ना ही यहां मौजूद मेडिकल उपकरण ठीक से काम कर रहे हैं. हाल ही में रसिया महादेव में एक सड़क हादसे में पांच लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे. इनमें एक छोटा बच्चा भी शामिल था, जिसकी समय पर समुचित इलाज न मिलने से मौत हो गई. जबकि बाकी चार घायलों को हायर सेंटर रेफर कर दिया गया.
स्थानीय लोगों में बढ़ रही नाराजगी
इस घटना के बाद स्थानीय लोगों में नाराज़गी बढ़ गई और उन्होंने अस्पताल में शीघ्र डॉक्टरों की नियुक्ति की मांग उठाई है. उत्तराखंड के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत से बात की. स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने 215 डॉक्टरों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है और जल्द ही ज्वाइनिंग के बाद प्राथमिकता के आधार पर उन अस्पतालों में तैनाती की जाएगी. जिन्हें हाल ही में पीपीपी मोड से हटाकर सरकार ने अपने अधीन लिया है. इनमें रामनगर का अस्पताल भी शामिल है. साथ ही उन्होंने बताया कि हमने एक एक्सरे टेक्नीशियन भी भेज दिया है.
मशीनों को लेकर भी प्रक्रिया तेज
उन्होंने कहा कि चिकित्सा उपकरणों को लेकर भी निर्देश जारी कर दिए गए हैं, जो मशीनें खराब हैं उन्हें ठीक किया जा रहा है और जहां नई मशीनों की जरूरत है, वहां उनकी खरीद प्रक्रिया भी शुरू की गई है.
फिलहाल राज्य में चारधाम यात्रा चल रही है, जिसको देखते हुए कई डॉक्टरों की नियुक्ति यात्रा मार्गों और धाम क्षेत्रों में की गई है. चूंकि यात्रा के दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं, इसलिए उनकी चिकित्सा जरूरतों को प्राथमिकता दी गई है. मंत्री ने भरोसा दिलाया कि यात्रा समाप्त होते ही अन्य ज़िलों और अस्पतालों में भी डॉक्टरों की तैनाती की जाएगी, जहां लंबे समय से यह मांग की जा रही है.
अस्पताल बना रेफर सेंटर
रामनगर का सरकारी अस्पताल इस समय डॉक्टरों की कमी के चलते एक रेफरल सेंटर बनकर रह गया है. यहां नजदीकी क्षेत्रों के अलावा, अल्मोड़ा और पौड़ी जैसे पहाड़ी ज़िलों से भी बड़ी संख्या में मरीज आते हैं. ऐसे में यदि अस्पताल में विशेषज्ञ डॉक्टरों की नियुक्ति हो जाती है तो न सिर्फ रामनगर बल्कि आसपास के हजारों लोगों को इलाज के लिए भटकना नहीं पड़ेगा. जल्द ही होगी तैनाती
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रावत ने स्पष्ट किया कि जैसे ही नियुक्त डॉक्टर कार्यभार ग्रहण करेंगे, प्राथमिकता के आधार पर रामनगर समेत तमाम प्रभावित अस्पतालों में उनकी तैनाती सुनिश्चित की जाएगी. जनता को भरोसा है कि जल्द ही रामनगर का अस्पताल अपने पुराने स्वरूप में लौटेगा, जहां हर मरीज को समय पर बेहतर इलाज मिल सकेगा. वहीं धन सिंह रावत ने कहा कि रामनगर के अलावा जितने भी पीपीपी मोड से अस्पताल हटाए गए हैं, उनके लिए जल्द ही डॉक्टरों की व्यवस्था की जा रही है.



