महिला आरक्षण बिल पर संसद में घमासान जारी
- विशेष सत्र का तीसरा दिन : विधेयक पर गर्मागरम बहस
- बिल लाने में देरी पर भाजपा-कांग्रेस में टकराव
- श्रेय लेने की होड़ पर भी शोर-शराबा
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। संसद के विशेष सत्र का आज तीसरा दिन है। बुधवार को लोकसभा में नारी शक्ति वंदन विधेयक’ पर बहस चल रही है। इस बहस के दौरान सत्ता पक्ष व विपक्ष के बीच तीखी नोक-झोंक भी जारी है। भाजपा व कांग्रेस में बिल का क्रेडिट लेने की भी होड़ लगी है। दोनों अपने-अपने को बिल लाने का श्रेय दे रहे हैं। इस बीच कांग्रेस की चेयरपर्सन सोनिया गांधी ने कहा है कि महिला आरक्षण बिल पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का सपना था।
वहीं लोकसभा में महिला आरक्षण संबंधी संविधान संशोधन विधेयक पर चर्चा में भाग लेने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के निशिकांत दुबे खड़े हुए तो विपक्ष के सदस्यों ने किसी महिला सांसद के नहीं बोलने पर आपत्ति जताई, जिस पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि ‘‘महिलाओं के बारे में भाइयों को भी आगे बढक़र सोचना चाहिए’।
स्त्री की पहचान से ही मनुष्यता की परीक्षा में पास हो सकते हैं : सोनिया
लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा, यह मेरी जिंदगी का मार्मिक क्षण है, पहली बार स्थानीय निकायों में स्त्री की भागीदारी तय करने वाला संविधान संशोधन मेरे जीवन साथी राजीव गांधी ही लेकर आए थे… बाद में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में कांग्रेस ने उसे पारित कराया था, आज उसका नतीजा है कि आज देश भर के स्थानीय निकायों में हमारे पास 15 लाख चुनी हुई महिला नेता हैं। कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने लोकसभा में अपने संबोधन के दौरान महिला सशक्तीकरण पर अहम बातें रखीं। उन्होंने कहा, स्त्री की मेहनत, स्त्री की गरिमा और स्त्री के त्याग की पहचान करके ही हम लोग मनुष्यता की परीक्षा में पास हो सकते हैं। आजादी की लड़ाई और नए भारत के निर्माण हर मोर्चे पर स्त्री पुरुष के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ी है। वह उम्मीदों, आकांक्षाओं, तकलीफों और घर गृहस्थी के बोझ के नीचे नहीं दबी। सोनिया ने कुछ प्रमुख महिला हस्तियों को याद करते हुए कहा, सरोजिनी नायडू, सुचेता कृपलानी, अरुणा आसफ अली, विजयलक्ष्मी पंडित, राजकुमारी अमृत कौर और उनके साथ तमाम लाखों-लाखों महिलाओं से लेकिन आज की तारीख तक स्त्री ने कठिन समय में हर बार महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, बाबा साहेब अंबेडकर और मौलाना आजाद के सपनों को जमीन पर उतार कर दिखाया है। इंदिरा गांधी जी का व्यक्तित्व इस सिलसिले में एक बहुत ही रोशन और जिंदा मिसाल है।
चुनाव के चलते श्रेय ले रही भाजपा : खरगे
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बुधवार को कहा कि पहले ही राज्यसभा में 2010 में हमने (महिला आरक्षण बिल) पास किया है, लोकसभा में किसी कारण बिल पास नहीं हुआ। यह कोई नया विधेयक नहीं है, मेरा अंदाज़ा है कि ये लोग चुनाव की दृष्टि से ऐसा बोल रहे हैं।
कांग्रेस के पास कोई मुद्दा ही नहीं : जावड़ेकर
भाजपा सांसद प्रकाश जावड़ेकर ने महिला आरक्षण विधेयक को लेकर कहा कि इस पर कोई सवाल ही नहीं है कि एक रिवॉल्यूशन बना है। 2010 में कांग्रेस पार्टी महिला आरक्षण बिल लेकर आई थी, भाजपा ने समर्थन भी किया था लेकिन लोकसभा में इस बिल को पास करने की उनकी हिम्मत नहीं थी।
बंद हो श्रेय लेने की होड़ : राउत
शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के सांसद संजय राउत ने महिला आरक्षण विधेयक को लेकर कहा, “बिल पर श्रेय लेने की लड़ाई बंद होनी चाहिए। कल प्रधानमंत्री पुराने संसद भवन से पैदल चलकर नए संसद भवन में आए। इस देश की शुरूआत पैदल चलकर हो गई थी, गांधी जी भी पैदल चले थे।
वेणुगोपाल ने उठाया संविधान की प्रस्तावना में बदलाव का मुद्दा
संसद में बांटी गईं संविधान की प्रतियों को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने बुधवार को कहा, यह कैसे हो सकता है? उनके मन में जो है वह उनके कार्यों से झलकता है। अब प्रस्तावना और संविधान में संशोधन किया गया है। प्रस्तावना में सबसे महत्वपूर्ण शब्द समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष का न होना स्पष्ट रूप से संदेश है जो सरकार दे रही है कि वे इस पर विश्वास नहीं करते। यह पूरी तरह से दुर्भाग्यपूर्ण है।
जातीय जनगणना की भी मांग उठाई
सोनिया ने कहा, राजीव गांधी का सपना अभी तक आधा ही पूरा हुआ है, इस बिल के पारित होने के साथ वह पूरा होगा। कांग्रेस पार्टी इस बिल का समर्थन करती है… मैं एक सवाल पूछना चाहती हूं देश की स्त्रियां अपनी राजनीतिक ज़िम्मेदारी का इंतजार कर रही हैं लेकिन अभी भी इसके लिए उन्हें कितने वर्ष इंतज़ार करना होगा? कांग्रेस की मांग है कि यह बिल तुरंत लागू किया जाए और जातीय जनगणना भी कराई जाए।
संविधान की प्रति को लेकर सियासी बवाल
- कांग्रेस का आरोप, नए संसद भवन में प्रवेश करते वक्त मिली संविधान की प्रति से समाजवादी-धर्मनिरपेक्ष शब्द गायब
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। संविधान की प्रति को लेकर कांग्रेस व भाजपा में वार-पलटवार शुरू हो गया है। लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी ने नई संसद में मिली संविधान की कॉपी पर सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि इस संविधान में समाजवादी-धर्मनिरपेक्ष शब्द नहीं है। इसे भाजपा नेता सुशील मोदी ने बकवास बताया है। कांग्रेस नेता चौधरी ने कहा की संविधान की जो नई प्रतियां 19 सितंबर को हमें दी गईं, जिन्हें हमने अपने हाथों में पकडक़र नए संसद भवन में प्रवेश किया, उसकी प्रस्तावना में सोशलिस्ट सेक्युलर यानी समाजवादी-धर्मनिरपेक्ष शब्द नहीं है।
उन्होंने कहा कि हम जानते हैं कि ये शब्द सन् 1976 में एक संशोधन के बाद जोड़े गए थे, लेकिन अगर आज कोई हमें संविधान देता है और उसमें ये शब्द नहीं हैं, तो यह बहुत चिंता का विषय है। नेता ने कहा कि उन्होंने यह राहुल गांधी को भी दिखाया। कांग्रेस नेता ने कहा कि अगर अब कुछ बोलने की कोशिश करोंगे तो वो कहेंगे कि शुरू में जो था, वही दिया जा रहा है। चौधरी ने कहा कि लेकिन उनकी मंशा अलग है।
यह अनावश्यक विवाद: सुशील मोदी
भाजपा सांसद सुशील मोदी ने कहा कि यह नहीं कहा गया था कि यह संशोधित प्रति है। यह मूल प्रति, जो संविधान से स्वीकृत हुआ था। उस समय का जो प्राविधान था उस समय की कॉपी दी गई थी। उस समय समाजवादी-धर्मनिरपेक्ष जैसे शब्द नहीं थे। उन्होंने कहा कि क्या समाजवादी शब्द की अब कोई प्रासंगिकता है? यह अनावश्यक विवाद है।
लोस और विस में एससी/एसटी आरक्षण बढ़ाने की संवैधानिकता का परीक्षण करेगा सुप्रीम कोर्ट
- 21 नवंबर से इस मामले को लेकर होगी सुनवाई
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट 2019 के 104वें संविधान संशोधन का परीक्षण करेगा। इसके लिए 5 जजों की संविधान पीठ भी गठित की जा रही है, जो 21 नवंबर से इस मामले को लेकर सुनवाई करेगी। कुछ महीने पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने 2019 के 104वें संविधान संशोधन के जरिए लोकसभा व विधानसभाओं में जातिगत सदस्यों के लिए आरक्षण की अवधि बढ़ाए जाने पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा था।
104 वें संशोधन में लोकसभा व विधानमंडलों में ,एससी/ एसटी आरक्षण 80 साल को लिए बढ़ाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ये भी देखेगा कि क्या अनुच्छेद 334 के तहत आरक्षण की निर्धारित अवधि को बढ़ाने का संशोधन संवैधानिक वैध है भी या नहीं। सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि वो 21 नवंबर से सुनवाई करेगा।