उमर के बयान पर घमासान

वोट चोरी कांग्रेस का मुद्दा: अब्दुल्ला

  • राजद और सपा ने दी सधी हुई प्रतिक्रि या
  • सीएम बोले – इंडिया गठबंधन का इससे कोई लेना-देना नहीं

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस द्वारा उठाए गए वोट चोरी के मुद्दे से सोमवार को खुद को अलग कर लिया और कहा कि विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया का इससे कोई लेना-देना नहीं है। इससे एक दिन पहले कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने राष्ट्रीय राजधानी में वोट चोर गद्दी छोड़ रैली में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और निर्वाचन आयुक्तों पर हमला करते हुए आरोप लगाया कि वोट चोरी सत्ताधारी पार्टी के डीएनए में है और उसके नेता गद्दार हैं जो लोगों के मतदान के अधिकार को छीनने की साजिश रच रहे हैं और उन्हें सत्ता से हटाया जाना चाहिए।
अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस विपक्षी ‘इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इन्क्लूसिव अलायंस’ (‘इंडिया’) गठबंधन में एक घटक है। लोकसभा में विपक्षी सांसदों की संख्या के हिसाब से कांग्रेस गठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी है। अनियमितताओं के मुद्दे पर टिप्पणी करने के लिए कहे जाने पर अब्दुल्ला ने कहा, ‘इंडिया’ गठबंधन का इससे कोई लेना-देना नहीं है। हर राजनीतिक दल को अपना एजेंडा तय करने की स्वतंत्रता है। कांग्रेस ने वोट चोरी और एसआईआर (मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण) को अपना मुख्य मुद्दा बनाया है। हम उन्हें कुछ कहने वाले कौन होते हैं? कांग्रेस ने दावा किया है कि उसने वोट चोरी के खिलाफ लगभग छह करोड़ हस्ताक्षर एकत्र किए हैं और वह इन्हें भारत के राष्ट्रपति को सौंपेगी।

हर किसी की अपनी अलग राय हो सकती है : रामगोपाल

सपा सांसद ने इस दौरान वोट चोरी को लेकर जम्मू-कश्मीर से मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और एनसीपी शरद पवार गुट की नेता सुप्रिया सुले के बयान पर भी प्रतिक्रिया दी। रामगोपाल यादव ने कहा कि उन दोनों क्या बयान दिया है मुझे नहीं पता लेकिन हर किसी की अपनी अलग राय हो सकती हैं।

अब्दुल्ला बार-बार विवादों में घिर रहे हैं और जवाब हमें देना पड़ रहा है : मनोज झा

इस मामले पर आरजेडी नेता मनोज झा की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है। झा ने उमर अब्दुल्ला के बयान पर कहा कि उमर अब्दुल्ला बार-बार विवादों में घिर रहे हैं, और हमें जवाब देना पड़ रहा है। उन्होंने आगे कहा कि जब हम वोटिंग में धांधली और चुनाव आयोग की बात करते हैं, तो यह मुद्दा बहुत अहम हो जाता है। क्या सभी को बराबर मौका मिल रहा है? क्या निष्पक्ष चुनाव सिर्फ कहने की बात है, या वे सच और ईमानदारी को दर्शाते हैं? ये सभी मुद्दे एक पूरी व्यवस्था का हिस्सा हैं, और हर राजनीतिक दल को इस पर सोचना चाहिए, जिसमें भाजपा भी शामिल है।

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