मोदी सरकार को घेरने में जुटी कांग्रेस
कांग्रेस का आरोप है कि यह भारत की विदेश नीति और संप्रभुता के लिए गंभीर सवाल खड़े करता है। पार्टी ने सरकार से पारदर्शिता और संसद में जवाबदेही की मांग की है।

4पीएम न्यूज नेटवर्कः भारत-पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण हालात और हालिया सीजफायर के ऐलान के बाद विपक्षी इंडिया गठबंधन के दलों के रूख में मतभेद साफ तौर पर उभरकर सामने आ गए हैं। जहां कांग्रेस इस मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरने की कोशिश कर रही है, वहीं कई अन्य सहयोगी दल सरकार के रूख के समर्थन में दिखाई दे रहे हैं।
कांग्रेस का आक्रामक रुख
नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस सीजफायर पर सवाल खड़े करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सर्वदलीय बैठक बुलाने और संसद का विशेष सत्र आयोजित करने की मांग की है। कांग्रेस इस बात को लेकर भी हमलावर है कि भारत और पाकिस्तान के बीच युद्धविराम का ऐलान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा क्यों किया गया। कांग्रेस का आरोप है कि यह भारत की विदेश नीति और संप्रभुता के लिए गंभीर सवाल खड़े करता है। पार्टी ने सरकार से पारदर्शिता और संसद में जवाबदेही की मांग की है।
आरजेडी कांग्रेस के साथ, अन्य दल सरकार के समर्थन में
इंडिया गठबंधन में शामिल राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने कांग्रेस के रुख का समर्थन किया है और सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है। हालांकि तृणमूल कांग्रेस (TMC), जनता दल यूनाइटेड (JDU) और आम आदमी पार्टी (AAP) जैसे दलों ने इस मुद्दे पर अब तक चुप्पी साध रखी है या सरकार की कार्रवाई का परोक्ष समर्थन किया है।
ऑपरेशन सिंदूर और पाकिस्तान को झटका
इससे पहले भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में पाकिस्तान को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। इसके बाद पाकिस्तान ने युद्धविराम का प्रस्ताव दिया, जिसे अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के जरिए लागू किया गया। इस घटनाक्रम के बाद से ही कांग्रेस सरकार पर दबाव बना रही है कि वह इस फैसले की पारदर्शिता सुनिश्चित करे।
राजनीतिक समीकरणों पर असर
विशेषज्ञों का मानना है कि इंडिया गठबंधन के भीतर मतभेदों से कांग्रेस की रणनीति को झटका लग सकता है। जहां एक ओर कांग्रेस खुद को मुख्य विपक्षी ताकत के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रही है, वहीं सहयोगी दलों का अलग-अलग रुख गठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़े करता है।
पहलगाम आतंकी हमला और इसके बाद ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर कांग्रेस पूरी तरह मोदी सरकार के साथ खड़ी नजर आ रही थी, लेकिन पाकिस्तान के साथ युद्धविराम की घोषणा के बाद से कांग्रेस का रुख बदल गया है. पाकिस्तान से सीजफायर के बाद से कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे सहित तमाम बड़े नेता संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं. कांग्रेस सीजफायर के फैसले में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे पर सवाल उठा रहे हैं.
केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कांग्रेस का सवाल भी यही है, क्या अमेरिका जो कह रहा है वो सही है? कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व का कहना है कि सरकार ने अमेरिका की मदद से सीजफायर का ऐलान करके तीसरे राष्ट्र की मध्यस्थता का रास्ता खोल दिया है. कांग्रेस नेताओं ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के उस बयान की व्यख्या करने को कहा, जिसमें उन्होंने भारत और पाकिस्तान को ‘तटस्थ स्थल पर व्यापक मुद्दे पर वार्ता शुरू करने’ पर सहमत हो गए हैं. इसे लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश कहा कि अगर भारत पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक चैनल फिर से खोले जा रहे हैं, तो हमने क्या शर्तें रखी हैं और हमें क्या मिला है?
सीजफायर पर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर कांग्रेस ने पूरी तरह से मोदी सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है. कांग्रेस संसद में सरकार से युद्धविराम की पूरी जानकारी साझा करने और देश को विश्वास में लेने की मांग कर रही है. कांग्रेस यह जानना चाहती है कि क्या भारत को पाकिस्तान से आतंकवाद के ढांचे को ध्वस्त करने को लेकर कोई ‘ठोस आश्वासन’ मिला है, जिसने इस युद्धविराम का रास्ता साफ किया. इसके अलावा अमेरिका के दखल के पीछे क्या मकसद है. इस तरह कांग्रेस की स्ट्रैटेजी ऑपरेशन सिंदूर के श्रेय को मोदी सरकार को देने के बजाय कठघरे में खड़े करने की है.
कांग्रेस के साथ खड़ी सिर्फ आरजेडी
कांग्रेस के साथ सिर्फ आरजेडी ही खड़ी नजर आ रही है. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने सीजफायर के मुद्दे पर चर्चा के लिए सरकार से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है. तेजस्वी ने कहा की सेना के शौर्य पर पूरे देश को गर्व है और सेना के शौर्य पर बात होनी चाहिए. तेजस्वी यादव ने कहा सभी पार्टियां विशेष सत्र के दौरान अपनी-अपनी बात बेहतर तरीके से रख सकती हैं. तेजस्वी यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो बात कही हम लोग भी उसके साथ हैं. देश की सुरक्षा सबसे ऊपर होनी भी चाहिए.
आरजेडी नेता मनोज झा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरे देश के प्रधानमंत्री हैं. पूरे देश की सोच पहलगाम आतंकी हमले के बाद एक जैसी थी. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जब शुरू हुआ, तो सारे देशवासियों की सोच एक जैसी थी. ऐसे में हमने सीजफायर करने का निर्णय लिया, तो उसकी जानकारी अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप कैसे दे सकते हैं. उन्होंने कहा कि विशेष सत्र बुलाने की मांग इसलिए जरूरी है कि ताकि पूरी दुनिया को एक स्वर में संदेश दिया जाए कि हमारे राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता पर कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष टिप्पणी करेगा, तो देश इसे स्वीकार नहीं करेगा.
मोदी सरकार के साथ खड़े शरद पवार
कांग्रेस और आरजेडी सीजफायर पर मोदी सरकार से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन एनसीपी (एस) के प्रमुख शरद पवार का स्टैंड अलग है. शरद पवार ने दो टूक लहजे में कहा है कि यह एक संवेदनशील और गंभीर मुद्दा है. संसद में इस तरह के गंभीर मुद्दे पर चर्चा संभव नहीं है. ऐसी स्थिति में राष्ट्रीय हित के लिए जानकारी को गोपनीय रखना जरूरी है, विशेष सत्र बुलाने के बजाय बेहतर होगा कि हम सब एक साथ सर्वदलीय बैठक करेंगे.
संसद सत्र बुलाने की मांग पर शरद पवार का रुख विपक्षी पार्टियों की उस मांग को झटका कहा जा रहा है, जिसके तहत संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने की मांग की जा रही है. शरद पवार विशेष सत्र की जगह ऑल पार्टी मीटिंग बुलाने के पक्ष में है. इस तरह मोदी सरकार के सुर में सुर मिलाते हुए शरद पवार नजर आ रहे हैं. शरद पवार ही नहीं पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती भी मोदी सरकार के स्टैंड के साथ खड़ी दिख रही है.
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भारत पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर का स्वागत किया था. उन्होंने कहा कि मैं भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम बहाली की घोषणा का तहे दिल से स्वागत करता हूं. उन्होंने कहा कि देर आए दुरुस्त आए, लेकिन अगर यह संघर्ष विराम दो या तीन दिन पहले हो जाता, तो शायद जो रक्तपात हमने देखा और जो बहुमूल्य जानें हमने गंवाईं, वे सुरक्षित होतीं. इस तरह से उन्होंने सीजफायर को लेकर किसी तरह का कोई सवाल नहीं खड़ा किया और न ही संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग उठाई है.
वेट एंड वॉच के मूड में ममता-अखिलेश
पाकिस्तान से सीजफायर पर शरद पवार से लेकर महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला मोदी सरकार के साथ खड़े हैं तो कांग्रेस और राजद विरोध में खड़ी नजर आ रही हैं. ऐसे में टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पार्टी पूरी तरह से चुप हैं. दोनों ही पार्टियां वेट एंड वॉच के मूड में नजर रही हैं. शरद पवार का कहना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर मसलों पर चर्चा के लिए संसद सही जगह नहीं है.
सपा और टीएमसी का कहना है कि वे ऐसी चीजों के खिलाफ तो नहीं हैं, लेकिन अभी सही वक्त नहीं लगता. दोनों दल वेट-एंड-वॉच की नीति अपनाते हुए आगे बढ़ रहे हैं, क्योंकि, पश्चिम बंगाल में 2026 और उत्तर प्रदेश में 2027 में विधानसभा के चुनाव होने हैं. ऐसे में टीएमसी के एक सांसद ने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में कहा कि सैद्धांतिक तौर पर हमें संसद के स्पेशल सेशन से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन हमें अगले साल होने वाले चुनाव की फिक्र है. बंगाल में बीजेपी से टीएमसी का सीधा मुकाबला होगा और कांग्रेस अलग से लड़ेगी.
वहीं, सपा के एक नेता का कहना है कि पहले जब ऐसी डिमांड हुई थी, तो समर्थन किया गया था, लेकिन इस बार कांग्रेस ने कोई संपर्क नहीं किया. सपा शुरू से ही ऑपरेशन सिंदूर पर सेना के शौर्य की तरीफ कर रही है. सीजफायर के मुद्दे पर पूरी तरह से अखिलेश यादव ने चुप्पी अख्तियार कर रखी है. हालांकि, सपा के राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन ने जरूर कहा था कि भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य कार्रवाई की समाप्ति अमेरिकी दबाव में सहमति बनी है. उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार की अलोचना की थी, लेकिन विशेष सत्र बुलाने के सवाल को टाल गए.



