कांग्रेस ने किया ऐसा दावा भाजपा के उड़े होश, हरियाणा में होगी फिर काउंटिंग!
हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद ईवीएम गड़बड़ी को लेकर नई बहस शुरू हो गई है... जिसको लेकर कांग्रेस ने चुनाव आयोग से 20 सीटों पर फिर से गिनती कराने की मांग की है...
4पीएम न्यूज नेटवर्कः हरियाणा विधानसभा चुनाव की समीक्षा लगातार कांग्रेस पार्टी करने में जुटी है… और पार्टी के शीर्ष नेता हरियाणा में हार की वजह तलाश रहें है… आपको बता दें कि इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की एकतरफा लहर थी… किसान, जवान सब बीजेपी की नीतियों से परेशान थे… जिसके बाद भी बीजेपी ने तीसरी बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में सफलता हासिल की है… बता दें कि सत्ता विरोधी लहर होने के बाद भी कांग्रेस में कहीं कोई न कोई कमी रह गई जिसके चलते कांग्रेस को हरियाणा में हार का सामना करना पड़ा… और नतीजा यह रहा कि कांग्रेस पार्टी महज सैंतीस सीटों पर सिमट कर रह गई… वहीं हरियाणा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की हार के पीछे सबसे बड़ी भूमिका निर्दलीय…. और छोटे दलों ने निभाई है…. इनकी वजह से राज्य की क़रीब चौदह सीटों पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा है…. चुनाव आयोग के आंकड़े बताते हैं कि इसी साल हुए लोकसभा चुनावों में ‘अन्य’ के खाते में दो फ़ीसदी से भी कम वोट आए थे…. जबकि इस बार के विधानसभा चुनावों में यह आंकड़ा क़रीब बारह फ़ीसदी तक पहुंच गया…. ‘अन्य’ की श्रेणी में आने वाले उम्मीदवारों में मूल रूप से निर्दलीय…. और कुछ अन्य छोटे दल शामिल हैं…. इस बार के विधानसभा चुनावों में दोनों दलों के बीच वोटों का अंतर एक फ़ीसदी से भी कम है…. फिर भी बीजेपी अड़तालीस सीटें जीतने में क़ामयाब रही है…. जबकि कांग्रेस को केवल सैंतीस सीटें ही मिली हैं….
आपको बता दें कि दोनों प्रमुख दलों के बीच वोटों में इतना कम अंतर होने के बाद भी बीजेपी के बड़े फ़ायदे के पीछे छोटे दलों…. और निर्दलीय उम्मीदवारों की बड़ी भूमिका है…. बता दें कि साल दो हजार उन्नीस में हुए राज्य के पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को अट्ठाइस फ़ीसदी वोट मिले थे… और उसे इकतील सीटों पर जीत मिली थी….. जबकि उन चुनावों में क़रीब सैंतीस फ़ीसदी वोट के सहारे बीजेपी चालीस सीटें जीतने में कामयाब हुई थी… वहीं इस बार हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी ने जीत की हैट्रिक लगाते हुए राज्य में सत्ता बरकरार रखी है…. और इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को हरियाणा से बड़ी उम्मीद थी… लेकिन इस चुनाव के नतीजे कांग्रेस के लिए एक झटका साबित हुए…. और बीजेपी ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नेतृत्व में चुनाव लड़ा था…. नायब सैनी ने सभी राजनीतिक भविष्यवाणियों…. और एग्ज़िट पोल को ग़लत साबित किया है… और बीजेपी के लिए बड़ी जीत हासिल की है….
वहीं पिछले चुनाव के मुकाबले दोनों दलों की सीटों में इज़ाफा हुआ है…. लेकिन जननायक जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी अपना खाता नहीं खोल पाई हैं…. बता दें कि साल दो हजार उन्नीस में बीजेपी को महज सैंतीस फ़ीसदी वोट के साथ चालीस सीटें मिली थीं…. वहीं कांग्रेस को अट्ठाइस फ़ीसदी वोट के साथ इकतीस सीटें मिली थीं…. यह जीत बीजेपी के लिए इसलिए भी अहम है… क्योंकि लोकसभा चुनाव के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव था…. जिसमें बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर थी…. इस चुनाव में हार से पार्टी के पिछले दो दशक से नेता रहे भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के राजनीतिक भविष्य पर भी संशय बना हुआ है…. क्योंकि हरियाणा में बीजेपी ने कुछ जाट बहुल सीटों पर भी जीत हासिल की है…. जिसकी वजह पार्टी की सफल रणनीति मानी जा रही है…. हालांकि बीजेपी के कई जाट नेता इस चुनाव में जीत से महरूम रहे…. जानकारों की माने तो पार्टी को गैर-जाट सोशल इंजीनियरिंग की वजह से बहुमत मिल गया है…. वहीं कांग्रेस अब अपनी हार की वजह पर मंथन कर रही है…. पार्टी के नेता कह रहे हैं कि जाट वोटों का बिखराव और ग़ैर-जाट वोटों का ध्रुवीकरण एक बड़ी वजह है….
राजनीति के जानकारों का मानना है कि कांग्रेस ने जाट राजनीति के जरिए राज्य में सरकार बनाने की रणनीति बनाई….. यह कुछ हद तक कामयाब रही… लेकिन उतनी नहीं जितने में कांग्रेस सत्ता तक पहुंच पाए…. हालांकि, पिछले चुनाव के मुकाबले कांग्रेस की सीट ज़्यादा हो गई हैं…. यहां एक बात बताना ज़रूरी है कि पिछले विधानसभा चुनाव के मुक़ाबले राज्य में क्षेत्रीय पार्टियों… और निर्दलीय प्रत्याशियों की सीटों और वोट शेयर में भी कमी देखी गई है…. कांग्रेस ने पूरा चुनाव पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के हिसाब से लड़ा… और सबसे ज़्यादा उम्मीदवार हुड्डा कैंप के उतारे गए….. लेकिन इसके बावजूद जाट बहुल सीटों पर भी बीजेपी कई सीट जीत गई…. जाट बहुल विधानसभा उचाना कलां, सफीदों और गुहाना में बीजेपी के ग़ैर-जाट उम्मीदवारों ने कांग्रेस के उम्मीदवारों को मात दे दी….. जाट बहुल सीट पर ग़ैर-जाट उम्मीदवार को मैदान में उतारने की जो रणनीति बीजेपी ने अपनाई….. उसमें पार्टी को सफलता मिली…. पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, जो जाटलैंड में पार्टी की कमान संभाले हुए थे… और उन्होंने बताया कि व्यक्तिगत संपर्क… और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की वजह से जाट समाज का एक तबका बीजेपी के साथ रहा है…. जिसकी वजह बीजेपी की राष्ट्रवाद की विचारधारा रही है….
आपको बता दें कि संजीव बालियान कहते हैं कि सेना की पृष्ठभूमि वाले… और जाट में जो तबका ज्यादा पढ़ा-लिखा है…. वह बीजेपी के साथ आया है…. वहीं लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी के खिलाफ जो एक नकारात्मक माहौल था…. वह भी कमजोर हुआ है और इसका फायदा बीजेपी को मिला है….. हालांकि जितना जाट का वोट बीजेपी को दो हजार चौदह और दो हजार उन्नीस में मिला था…. उतना ही वोट दो हजार चौबीस के चुनाव में मिला है…. लेकिन यह ज़रूर रहा कि कांग्रेस की जाट राजनीति से इसके विरुद्ध ध्रुवीकरण हुआ है….. वहीं गैर जाट का लामबंद होना कांग्रेस के लिए ज्यादा नुकसानदायक साबित हुआ है….. ओबीसी समाज से आने वाले नायब सिंह सैनी को सीएम बनाकर बीजेपी एक बड़ा संदेश देने में कामयाब रही है…… वहीं जो वोट संविधान और आरक्षण के नाम पर लोकसभा चुनाव में बीजेपी से दूर हो गया था…. उसे बीजेपी वापस पाने में कामयाब रही है….. वहीं बीजेपी द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को हटाना… बीजेपी के लिए फ़ायदेमंद रहा है… क्योंकि जाटों की नाराज़गी खट्टर से ज्यादा थी…. बता दें कि चौधरी छोटूराम की विरासत पर दावा करने वाले चौधरी बीरेन्द्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह को जाट बहुल सीट उचाना कलां पर हार का सामना करना पड़ा…. यहां पर बीजेपी के उम्मीदवार ने उन्हें बत्तीस वोट से हरा दिया…. इस सीट पर दूसरे जाट नेताओं में वोट बंटे…. जिसके कारण इस तरह का नतीजा आया है…. हालांकि बीजेपी के जाट नेता कैप्टन अभिमन्यु… और ओम प्रकाश धनखड़ जैसे दिग्गज भी चुनाव जीतने में असफल रहे हैं….
बता दें कि दो हजार चौबीस में जब कांग्रेस की सरकार हरियाणा में बनी थी…. तब हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष भजनलाल थे…. और विधायक दल के नेता अजय सिंह यादव, लेकिन पार्टी ने कमान जाट नेता चौधरी भूपेन्द्र सिंह हुड्डा को सौंपी…. जिसके बाद विवाद हुआ और भजनलाल ने अपनी अलग पार्टी बना ली थी…. जिसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने हुड्डा के नेतृत्व में दोबारा सरकार बनाई थी…. लेकिन पहले जितनी सीटें नहीं मिल पाईं… और पार्टी को दूसरे विधायकों का समर्थन लेना पड़ा था…. हरियाणा से कांग्रेस के एआईसीसी सदस्य अजय शर्मा का कहना है कि दो हजार चौदह में पानीपत की रैली में हुड्डा ने कहा कि वो जाट पहले हैं…. और मुख्यमंत्री बाद में हैं…. जिसके बाद हुए चुनाव में कांग्रेस को पंद्रह सीट ही मिल पाई थीं…. कांग्रेस ने कभी जाति की राजनीति नहीं की है…. वहीं शर्मा का कहना है कि उसके बाद ये हुड्डा को कांग्रेस ने तीसरा मौका दिया था…. जिसमें असफलता ही मिली है….
वहीं हरियाणा चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस ने समीक्षा बैठक कर नतीजों पर चर्चा की…. पार्टी सांसद प्रमोद तिवारी ने बताया कि समीक्षा बैठक में विस्तृत चर्चा की गई… और आने वाले समय में और भी बैठकें होंगी… इन बैठकों में लिए गए निर्णयों को सार्वजनिक किया जाएगा…. तिवारी ने यह भी कहा कि अगर किसी प्रकार का सुझाव आता है, तो पार्टी उसका पालन करेगी… वहीं चुनाव आयोग से मुलाकात के बाद प्रमोद तिवारी ने कहा कि कांग्रेस को जानबूझकर बीस सीटों पर हराया गया है… और उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस शुरुआत में इन सीटों पर आगे चल रही थी…. लेकिन बाद में मतगणना की प्रक्रिया को धीमा कर दिया गया…. जिससे संदेह उत्पन्न हुआ…. प्रमोद तिवारी ने कहा कि चुनाव न केवल निष्पक्ष होने चाहिए, बल्कि पारदर्शी भी होने चाहिए… उन्होंने मांग की कि इन बीस सीटों पर फिर से गिनती कराई जाए… ताकि चुनाव प्रक्रिया पर उठ रहे सवालों को समाप्त किया जा सके…
आपको बता दें कि कांग्रेस की समीक्षा बैठक पर पार्टी नेता पवन खेड़ा ने कहा कि पार्टी के अंदर चर्चा होगी…. पार्टी के अंदर सिस्टम है… चुनाव में हार या जीत का आकलन कैसे किया जाता है…. सीट के हिसाब से कैसे किया जाता है…. इस पर कैसे चर्चा होती है…. बैठक में क्या हुआ होगा…. इस बारे में बाहर अटकलें लगाना… मुझे नहीं लगता कि यह सही या उचित है… बैठक के बाद मल्लिकार्जुन खड़गे ने जो ट्वीट किया…. उसे सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया, यही बयान है….