कांग्रेस सिर्फ झूठे वादे करके बढ़ती है आगे : वसुंधरा
- पूर्व सीएम बोलीं- राजस्थान में फिर खिलने वाला है कमल
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
जयपुर/झालावाड़। राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा है। पूर्व सीएम ने कहा कि कांग्रेस जनता को झूठे सपने दिखाकर सत्ता में बनी रहना चाहती है। लेकिन यह पब्लिक है जो जानती है कि ये वो ही कांग्रेस है, जिसने पिछले चुनाव में किसानों का दस दिन में कर्जा माफ करने का वादा किया था, जो पांच बरस में भी पूरा नहीं हुआ।
वादा खिलाफी के कारण सैकड़ों किसान आत्महत्या कर चुके हैं। हमने वादा नहीं किया फिर भी किसानों की स्थिति को देखकर हमारी सरकार ने 27.15 लाख किसानों का साज हजार, 700 करोड़ का कर्जा माफ किया। पूर्व सीएम राजे ने कहा कि कांग्रेस ने पूरे पांच साल झालावाड़ की उपेक्षा की। कांग्रेस और हम में यही फर्क है कि वो विकास में राजनीति करती है, जबकि हम राजनीति में विकास। पूर्व सीएम ने कहा कि राजस्थान के अच्छे दिन आने वाले हैं। कुछ ही दिनों की बात है। राजस्थान का नव निर्माण होगा। फिर से कमल खिलेगा।
अब राजस्थान में कांग्रेस से खफा रालोद
लखनऊ। देश में राजनैतिक पार्टियां लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों में जुट गई हैं। वहीं इस चुनाव के लिए एकजुट हुए विपक्षी दलों में विधानसभा चुनावों ने टकराव बढ़ा दिया है। एमपी में सीट बंटवारे पर सपा-कांग्रेस की कलह तो जगजाहिर है। वहीं अब राजस्थान में भी सीट शेयरिंग में कांग्रेस ने रालोद को भी झटका दिया है। जानकारी के मुताबिक राजस्थान कांग्रेस नेताओं के रवैये और मसले पर राष्ट्रीय नेताओं की उपेक्षाओं से रालोद मुखिया जयंत चौधरी के मन में खटास पैदा हो गई है। वह अभी ‘वेट एंड वॉच’ के फार्मूले पर काम कर रहे हैं। फिलहाल रालोद पदाधिकारी यूपी में सपा से भाईचारा को और धार देने पर काम करेंगे। रालोद ने पिछले विधानसभा चुनाव में दो सीटों पर चुनाव लड़ा था। एक सीट पर उसने जीत हासिल कर गहलोत सरकार में भी भागेदारी निभाई। इस विधानसभा चुनाव में रालोद ने राजस्थान की भरतपुर, अनूपगढ़, मालपुरा, उदयपुरबाटी और सरदारशहर सीट की कांग्रेस से मांग की। लेकिन, कांग्रेस ने उसके लिए सिर्फ भरतपुर सीट ही छोड़ी। इसको लेकर कांग्रेस से रालोद ने मसला भी उठाया। सूत्रों के मुताबिक मध्यप्रदेश की तरह राजस्थान के कांग्रेस नेताओं का भी अडिय़ल रवैया रहा। वह एक सीट से ज्यादा रालोद को देने के लिए रजामंद नहीं हुए। वहीं पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने भी इस मसले पर दिलचस्पी नहीं दिखाई।