ट्रंप के नये दावे से देश में राजनीति गर्माई, कांग्रेस ने वर्चुअल बैठक बुलाई

- युद्ध की मध्यस्थता पर बवाल, कांग्रेस पूछेगी सदन में सवाल
- सवालों की बौछार के लिए तैयार विपक्ष
- युद्ध रुकवाने में विदेशी दखल और सरकार की चुप्पी बनेगी चर्चा का केंद्र
- ट्रंप का नया दावा- मार गिराए गए थे भारत-पाक युद्ध में पांच लड़ाकू विमान
- व्हाइट हाउस में दिया था बयान
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। भारत—पाक युद्ध सीज फायर अब उस अबूझ पहेली सा बन गया है जिसका जवाब सदन में खोजा जाएगा। दरअस्ल ब्रिक्स सम्मेलन के बाद अमेरिकन प्रेसीडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि सीज फायर उन्होंने ही करवाया है। सरकार इस मुददे पर अलग-अलग माध्यमों से उनके इस दावे को नाकार चुकी है। लेकिन ट्रंप के फिर से वही राग अलापने के बाद कांग्रेस इसे मुद्दे के तौर पर देख रही है। आज इंडी गंठबंधन की वर्चुल बैठक में साफ हो गया कि अब इस सवाल का जवाब मानसून सत्र में पूछा जाएगा।
वहीं डोनाल्ड ट्रंप शुक्रवार को रिपब्लिकन सीनेटरों के लिए आयोजित रात्रिभोज के दौरान बोलते हुए कहा कि हमने कई युद्धों को रोका है और ये कोई मामूली युद्ध नहीं थे। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच जो कुछ चल रहा था वह गंभीर था। वहां विमान मार गिराए जा रहे थे। मेरा मानना है कि लगभग पांच लड़ाकू विमान गिराए गए थे। उन्होंने आगे कहा कि यह दोनो देश गंभीर परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं और वे एक-दूसरे पर हमला कर रहे थे। ये एक नई तरह की जंग जैसा लग रहा था।

व्यापार के जरिये किया हल
अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप ने इस बीच ईरान का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि आपने हाल ही में देखा कि जब हमने ईरान में कार्रवाई की। हमने उनकी परमाणु क्षमता को पूरी तरह खत्म कर दिया बिल्कुल नष्ट कर दिया। लेकिन भारत और पाकिस्तान आपस में भिड़े हुए थे और यह टकराव लगातार बढ़ रहा था। हमने इसे व्यापार के जरिए हल किया। हमने कहा कि अगर आप व्यापार समझौता करना चाहते हैं तो ऐसा नहीं हो सकता कि आप हथियार और शायद परमाणु हथियार इधर-उधर फेंक रहे हों।
राहुल गांधी उठा सकते हैं अंतरराष्ट्रीय दबाव का मुद्दा
बैठक में राहुल गांधी विशेष रूप से इस बात को उठाने वाले हैं कि क्या भारत सरकार ने अमेरिका संयुक्त अरब अमीरात या रूस जैसे किसी देश के दबाव में युद्धविराम किया। यदि ऐसा है तो यह भारत की विदेश नीति और कूटनीति पर गंभीर प्रश्नचिन्ह है। माना जा रहा है कि राहुल गांधी संसद में सीधा सवाल पूछ सकते हैं कि भारत जैसे सामथ्र्यवान राष्ट्र को किसी अन्य देश की मध्यस्थता क्यों स्वीकार करनी पड़ी।
भारत में राजनीतिक बमचक शुरू
10 मई के बाद से डोनाल्ड ट्रंप ने कई मौकों पर अपने इस दावे को दोहराया कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष को समाप्त कराया, जबकि ट्रंप के संघर्ष समाप्त कराने के दावे को भारत नकार चुका है। ऐसे में व्हाइट हाउस में दिया गया यह उनका बयान एक बार फिर किसी तीसरी शक्ति को देश की राजनीति में इन्वाल्व करने के लिए काफी है। सरकार साफ कर चुकी है कि युद्ध विराम आपसी समझौते के तहत हुआ।
इस मुद्दे पर ममता भी गुस्से में
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी भी इस मुद्दे पर भाजपा सरकार को कठघरे में खड़ा करने को तैयार हैं। बंगाल की मुख्यमंत्री इस बात को उठाने वाली हैं कि सरकार ने न तो विपक्ष को विश्वास में लिया न ही देश को कोई जानकारी दी। शिवसेना (उद्धव गुट) और डीएमके नेताओं ने भी सरकार पर पारदर्शिता की कमी का आरोप लगाया है। तेजस्वी यादव ने पहले ही बयान दे दिया है कि मोदी सरकार की आक्रामकता केवल भाषणों में है असल निर्णय विदेशी ताकतें कर रही हैं।
सभी प्रमुख विपक्षी दलों के नेता इस डिजिटल बैठक में होंगे शामिल
ट्रंप के बयान के बाद इंडिया गठबंधन की एक अहम वर्चुअल बैठक होने जा रही है। सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में विपक्ष की प्रमुख पार्टियां सरकार को संसद में घेरने की विस्तृत रणनीति पर मंथन करेंगी। बैठक का मुख्य एजेंडा रहेगा युद्ध किसने रुकवाया और क्या विदेशी शक्तियों ने हस्तक्षेप किया और क्या भारत की संप्रभुता के साथ समझौता हुआ, जैसे ज्वलंत सवालों को सदन में उठाना है। कांग्रेस, डीएमके, टीएमसी, शिवसेना (उद्धव गुट), आरजेडी, सपा, और वाम दलों सहित लगभग सभी प्रमुख विपक्षी दलों के नेता इस डिजिटल बैठक में शामिल होंगे। राहुल गांधी, ममता बनर्जी, तेजस्वी यादव, और शरद पवार जैसे बड़े नेताओं के उपस्थित रहने की संभावना है।
पास हो सकता है साझा प्रस्ताव
सूत्रों का कहना है कि इस वर्चुअल बैठक में एक साझा प्रस्ताव पास किया जा सकता है जिसमें सरकार से इन बिंदुओं पर जवाब मांगा जाएगा।
- युद्धविराम का कारण और प्रक्रिया क्या थी?
क्या कोई अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थ शामिल था?
संसद और जनता को जानकारी क्यों नहीं दी गई?
क्या यह भारत की सैन्य नीति और कूटनीति की विफलता है?
इंडिया गठबंधन यह भी चाहता है कि प्रधानमंत्री खुद सदन में आकर विस्तृत बयान दें, न कि केवल रक्षा मंत्रालय या विदेश मंत्रालय की ओर से औपचारिक प्रेस रिलीज जारी हो।



