भारत-बांग्लादेश में भाईचारे पर संकट: मुफ्ती
1947 जैसी स्थिति की ओर बढ़ रहा देश
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
श्रीनगर। पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने जम्मू और कश्मीर में बढ़ती असुरक्षा और बेरोजगारी पर चिंता जताते हुए कहा कि आज के युवाओं को रोजगार की बात की जाती है, लेकिन उन्हें नौकरी नहीं मिलती। महबूबा मुफ्ती ने स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा और सडक़ों की हालत पर भी सवाल उठाए और आरोप लगाया कि सरकार इन महत्वपूर्ण मुद्दों को सुधारने के बजाय मस्जिदों को तोडऩे की कोशिश कर रही है, ताकि वहां मंदिर बनाया जा सके।
उन्होंने हाल ही में सम्भल में हुए घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि कुछ लोग दुकानों पर काम कर रहे थे और उन्हें गोली मार दी गई। महबूबा ने अजमेर शरीफ दरगाह का उदाहरण देते हुए कहा कि यह भाईचारे का सबसे बड़ा प्रतीक है, जहां सभी धर्मो के लोग एक साथ प्रार्थना करते हैं, लेकिन अब इसे भी खंगालने की कोशिश की जा रही है, ताकि वहां भी मंदिर की खोज की जा सके। महबूबा ने चुनाव परिणामों पर भी संदेह व्यक्त किया और कहा कि वोटिंग प्रतिशत और चुनाव परिणामों में अंतर है।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए एक राज्य को छोड़ दिया गया था। महबूबा ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों की ओर इशारा करते हुए सवाल किया कि यदि भारत में भी अल्पसंख्यकों पर अत्याचार किए जाएंगे तो भारत और बांग्लादेश में क्या फर्क रहेगा। मुझे भारत और बांग्लादेश में कोई फर्क नहीं दिखता।
सीएम उमर के बेटों का भाजपा पर हमला- भर्ती घोटालों और बेरोजगारी से युवा आहत
यूथ नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के बेटे जमीर और जहीर अब्दुल्ला ने भी जम्मू में अपनी राजनीतिक सक्रियता बढ़ा दी है। वे दोनों भाई शेर-ए-कश्मीर भवन में वाईएनसी पदाधिकारियों की बैठक में मौजूद थे। इस दौरान उन्होंने युवाओं के सामने बढ़ती चुनौतियों के लिए भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भर्ती घोटालों और बेरोजगारी से युवा आहत हैं। दोनों युवा नेताओं ने कहा कि युवाओं के सामने आ रही चुनौतियों के समाधान के लिए नेकां सरकार प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री के दोनों बेटे विधानसभा चुनाव में नामांकन के दौरान मौजूद रहे थे। शेर-ए-कश्मीर भवन में वे दूसरी बार आए हैं। जम्मू संभाग में उन्होंने पहली बार सार्वजनिक बैठक में हिस्सा लिया और भाजपा पर निशाना साधा है।युवा नेताओं ने कहा कि भाजपा द्वारा अपनाई गई नीतियों के कारण जम्मू-कश्मीर के युवाओं के सामने चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं।