प्रदेश सरकार में दलितों का हो रहा है उत्पीडऩ!

4पीएम की परिचर्चा में प्रबुद्घजनों ने किया मंथन

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया है कि मंत्री अपने राज्यमंत्रियों के साथ तालमेल रखें और अपने स्टाफ पर आंख मूंद कर भरोसा न करें। ये निर्देश उस वक्त आया है जब योगी सरकार के कुछ मंत्रियों की नाराजगी की खबर सामने आई है। ऐसे में सवाल उठता हैं कि तबादलों के खेल में छोटे अफसर सस्पेंड तो मंत्री क्यों नही? इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार सुशील दुबे, सैयद कासिम, राजनीतिक विश्लेषक प्रबल प्रताप शाही और अभिषेक कुमार के साथ एक लंबी परिचर्चा की।
सैयद कासिम ने कहा कि खटीक, जितिन और बृजेश पाठक ये तीन नाम चर्चा में है। पाठक ने चिट्ठी भी लिखी कि स्वास्थ्य विभाग में तबादलों में लापरवाही बरती गई है, उसमें जांच भी चल रही है। पीडब्ल्यूडी में ओएसडी हटाए गए। खटीक इसलिए चर्चा में आए कि दलितों का अपमान हो रहा है। बगैर संभावनाओं के विधायक व मंत्री इस्तीफा नहीं देते। सुशील दुबे ने कहा कि पिछली सरकार योगी वन में पांच साल केशव और योगी में खूब खींचतान चली मगर वे हार गए। डिप्टी सीएम बन गए, बात खत्म। हां, बहुत से लोग दिल्ली दरबार के नवरत्न हैं। खटीक ने अपनी चिट्ठी में दलित के नाम पर फोकस किया है कि अपमान हुआ है। खटीक अपनी नाराजगी, अपनी चिट्ठी योगी को लिखते, सुनील बंसल को लिखते, प्रदेश अध्यक्ष को लिखते, राज्यपाल को भी नहीं लिखी आखिर शीर्ष नेतृत्व को क्यों भेजी तो इसमें भी कुछ न कुछ है।
प्रबल प्रताप शाही ने कहा जब से चुनाव हुआ है, रिजल्ट आया है, योगी आदित्यनाथ की चर्चा खत्म हो गई। नरेंद्र मोदी तक सब लोग सीमित हो गए। बृजेश पाठक की चिट्ठी ने खूब तूल पकड़ा, खटीक का जो इस्तीफा है वो समझ ही नहीं आ रहा है। राज्यपाल, सीएम को नहीं लिखा। खैर उन्होंने राष्ट्रपति को पत्र नहीं भेजा। ये बात तो साफ है कि इस सरकार में दलितों का अपमान, उत्पीडऩ तो है। सरकार में ही नहीं, बल्कि संगठन में भी है। राजभर सही कहते थे कि पिछड़ा समाज लोडर है, लीडर नहीं।

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