दिल्ली-हरियाणा के बीच पानी को लेकर जंग, सुप्रीम कोर्ट पहुंची केजरीवाल सरकार, दायर की याचिका

नई दिल्ली। दिल्ली और हरियाणा सरकार के खिलाफ पानी को लेकर खींचतान जारी है। इसी मामले में दिल्ली सरकार अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। दिल्ली सरकार ने सर्वोच्च अदालत में याचिका दाखिल की है। उन्होंने हरियाणा, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश से मानी की मांग की है। उन्होंने कहा कि एक महीने अतिरिक्त पानी दिया जाए। इससे पहले, दिल्ली की जल मंत्री आतिशी ने आरोप लगाते हुए कहा था कि रिकॉर्ड तापमान के बीच हरियाणा सरकार दिल्ली के हिस्से के पानी की कटौती कर रही है।
एक दिन पहले,आतिशी ने आरोप लगाया था कि हरियाणा सरकार यमुना में पर्याप्त पानी नहीं छोड़ रही है। इससे दिल्ली में जल संकट गहराता जा रहा है। हालांकि, इससे निपटने के लिए सरकार ने तैयार है। सरकार ने वाटर टैंकर वार रूम बनाया है, जहां से दिल्लीवासी 1916 पर कॉल कर टैंकर मंगवा सकते हैं। पानी की बर्बादी रोकने के लिए जल बोर्ड की 200 टीमें बनाई गईं हैं।
निर्माण साइटों, कार वाशिंग और कार रिपेयर सेंटर पर जल बोर्ड के पोर्टेबल पानी के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई है। आदेश का पालन न करने पर साइट सील की जाएगी। इधर, आतिशी ने वजीराबाद तालाब का निरीक्षण कर बताया कि यमुना का सामान्य जलस्तर 674 फीट से घटकर 670.3 फीट पर आ गया है। इससे कई इलाकों में पानी की कमी हो गई है। हरियाणा से यमुना में छोड़े जाने वाला पानी वजीराबाद, चंद्रावल व ओखला वाटर ट्रीटमेंट प्लांट को मिलता है।
आतिशी ने बताया कि बुधवार को ही घोषणा की गई थी कि जल बोर्ड की 200 एनफोर्समेंट टीमें पानी की बर्बादी की जांच करेंगी। टीम का नेतृत्व करने के लिए एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को लगाया जा रहा है, जो पूरी दिल्ली में टीमों व काटे गए चालान पर निगरानी रखेंगे।
स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली में लू चल रही है। इस समय जल विभाग और स्वास्थ्य विभाग की बहुत अहम भूमिका है। बिना अपने मंत्रियों को बताए और अनुमति लिए स्वास्थ्य विभाग के सचिव एसबी दीपक कुमार व जल विभाग के सीईओ अंबरासू छुट्टी पर चले गए हैं।
आतिशी ने बताया कि कंस्ट्रक्शन साइट पर किसी भी तरह से पोर्टेबल यानी पेयजल का इस्तेमाल करने पर पूरी तरह से बैन लगाया जा रहा है। चाहे वो वाटर टैंकर से हो, पानी की पाइप लाइन से हो या बोरवेल से हो। अगर कंस्ट्रक्शन साइट पर पोर्टेबल वाटर का इस्तेमाल किया गया तो एमसीडी इसे सील कर देगी। वहीं, कार वॉशिंग और रिपेयर सेंटरों में जल बोर्ड की पाइप लाइन से पानी का इस्तेमाल किया जा रहा है। ऐसे में यहां भी रोक लगाई जा रही है। डीपीसीसी की टीमें जांच कर परिसर सील करेंगी।
दिल्ली पंचायत संघ ने आप सरकार से ग्रामीण इलाकों में नल से जल की सुविधा देने की मांग की है। पंचायत संघ के प्रमुख थान सिंह यादव ने बृहस्पतिवार को कहा कि 2013 से आम सरकार ग्रामीणों को नल से जल देने का आश्वासन दे रही है, लेकिन अभी तक न तो पानी मिला और न ही पानी माफिया पर अंकुश लगा।
ग्रामीणों व किसानों की मांगों को नजरअंदाज करना व दोयम दर्जे का व्यवहार बर्दाश्त नहीं होगा। जल्द ही 360 गांवों की पंचायत बुलाई जाएगी और सरकार के खिलाफ विरोध दर्ज किया जाएगा। वहीं, पालम 360 ग्राम के प्रधान चौधरी सुरेंद्र सोलंकी ने कहा कि एक तरफ दिल्ली में पानी को लेकर हाहाकार मचा है। वहीं, द्वारका के रामफल चौक पर पेयजल की लाइन कई दिन से टूटी हुई है।
प्रदेश भाजपा ने दिल्ली सरकार को पानी की किल्लत पर कठघरे में खड़ा किया है। बृहस्पतिवार को गहराते जल संकट को लेकर प्रदेश भाजपा महिला मोर्चा ने जलमंत्री आतिशी के निवास के समीप मटका फोड़ प्रदर्शन किया।
वहीं, शुक्रवार को प्रदेश भाजपा नेतृत्व ने दिल्ली सचिवालय के सामने विरोध-प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। भाजपा का कहना है कि दिल्ली सरकार ने कृत्रिम जलसंकट उत्पन्न किया है। जलबोर्ड के पूर्व सदस्य जयप्रकाश जेपी ने भी पानी की समस्या पर जल बोर्ड को पत्र लिखकर विरोध दर्ज किया है। महिलाओं का कहना था कि दिल्ली में केजरीवाल सरकार के भ्रष्टाचार के कारण उत्पन्न हुए जल संकट से पूरी दिल्ली परेशान है। मोर्चा अध्यक्ष ऋचा पांडेय मिश्रा ने कहा कि महिलाएं 52 डिग्री तापमान में भी घर से बाहर सिर्फ पानी संकट को लेकर निकलने को मजबूर हुई हैं।

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