अघोषित आपातकाल! अखिलेश यादव का लोकतांत्रिक तमाचा

इतिहास की राख से राजनीति की आग

आपातकाल पर सियासी बयानों की बाढ़
4पीएम न्यूज नेटवर्क ने पिछले दिनों आपातकाल जैसा महौल झेला है

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। आपातकाल की रात आते ही भारतीय राजनीति में उबाल आना तय होता है। हर साल इस दिन भारतीय लोकतंत्र की सबसे काली रात आपातकाल की बरसी पर सियासी दलों के बीच बयानबाज़ी चरम पर होती है। इस बार भी ऐसा ही हुआ है और बीजेपी ने 1975 की इमरजेंसी को लेकर विपक्षी पार्टियां खासकर कांग्रेस पर जबर्दस्त पालिटिक्ल वार किया है।
इमरजेंसी को काला धब्बा बताते हुए बीजेपी संविधान और लोकतंत्र जैसे विषयों पर राजनीतिक तौर पर पिछडऩे के बाद पालिटिक्ल माइलेज लेना चाहती है। लेकिन विपक्षी नेताओं ने भी बीजेपी पर तगड़ा सियासी पलटवार किया है। मोर्चा अधीर रंजन चौधरी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने संभाला है। अखिलेश यादव ने मौजूदा सरकार पर अघोषित आपातकाल लागू किये जाने का सनसनीखेज आरोप लगाया है।

मौजूदा आपातकाल के बारे में भी सोचिये हुजूर : अखिलेश यादव

यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कहा है कि 1975 के आपातकाल पर चर्चा करने से पहले मौजूदा आपातकाल जैसे हालातों पर बात कीजिए। आज अभिव्यक्ति की आज़ादी दबाई जा रही है, पत्रकार जेल में हैं, विपक्ष के नेता ईडी और सीबीआई की गिरफ्त में हैं। क्या यह आपातकाल नहीं है। अखिलेश यादव ने कहा कि घोषित और अघोषित दो तरह का आपातकाल होता है। आपातकाल की अगर चर्चा हो रही है तो इस समय जो आपातकाल चल रहा है। उसका ध्यान भी रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की स्थापना इटावा में हुई थी, जबकि भाजपा की विचारधारा अंग्रेजों की बनाई थी।

आपातकाल पर राजनीति

भाजपा के लिए आपातकाल एक रणनीतिक अस्त्र के तौर पर सामने आया है। विपक्ष या यूं कहें कि कांग्रेस, सपा जब-जब मोदी सरकार पर लोकतंत्र को कमजोर करने संवैधानिक संस्थाओं के दुरुपयोग करने और विपक्ष को डराने धमकाने जैसे आरोप लगती है तब तब भाजपा आपातकाल की याद दिलाकर खुद को लोकतंत्र की रक्षक के तौर पर पेश करती है। बीजेपी कांग्रेस की ऐतिहासिक भूलों की याद दिलाती है और युवा वर्ग में यह मैसेज देने में कामयाब है किकांग्रेस लोकतंत्र विरोधी रही है। वर्तमान में विपक्ष की ओर से जिस तरह के आरोप बीजेपी पर लगते हैं वह उन आरापों की तुलना 1975 से करके खुद को बेहतर साबित करना चाहती है। वह राष्ट्रवाद और लोकतंत्र के नाम पर भावनात्मक माहौल बनाना चाहती है।

4पीएम ने किया है डटकर मुकाबला

कहीं न कहीं विपक्षी पार्टियां जो आरोप सरकार पर लगा रही हैं उन में दम है। अघोषित आपातकाल को 4पीएम न्यूज नेटवर्क ने स्वंय झेला है और उसका डटकर मुकाबला किया है। पिछले दिनों 4पीएम न्यूज नेटवर्क के यूटयूब चैनल को सरकार की ओर से बिना नोटिस दिये बंद कर दिया गया था। इस अघोषित बंदी के खिलाफ संपादक सजय शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट से न्याय क गुहार लगाई तब जाकर राहत मिली।

प्रकाश जावड़ेकर ने बीजेपी की ओर से संभाला मोर्चा

बीजेपी की ओर से आपतकाल के मुददे पर शायद ही ऐसा कोई नेता बचा हो जिसका बयान न आया हो। भाजपा नेता प्रकाश जावड़ेकर ने आपातकाल के 50 साल पूरे होने पर कांग्रेस पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि इमरजेंसी लागू करना लोकतंत्र को नष्ट करने का प्रयास था। उन्होंने आगे कहा कि 1975 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस की तत्कालीन सरकार द्वारा देश में आपातकाल सिर्फ राजनीतिक स्वार्थ के लिए लागू किया गया था। भाजपा नेता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि आपातकाल लागू करना मूल रूप से कांग्रेस द्वारा लोकतंत्र को नष्ट करने का प्रयास था, वह केवल अपनी सत्ता बचाना चाहते थे। देश के सामने कोई वास्तविक संकट नहीं था, संकट केवल कांग्रेस के शासन का था।

राहुल गांधी आपात काल को बता चुके हैं गलत : शास्त्री

कांग्रेस नेता और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के बेटे अनिल कुमार शास्त्री ने कहा है कि हमारे नेता राहुल गांधी भी इमरजेंसी को गलत बता चुके हैं फिर इस मुददे पर इतनी हाय तौबा क्यों उन्होंने कहा कि मुझे याद है कि मैं 25 जून 1975 को मुंबई में काम करने वाला एक युवा था। अगले दिन मैंने देखा कि विरोध के तौर पर एक निजी अखबार का संपादकीय कॉलम खाली था। यहां तक कि राहुल गांधी ने भी हाल ही में स्वीकार किया कि आपातकाल गलत था। लोकतंत्र में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कोई भी प्रतिबंध अस्वीकार्य है। उन्होंने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि मेरा मानना है कि आज के समय अघोषित आपातकाल चल रहा है। अगर कोई भी सरकार के खिलाफ बोलता है तो जांच एजेंसियों को लगा दिया जाता है। आपातकाल के दौर को याद करते हुए उन्होंने कहा कि 1975 में जब आपातकाल की घोषणा की गई तो जनमानस को यह अच्छा नहीं लगा इसीलिए 1977 के चुनाव में कांग्रेस पार्टी हार गई। इस दौरान इंदिरा गांधी भी अपनी रायबरेली की सीट नहीं बचा पाईं। लेकिन जनता पार्टी के कुशासन की वजह से जनता को अहसास हुआ कि देश को कांग्रेस पार्टी की सरकार ही चला सकती है।

सपा प्रमुख के बयान के मायने

अखिलेश यादव के बयान की अहमियत इसलिए भी है क्योंकि विपक्ष यह आरोप लगाता रहा है कि आज का भारत अघोषित आपातकाल झेल रहा है। विपक्ष अपने आरोपों की सच्चाई में ईवीएम पर संदेह जताने वालों को जेल में डालना बताता है पूर्व में इंदिरा गांधी के आपातकाल में भी ऐसा ही हुआ था। सरकार के खिलाफ बोलने वालों को जेल में डाल दिया जाता था। विपक्ष कहता है कि सरकार सीबीआई और ईडी का विपक्षी नेताओं पर चौतरफा हमला कर रही है। विपक्ष का कहना है कि किसान आंदोलन को आतंकवादी करार देना। सीएएस प्रदर्शनकारियों को देशद्रोही कहना। पत्रकारों पर मुकदमें कर जेल में डालना और उन पर राष्ट्रद्रोह जैसे गंभीर मामले लाद देना। यही नहीं मौजूदा समय में अदालतों की चुप्पी और मीडिया का सरकारी प्रवक्ता जैसा व्यवहार इंदिरा गांधी के आपातकाल से ज्यादा खतरनका है।

हम संविधान सत्याग्रह मना रहे हैं, भाजपा संविधान की हत्या दिवस : दिग्विजय

इस समय पूरे मध्य प्रदेश में बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की मूर्ति को लेकर सियासत गरमाई हुई है। इसको लेकर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह का बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि मेरा प्रश्न ये है कि क्या भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा लगना चाहिए या नहीं ? ग्वालियर के कुछ वकील साहब ने एक पेंपलेट निकाली है, जिसमें लिखा है कि कोई बीएन राव ने संविधान लिखा है। बी एन राव संविधान समिति के सदस्य नहीं थे.. अरे कौन है बीएन राव? वहीं डबल भारतीय जनता पार्टी की डबल इंजन की सरकार को चेतावनी देते हैं कहा कि अगर आपने आंबेडकर की प्रतिमा नहीं लगाई तो यह माना जाएगा कि बाबा साहब के विरोधी हैं। भारतीय स्वयंसेवक संघ ने भारतीय संविधान को जलाया था ये एक इतिहास है और उसका विरोध किया था। हम संविधान के बचाव के लिए संविधान सत्याग्रह मना रहे हैं, वो क्या कर रहे हैं। संविधान की हत्या दिवस.. ये कांग्रेस और भाजपा में फर्क है। बता दें आज ग्वालियर में कांग्रेस ने संविधान सत्याग्रह उपवास रखा, जिसमें कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह सहित तमाम बड़े नेता शामिल हुए। इस सत्याग्रह की जारी कांग्रेस ने दलित वोट को साधने की कोशिश की और कहा कि कांग्रेस पार्टी के विचारधारा और आंबेडकर की विचारधारा फेविकोल की जोड़ की तरह मजबूत है।

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