नीतीश की चाल से मोदी का काम-तमाम, 48 घंटे में होने वाला है बड़ा खेल!
बिहार की सियासत में एक सीधा- साधा सा दिखने वाले व्यक्ति ने दिल्ली तक की सियासत को हिला कर रख दिया है....
4पीएम न्यूज नेटवर्कः बिहार की सियासत में एक सीधा- साधा सा दिखने वाले व्यक्ति ने दिल्ली तक की सियासत को हिला कर रख दिया है…. बिहार से दिल्ली तक की सियासत में उस व्यक्ति को लेकर चर्चाएं जोरों पर हैं….. बता दें कि बिहार की सियासत में विचित्र टाइप का एक नेता है….. उसका नाम नाम है नीतीश कुमार….. वैसे तो वो देखने में विल्कुल साधारण सा दिखता है…. लेकिन उसके नाम से ही खुद को राष्ट्रवादी और संविधानवादी कहने वाली पार्टी की सिट्टी-पिट्टी गुम हो जाती है….. और भाजापा के चाणक्य कहे जाने वाले नेता भी इस साधारण से व्यक्ति के सामने शांत जाते हैं….. यही वजह है कि कई सालों से जेडीयू नाम की इस पार्टी को खत्म करने की बीजेपी के द्वारा साजिश की जा रही है…. और अपने दम पर बिहार में सरकार बनाने की कोशिश की जा रही है…. लेकिन हर बार दांव उल्टा पड़ जाता है…. और बीजेपी को उसी साधारण से दिखने वाले व्यक्ति से बैसाखी का सहारा लेना पड़ता है….. बता दें कि वह साधारण सा दिखने वाला व्यक्ति कभी मोदी के हाथ को पकड़ता है… कभी मोदी के हाथों को चूम लेता है…. कभी उंगलियों को दबाकर खून भी देखता है…. लेकिन उस साधारण सा दिखने वाले व्यक्ति ने पूरी बीजेपी को चकरघिन्नी की तरह घूमने के लिए मजबूर कर दिया है….
यहां तक कि भक्ति के रंग में रंगी कुछ पावरफुल सरकारी एजेंसियां भी जेडीयू का बाल बांका नहीं कर सकी हैं….. इसकी वजह ये है कि बीजेपी के चाणक्य से भी तेद इस साधारण ले व्यक्ति का दिगाम चलता है…. और उसे पता है कि हमे कब पलटी मारना है… और इसी पलटीमार नीति की वजह से वह लगातार बीस वर्षों से बिहार की सियासत पर राज कर रहा है…. और मोदी- शाह जैसे खुद को अवतारी बताने वाले नेता भी उसके सामने मजबूर हैं…. वहीं जब ये दिगाम लगाता है तो पूरी गोड्सेवादी पार्टी के पास उसकी जी हजूरी करने के आलावा कोई दूसरा चारा नहीं बचता है….. अब इसकी एक नई नजीर समाने आ गई है….. इस बार इस साधारण से व्यक्ति ने ऐसा दिमाग लगाया है…. जिससे की पूरी बीजेपी हिल गई है…. यहां तक कि केंद्र की मोदी सरकार में भी हलचल बढ़ गई है…. और मोदी को अपनी सरकार गिरने का जर सताने लगा है…. और मोदी का एक गलत फैसला सरकार को धड़ाम से गिरा सकता है…. वहीं पूरा मामला क्या है……
दोस्तों नीतीश कुमार को लेकर बीते तीन चार दिनों से लगातार तमाम प्रकार की खबरें निकलकर सामने आ रही है…. और तमाम प्रकार की बातें निकलकर सामने आ रही है..,. जिसने पूरी एनडीए सरकार को हिला कर रख दिया है…. वहीं जब बीजेपी से अधिक फ्रीडम नीतीश कुमार को कांग्रेस और आरजेडी में मिल रहा है…. तो नीतीश कुमार फिर क्यों पलटी नहीं मार रहे है…. और कब पलटी मारेंगे इसके बारे में हम आपको आज इस खबर में विस्तार से बताने वाले हैं…. दोस्तो नीतीश कुमार का बस एक काम और मोदी सरकार धड़ाम से गिर जाएगी…. वहीं नीतीश कुमार को पलटी मारने के लिए सबसे बड़ा डर सता रहा है वो डर अपने सांसदों को बीजेपी में जाने का सता रहा है…. बता दे कि इस समय नीतीश कुमार को बारह सांसद हैं…. और नीतीश कुमार अगर उद्धव ठाकरे की तरह से बगावत करते हैं…. तो बीजेपी यहां पर भी कोई एकनाथ शिंदे को खड़ा कर सकती है…. और नीतीश के विधायकों को डरा- धमकाकर अपने खेमें में शामिल कर लकती है…. जिसके चलते नीतीश कुमार सही समय का इंतजार कर रहे हैं…. क्योंकि नीतीश कुमार कोई नए खिलाड़ी नहीं है…. वो सियासक के एक मझे हुए खिलाड़ी है…. और उनको राजनीति का एक अच्छा खासा अनुभव भी है…. जिसको देखते हुए वो अभी शांत रहकर बीजेपी की बेचैनी को बढ़ा रहें है….
आपको बता दें कि नीतीश कुमार के साथ बीजेपी बड़ा खेल करने की तैयारी कर रही है…. और महाराष्ट्र की तरह किसी एकनाथ शिंदे की तलाश में हैं…. कि यहा पर भी किसी एकनाथ शिंदे को खड़ा करके पूरी की पूरी पार्टी को बीजेपी के अंदर समाहित कर लिया जाए…. और नीतीश कुमार को उद्धव ठाकरे की तरह अकेला छोड़ दिय़ा जाए…. कि आप अपना तीर- कमान कहीं अलग बनाइए…. ये तीर कमान को चला गया कहीं और…. इस बीच बिहार की सियासत दो बड़े नाम निकलकर सामने आ रहें है…. और वो दो नाम हैं ललन सिंह और संजय झा…. लनन सिंह इस समय अमित शाह के करीबी बताए जा रहे हैं…. वहीं अमित शाह जितना लनन सिंह को कमांड देंगे लनन सिंह उतना ही काम करेंगे,… और उसी के तहत बीजेपी नीतीश कुमार को किनारे कर उनकी पार्टी को तोड़कर नीतीश की राजनीति को खत्म करने का प्लान बना रही है…. और उस समय जेडीयू के अंदर भगदड़ मच गई थी…. और ललन सिंह पर बड़ा आरोप लगा था की लनन सिंह आरजेडी के संपर्क में हैं….
वहीं जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह की वजह से पार्टी में भगदड़ मची हुई है…. पिछले कुछ दिनों से पार्टी में इस्तीफा देने वालों की कतार लग गई है….. जदयू के प्रदेश उपाध्यक्ष और पूर्व विधायक ललन पासवान…. ललन सिंह पर गंभीर आरोप लगाते हुए पार्टी से इस्तीफा दे दिया…. और बीजेपी का दामन थाम लिया है…. ललन पासवान से पहले डॉ रणवीर नंदनन, उपेंद्र कुशवाहा और आरसीपी सिंह ने एक ही तरह के आरोप लगाते रहे हैं….. आरोप लगे हैं कि ललन सिंह पार्टी को जिस तरह से आरजेडी की ओर ले गए हैं….. वह कागज पर भले ही जदयू के अध्यक्ष हैं…… लेकिन उनका कामकाज का तरीका पूरी तरह से आरजेडी चलाने जैसा है….. जदयू के उपाध्यक्ष ललन पासवान का पार्टी छोड़ना……आरजेडी से तालमेल और गुंडाराजराज का आरोप लगाते हुए कहना कहना कि दलित सहमे हुए हैं….. और उन्होंने सारा ठीकरा ललन सिंह पर फोड़ा था….. जिस तरह से पार्टी से इस्तीफे हो रहे थे…. और ललन सिंह को वजह बताया जा रहा था….. इससे तय है कि इसी तरह से इस्तीफा चलता रहा तो आने वाले दिनों में ललन सिंह पर अटैक और बढ़ेगा…..
वहीं आरसीपी सिंह के निष्कासन के बाद तय हो गया कि पार्टी में नंबर टू ललन सिंह ही हैं….. चूंकि बीजेपी ने आरसीपी सिंह को मंत्री ने बनाया था….. इससे खफा ललन सिंह ने भड़ास इस तरह से निकाली कि जदयू को बीजेपी से दूर कर दिया….. यहां तक कि राज्यसभा के उपाध्यक्ष हरिवंश को भी घेरने की कोशिश की गई थी….. हालांकि बीजेपी चाल समझ गई और राज्यसभा में वोटिंग के दौरान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ अपनी कुर्सी पर नहीं थे….. बाद में डेपुटी चेयरमैन हरिवंश नारायण सिंह कुर्सी पर बैठ गये….. यदि उन्हें वोट देना पड़ता तो पार्टी लाइन के अनुसार होता….. यदि पार्टी लाइन पर नहीं जाते, तो उनके खिलाफ मुद्दा बनाता और कार्रवाई की बात आती….. वहीं अभी लड़ाई नंबर टू की हो रही थी…. नीतीश कुमार नंबर वन हैं….. आरसीपी सिंह नीतीश कुमार के बाद के नेता माने जाते थे….. आरसीपी सिंह मंत्री बने, इसकी नाराजगी जदयू के अंदर थी….. उनके खिलाफ भी प्लानिंग करने में ललन सिंह की भूमिका थी….. अभी भी पार्टी के अंदर लड़ाई वर्चस्व की लड़ाई अशोक चौधरी और ललन सिंह के बीच है….. अशोक सिंह जमुई जाते थे, तो ललन सिंह ने प्रतिक्रिया दी थी…. और आपत्ति जताई थी….. बरबीघा के कार्यक्रम में भी अशोक चौधरी के जाने पर ललन सिंह ने आपत्ति जताई थी…. और उसके बाद भी वह गए थे….. अशोक चौधरी अपने दामाद सायन कुणाल को चुनाव लड़ाना चाहते थे….. और उसके लिए जमीन तैयार करना चाहते थे…..
वहीं इन सभी आरोपों से घिरे लनन सिंह केंद्र की मोदी सरकार में मंत्री हैं…. और अमित शाह काफी करीब माने जाते है…. वहीं लालू यादव के बयान पर ललन सिंह से पत्रकारों ने सवाल पूछा तो वह इसे ज्यादा तवज्जो नहीं देने की सलाह दी…. और ललन सिंह ने कहा कि छोड़िए ना लालू जी क्या कहते हैं….. लालू जी क्या नहीं बोलते हैं….. ये जाकर लालू जी से पूछिए…. हम लोग एनडीए में हैं…. और एनडीए में ही रहेंगे…. बता दें कि तेजस्वी यादव की ओर से नये साल में नई सरकार बनाने के दावे पर ललन सिंह ने कहा कि बोलने के लिए सभी को आजादी है….. कौन क्या बोलता है…. मैं सभी पर क्या प्रतिक्रिया देता रहूं…. कौन क्या बोलता है…. बोलने के लिए आजादी है…. आजादी है, फ्रीडम है तो कोई कुछ भी बोलता रहे….