बीजेपी से नीतीश ने बना ली दूरी, लालू से हो गई डील, कभी भी दे सकते हैं इस्तीफा! 

बिहार की सियासत में नीतीश कुमार ने बड़ी हलचल मचा दी है... बीजेपी के मंत्रियों की फाइलें रोक दी है... लालू से नीतीश की डील पक्की हो गई है...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः बिहार की राजनीति में एक साधारण से दिखने वाले आदमी ने बीदेपी की नाक में दम करके रख दिया है…. उसी साधारण आदमी के चलते सियासत में तूफान मचा हुआ है…. बीजेपी के चाणक्य की बोलती बंद हो गई है…. और वह भी कुछ भी बोलने से बचते दिख रहें है…. उस साधारण से दिखने वाले व्यक्ति ने बीजेपी की नींव को हिसा कर रख दिया है…. और पूरा बीजेपी खेमा नागिन डांस करने के लिए मजबूर है…. और उस साधारण से इंसान के चक्कर में पड़कर पूरा एनडीए चकरघिन्नी की तरह घूम रहा है…. बता दें कि उस साधारण से दिखने वाले इंसान का नाम है नीतीश कुमार…. नीतीश कुमार अपने पलटी मार नीति से काफी मशहूर है… वो कभी भी किसी भी समय पलटी मार सकते हैं…. जिससे मोदी सरकार का पाया डगमगा रहा है…. और नीतीश कुमार अपनी बैसाखी को लेकर इधर से उधर बीजेपी को घुमा रहे है…. कभी प्रगति यात्रा के द्वारा तो कभी दिल्ली जाकर मोदी और शाह से मुलाकात न करके मोदी और चाणक्य का बीपी बढ़ाने का काम कर रहें है…. वहीं नीतीश कुमार की अब लालू यादव की डील लगभग पक्की हो गई है…. और नीतीश कुमार कभी भी इस्तीफा देकर सरकार गिरा सकते हैं…. और आरजेडी के साथ मिलकर सरकार बना सकते हैं….

दोस्तों बिहार से इस समय बड़ी खबर निकलकर सामने आ रही है कि नीतीश कुमार और बीजेपी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है…. नीतीश कुमार और भारतीय जनता पार्टी के रिश्ते दिन प्रतिदिन खराब होते जा रहें है….. दिन प्रतिदिन बिगड़ते जा रहे हैं….. नीतीश कुमार ने मोदी की बेचैनी को और बढ़ा दिया है…. बीजेपी के हालात बिहार में लगातार नाजुक होते जा रहे हैं….. बता दें कि नीतीश कुमार ने बीजेपी के मंत्रियों की फाइलों पर रोक लगा दी है…. सचिवालय को सोर्सेज के मुताबिक नीतीश कुमार ने बीजेपी के सभी मंत्रियों की फाइलों पर हस्ताक्षर नहीं कर रहे हैं…. जिसके चलते बीजेपी से जुड़े मंत्रियों के काम अटके हुए हैं…. उनके कोई काम नहीं हो पा रहे हैं….. फाइलों का अंबार लग गया है…. वहीं इस खबर से अंदाजा लगाया जा सकता है कि नीतीश कुमार के तेवर बीजेपी को लेकर किस तरह से बदल गए हैं…. और नीतीश के तेवर वैसे नहीं बदले हैं इसके पीछे…. लालू यादव से उनकी डील पक्की होना है….

आपको बता दें कि बिहार की राजनीति में भूचाल के संकेत मिल रहे हैं….. इसके केंद्र में हैं मुख्यमंत्री नीतीश कुमार….. नीतीश कुमार को लेकर एनडीए में जितनी बेचैनी है….. उससे कम ‘इंडिया’ में नहीं….. चर्चा है कि आरजेडी को नीतीश कुमार के इंडिया गठबंधन में लौट आने के आसार नजर आ रहे हैं….. तो भाजपा बिना किसी शोरगुल के उन्हें निपटाने की तैयारी में है….. इन सबके बीच नीतीश कुमार खामोश हैं…… उनकी खामोशी से ही अटकलों को आधार मिल रहा है….. बिहार की राजनीति में नीतीश की चुप्पी और नए साल की शुरुआत का संयोग ही अटकलों का आधार है….. जानकार मान रहे हैं कि जब-जब नीतीश खामोश होते हैं…… बिहार में सियासी उलट-फेर होता है….. चाहे एनडीए छोड़ कर इंडिया ब्लॉक में जाना हो या इंडिया ब्लॉक से एनडीए में लौटना…… यह उनकी कुछ दिनों की चुप्पी के बाद ही होता है….. दूसरा कि बिहार में मकर संक्रांति के बाद ही पिछली बार बिहार में सत्ता का खेमा बदला था….. नीतीश कुमार अपने ही तैयार किए इंडिया ब्लॉक को छोड़ कर एनडीए में शामिल हो गए थे….. इस बार भी वे चुप हैं….. महीना भर से अधिक हो गया….. वे मीडिया के सामने नहीं आए….. सामान्य स्थिति में वे मीडिया के लोगों से खूब बातें करते हैं…..

वहीं कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार भाजपा से नाराज हैं….. उनकी नाराजगी के कई कारण बताए जाते हैं….. पहला यह कि अमित शाह ने अगली बार उन्हें सीएम बनाए जाने के सवाल पर ऐसा बयान दे दिया कि उनका नाराज होना स्वाभाविक है….. शाह ने कहा कि संसदीय बोर्ड सीएम का फैसला करेगा….. शाह का बयान इसलिए भी नीतीश कुमार को नागवार लग सकता है…. कि महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के साथ जो हुआ….. उसकी पुनरावृत्ति के आसार बिहार में भी दिख रहे हैं….. वैसे नीतीश कुमार की नाराजगी का उनकी चुप्पी के कारण सिर्फ अनुमान भर है…. वहीं नीतीश कुमार की नाराजगी को लोग इसलिए भी महसूस कर रहे हैं कि उन्होंने दिल्ली की यात्रा की…. और भूतपूर्व पीएम मनमोहन सिंह के परिजनों से मिल कर उन्हें सांत्वना दी…. लेकिन भाजपा नेताओं से बिना मिले वे एक दिन पहले ही दिल्ली से लौट आए….. अमित शाह द्वारा बुलाई एनडीए की बैठक से भी नीतीश ने दूरी बना ली थी….. लोग इन्हीं तारों को जोड़ कर उनके भाजपा से नाराज होने का अनुमान लगा रहे हैं…..

आपको बता दें कि नीतीश कुमार की नाराजगी का एक और कारण माना जा रहा है…… जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा…. और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह भाजपा के अधिक करीब इन दिनों दिख रहे हैं….. ऐसा माना जा रहा है कि नीतीश कुमार की मर्जी के खिलाफ दोनों भाजपा के इशारे पर चल रहे हैं….. अगर ऐसा है तो नीतीश कुमार का नाराज होना स्वाभाविक है….. उनका मुंह एक बार जल चुका है….. आरसीपी सिंह भी जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहते राज्यसभा गए थे….. नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में वे मंत्री बने तो भाजपा की भाषा बोलने लगे थे…… बाद में नीतीश ने उन्हें जेडीयू से निकाल कर दम लिया था….. उसी तरह का खतरा नीतीश के सामने फिर पैदा हो गया है।…… कहा तो यह भी जा रहा है कि नीतीश ने नाराजगी में अगर एनडीए से अलग होने का फैसला किया तो जेडीयू ही टूट जाएगा…..

उधर इंडिया गठबंधन में आरजेडी को इन्हीं वजहों से छींका टूटने के आसार नजर आ रहे हैं…. आरजेडी को उम्मीद है कि नीतीश ने नाराजगी में एनडीए छोड़ा तो इंडिया गठबंधन में आने के अलावा उनके पास कोई चारा नहीं बचेगा…… नीतीश के एनडीए छोड़ कर आरजेडी के साथ आने की बातें उसके विधायक भाई वीरेंद्र कह चुके हैं….. वीरेंद्र की बातों पर लोगों को भरोसा इसलिए है कि वे लालू यादव के परिवार के करीबी बताए जाते हैं….. तेजस्वी यादव तो तब से खेला होने की बात कह रहे हैं….. जब नीतीश महागठबंधन से अलग होकर एनडीए में शामिल हो गए थे…. बता दें कि एनडीए में नीतीश की नाराजगी और नए साल में दही-चूड़ा भोज की तारीख करीब देख कर यह अनुमान लगाना स्वाभाविक है…. कि वे फिर पाला बदल करेंगे….. ऐसा हुआ तो तीन संभावनाएं दिखती हैं…… पहली यह कि नीतीश विधानसभा भंग कर चुनाव में जाएं….. वे पहले से ही समय से पहले विधानसभा चुनाव कराने की मांग करते रहे हैं…… दूसरा कि एनडीए से अलग हों और इंडिया ब्लाक उनकी मर्जी के मुताबिक बाहर या भीतर से उन्हें सरकार बनाने में सहयोग करे…… बिहार की सियासी हलचल खरमास खत्म होने तक बरकरार रहेगी…… अगर नया कुछ होना होगा तो मकर संक्रांति से दिखाई देने लगेगा…..

वहीं नीतीश कुमार को कभी बूढ़ा, थका-हारा…. और लाचार सीएम बता कर तेजस्वी यादव और आरजेडी के नेता उन्हें इंडिया ब्लॉक में आने का न्यौता देने से नहीं चूक रहे….. लालू परिवार के विश्वसनीय भाई वीरेंद्र हों या लोकसभा में संसदीय दल के नेता अभय कुशवाहा, सबने यह साफ-साफ संकेत दिया है कि नीतीश इंडिया गठबंधन में वापसी करना चाहें तो उनके लिए दरवाजा खुला है…… तेजस्वी यादव तो अफसोस के अंदाज में यहां तक कह देते हैं कि नीतीश जी गलत जगह पर फंस गए हैं…… जिस तरह एनडीए में नीतीश कुमार जरूरी हो गए हैं….. ठीक उसी तरह इंडिया गठबंधन भी उनके बिना अपने को अधूरा मानता दिख रहा है…. इसी क्रम में आरजेडी नेताओं ने नीतीश कुमार को लेकर भ्रामक प्रचार शुरू किया है…. आरजेडी विधायक और लालू यादव परिवार के करीबी भाई वीरेंद्र ने 26 दिसंबर को खगड़िया में कहा कि राजनीति में कोई किसी का स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता…… बिहार में पहले भी सियासी खेला हुआ है और आगे भी हो सकता है….. राजनीति तो परिस्थितियों का खेल है…. उन्होंने यह भी कहा कि अगर नीतीश कुमार सांप्रदायिक ताकतों का साथ छोड़ते हैं…. तो निश्चित रूप से हम उनका स्वागत करेंगे….. भाई वीरेंद्र का यह बयान तब आया, जब एनडीए में नीतीश कुमार की नाराजगी की खबरें परवान पर थीं…..

आपको बता दें कि तेजस्वी की पार्टी आखिर नीतीश कुमार को लेकर इतनी बेचैन क्यों दिखती है…… कहीं ऐसा तो नहीं कि उन्हें अपने तेज में कमी का एहसास होने लगा है….. और उन्हें शायद यह भी आभास हो रहा है कि अकेले पार पाना उनके वश की बात नहीं…… 2015 में महागठबंधन की सरकार इसलिए बन गई थी कि नीतीश कुमार साथ थे…… 2020 में वो अपनी तेजस्विता के चरण तक जा चुके हैं…… एकजुट एनडीए से मुकाबला वे शायद कठिन मान रहे हैं…… ऊपर से प्रशांत किशोर अलग मुसीबत बने हुए हैं……. ऐसे में उन्हें नीतीश कुमार के साथ पर ही भरोसा दिखता है…… नीतीश कुमार सीधे तो आने से रहे…… इसलिए उनके बारे में भ्रम फैलाना….. और भाजपा से कट्टी के लिए वे और आरजेडी के दूसरे नेता नीतीश को उकसाने में लगे हैं….

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