महाप्रबंधक मणिकांत अग्रवाल के भ्रष्टाचार की जांच करेगा ईडी!
- राजकीय निर्माण निगम में भ्रष्टाचार की नई कहानी
- कानपुर इकाई के प्रभारी डीसी पंत के तीन पन्नों के शिकायती पत्र से मचा हुआ है हड़कंप
- पीएमओ, मुख्यमंत्री कार्यालय व प्रबंध निदेशक निर्माण निगम को भी भेजी प्रतिलिपि, जांच की मांग
- जोन के इकाई प्रभारियों से अवैध वसूली, चहेते ठेकेदारों को टेंडर देने का दबाव, फर्जी भुगतान का है आरोप
चेतन गुप्ता
लखनऊ। 2019 में 50 करोड़ के काम की बंदिश के आदेश के बाद से राजकीय निर्माण निगम अपने बुरे दौर से गुजर रहा है, लेकिन भ्रष्टाचार के मामले खत्म होने का नाम नहीं ले रहे है। निर्माण निगम में जो भी इंजीनियर डेपुटेशन पर आता है वो मलाई काटने आता है। ताजा मामले में इटावा जोन के महाप्रबंधक मणिकांत अग्रवाल पर उनके ही इकाई प्रभारी ने भ्रष्टाचार का आरोप लगा प्रवर्तन निदेशालय में शिकायत की है। निर्माण निगम के प्रबंध निदेशक, मुख्यमंत्री कार्यालय से लेकर पीएमओ तक शिकायत की गई है। तीन पन्नों के शिकायती पत्र ने निर्माण निगम में व्याप्त भ्रष्टाचार की परत दर परत खोली है कि किस तरह उच्च पदों पर बैठे अफसर अपने से नीचे पदों वाले अफसरों से उगाही कर रहे है। इस भ्रष्ट व्यवस्था के चलते ही निर्माण कार्यों में लूट-खसोट का सिलसिला जारी है।
कानपुर इकाई के तत्कालीन प्रभारी डीसी पंत ने 12 जुलाई को ईडी के निदेशक को शिकायती पत्र लिखकर आरोप लगाया कि महाप्रबंधक इटावा जोन एमके अग्रवाल उनके साथ ही अन्य इकाई प्रभारियों से बार-बार अवैध रूप से धन मांग रहे है, जिसके कारण सभी इकाई प्रभारी खासे परेशान है। विरोध जताने पर सस्पेंड करने की धमकी दी जाती है। इसके अलावा अग्रवाल अपने चहेते ठेकेदारों से लंबी-चौड़ी घूस की रकम लेकर नए कामों को बिना टेंडर देने का दबाव बनाते है। निर्माण कार्य मिलने के बाद गुणवत्ताहीन काम होने पर इकाई प्रभारियों पर जिम्मेदारी का सारा ठीकरा फोड़ दिया जाता है।
महाप्रबंधक से साठगांठ होने के चलते ठेकेदार भी फर्जी भुगतान का दबाव बनाते है। ऐसी परिस्थतियों में काम करना मुश्किल हो रहा है। किसी परियोजना में इकाई को कोई परेशानी होती है तो भी महाप्रबंधक स्तर से जरा भी सहायता नहीं मिलती। मार्गदर्शन मांगने पर उलटा इकाई प्रभारी के विरूद्घ अनावश्यक पत्राचार कर प्रताड़ित किया जाता है। पंत ने ये भी आरोप लगाया कि अग्रवाल दावा करते है कि पीडब्ल्यूडी से निर्माण निगम में प्रतिनियुक्ति पर धन उगाही के लिए ही भेजे गए हैं और एक-दो साल में वापस अपने विभाग चले जाएंगे। निर्माण निगम के पास उनके खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार तक नहीं हैं लेकिन उनके पास इकाई प्रभारी को सस्पेंड करने व कार्रवाई का अधिकार है। इकाई प्रभारी महाप्रबंधक की धमकियों से इतना परेशान है कि उन सभी के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। निराशा के चलते कभी भी आत्महत्या जैसी अप्रिय घटना घट सकती है। पत्र में अपनी बेचारगी जताते हुए पंत ने कहा कि अपने वेतन से कोई भी इकाई प्रभारी महाप्रबंधक को घूस नहीं दे पाएगा। अहम बात तो यह है कि भ्रष्टाचार की वजह से यदि कोई फर्जी काम होता है तो फंसेगा इकाई प्रभारी ही। ऐसे में कोई भी अपनी गर्दन फंसाना नहीं चाहता। बेहद विषम परिस्थितियों का हवाला देते हुए तत्कालीन इकाई प्रभारी डीसी पंत ने ईडी से अग्रवाल के खिलाफ जांच बैठाने का निवेदन किया है।
हर सरकार में पॉवरफुल रहे अग्रवाल
महाप्रबंधक मणिकांत अग्रवाल पर भ्रष्टाचार के पहले भी आरोप लगते रहे है। अखिल भारतीय भ्रष्टाचार विरोधी एवं समाज पुनर्निर्माण समिति ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर जीएम पर पूरे कार्यकाल के दौरान जमकर भ्रष्टाचार करने का आरोप लगाया है। कहा कि भ्रष्टाचार और लापरवाही के चलते इटावा जोन में सैफई में 500 बेड का सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल और 300 बेेड का महिला अस्पताल का निर्माण अधर में लटका है। अग्रवाल पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार में तत्कालीन प्रबंध निदेशक आरके गोयल के काफी करीबी माने जाते थे। एक और प्रबंध निदेशक रह चुके सत्यप्रकाश सिंहल का इनको रिश्तेदार बताया जाता है। इसीलिए शिकायतों के बावजूद भी आज तक इन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। पूरी नौकरी इटावा व सटे आगरा जोन में गुजार देने वाले एमके अग्रवाल के पूरे कार्यकाल की जांच कराकर उचित कार्रवाई की समिति ने मांग की है।
महाप्रबंधक द्वारा लगातार अवैध वसूली के लिए प्रताड़ित किया जा रहा था जिसके चलते मैं खुद कानपुर इकाई से हटना चाहता था। 22 अगस्त को मनीष चंद्रा को चार्ज सौंप कर मैं मुख्यालय से संबद्ध हो गया हूं। मेरे शिकायती पत्र पर लोक निर्माण विभाग से जीएम के खिलाफ जांच बैठ गई है। -डीसी पंत, शिकायतकर्ता, पूर्व कानपुर इकाई प्रभारी
सभी आरोप बेबुनियाद है। डीसी पंत खुद बहुत बड़े भ्रष्टाचारी है, इनके खिलाफ तमाम शिकायतें है। इनके कार्यकाल में तमाम फर्जीवाड़े हुए। प्रोजेक्ट मैनेजर से लेकर जेई-एई का प्रभार भी कई बार खुद के हाथों में लेकर भ्रष्टïाचार किया है, जिसकी जांचे चल रही है। अपने को बचाने के लिए फर्जी शिकायत की गई है।
एमके अग्रवाल, महाप्रबंधक, इटावा जोन
डीसी पंत के खिलाफ तमाम शिकायतें हैं। कन्नौज मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य और कानपुर एचबीटीयू के कुलपति का शिकायती पत्र मिला था, जिसको देखते हुए उनको कानपुर इकाई से हटा कर मुख्यालय से अटैच कर दिया गया है।उनके खिलाफ जांच पहले से लंबित है। जीएम पर लगाए गए आरोप का पत्र मिला है, उस पर शिकायतकर्ता से साक्ष्य मांगे गए हैं और तत्पश्चात इसकी जांच की जाएगी। फिलहाल जीएम का ट्रैक रिकॉर्ड साफ है। -संजय तिवारी, प्रबंध निदेशक, राजकीय निर्माण निगम
बिजली उपकेंद्र के बाहर गंदगी देख भड़के मंत्री, कहा इसे सुधारो
प्रयागराज। उत्तर प्रदेश के ऊर्जा राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर प्रयागराज में हैं। उन्होंने कई विद्युत उपकेंद्रों का निरीक्षण किया। इस दौरान शहर के तेलियरगंज उपखंड के बाहर गंदगी देख अधिकारियों को फटकार लगाई। गंदगी देख भड़क गए कहा, इसे तुरंत सुधारो। इसके बाद मंत्री गोविंदपुर उपकेंद्र पहुंचे। वहां जला हुआ ट्रांसफार्मर बदला गया या नहीं, इसकी जानकारी ली। म्योहाल उपकेंद्र का भी निरीक्षण किया। अधिकारियों को बिजली उपभोक्ताओं की समस्याओं का जल्द निवारण करने का निर्देश दिया। उल्लेखनीय है कि यूपी के ऊर्जा राज्यमंत्री सोमेंद्र तोमर के आगमन के दौरान ही विद्युत समाधान सप्ताह शिविर का भी आयोजन शुक्रवार को किया गया है। तेलियरगंज, गोविंदपुर और म्योहाल विद्युत उपकेंद्रों के निरीक्षण के दौरान मंत्री ने समाधान सप्ताह शिविर में मौजूद उपभोक्ताओं से बातचीत की और उनकी समस्याओं को भी जाना। इस दौरान उन्होंने कुछ शिकायतकर्ताओं से फोन पर बातचीत की तो बताया गया कि मीटर संबंधित शिकायत उन्होंने की थी जिसका निस्तारण हो गया है। ऊर्जा राज्यमंत्री ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिया कि उपभोक्ताओं की समस्याओं का तत्काल निस्तारण किया जाए।
केशव मौर्य से मिलने पहुंचे दिव्यांग को पुलिस ने घसीटा
लखनऊ। सुल्तानपुर में गुरुवार को डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से मिलने एक दिव्यांग पहुंचा। पुलिस ने उसे मिलने से रोक दिया। जब वह नहीं माना, तो पुलिस ने उसे टांग कर दूर किया। इसका वीडियो सामने आया है, जिसमें दिख रहा है एक दिव्यांग हाथ में तिरंगा लेकर बैठा है। पुलिस उसे जाने के लिए कहा रही है, लेकिन वह डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य से मिलने की जिद पर अड़ा रहा। जब वह नहीं माना, पुलिस से उसे टांगकर हटाया। शहर से कुछ दूरी पर कटावां गांव है। यह कोतवाली नगर थाना क्षेत्र में आता है। गांव का ही जयसराज दोनों पैरों से दिव्यांग है। उसने बताया कि हमे ट्राई साइकिल और दूसरी सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा। इसकी कई बार शिकायत भी कर चुका है, जिसे अनसुना कर दिया गया।