ज्वालामुखी राख का असर: भारत में उड़ाने रद्द, कब बुझेगी ये आग?
इथियोपिया के हेली गुब्बी ज्वालामुखी विस्फोट से निकली राख भारत पहुंच रही है, जिससे हवाई यातायात प्रभावित हुआ है. इंडिगो, एअर इंडिया जैसी एयरलाइंस ने कई उड़ानें रद्द की हैं.

4पीएम न्यूज नेटवर्क: इथियोपिया के हेली गुब्बी ज्वालामुखी विस्फोट से निकली राख भारत पहुंच रही है, जिससे हवाई यातायात प्रभावित हुआ है. इंडिगो, एअर इंडिया जैसी एयरलाइंस ने कई उड़ानें रद्द की हैं. पर्यावरणविदों के अनुसार, यह राख कई महीनो तक हवा में रह सकती है, जिसमें शीशे के कण और जहरीली गैसें हैं, जो स्वास्थ्य और पर्यावरण पर गंभीर नकारात्मक प्रभाव डालेगी.
इथियोपिया में हेली गुब्बी ज्वालामुखी के फटने से राख के बादल भारत पहुंच रहे हैं. इसका सबसे पहला असर हवाई यातायात पर दिखा है जिसमें इंडिगो, एयर इंडिया और अकासा एयर ने यात्रियों की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाया है और कई प्लाइट रद्द की है. एयर इंडिया ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एडवाइजरी जारी करते हुए कहा कि यात्रियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और इसलिए यह निर्णय मजबूरी में लिया गया है. कंपनी ने उड़ान रद्द होने के कारण यात्रियों को हुई परेशानी के लिए खेद भी जताया है.
दरअसल ज्वालामुखी के फटने से काफी ऊंची हवा का गुबार निकलता है. पर्यावरणविद मन्नू सिंह ने मीडिया बातचीत में बताया कि विस्फोट इतना भयानक था जिसमें कई परमाणु बम से अधिक इसकी क्षमता है. अगर देखा जाए तो साथ ही साथ विस्फोट इतना भयानक था कि जो उसका राख 15 किलोमीटर ऊपर के वातावरण में चली गई.
उन्होंने कहा कि तात्कालिक तौर पर फ्लाइट तो कैंसिल करना पड़ता है क्योंकि इसके अंदर छोटे-छोटे गिलास यानी शीशे के कण मौजूद होते हैं. ऐसे में एनवायरमेंटल इंपैक्ट बहुत डिजास्टर होता है और वह जो कण होते हैं वह दो तरह के होते हैं. एक सूक्ष्म कण जो कई महीनो तक नीचे तक गिर सकते हैं और कुछ भारी कण होते हैं जो निर्भर करता है कि वातावरण में नमी कितनी है. क्या जेट स्ट्रीम चल रही है.. हवा की दिशा की किस तरह है उसे तरह से कुछ घंटे या कुछ दिनों में नीचे आ जाता है. 25 नवंबर को रद्द की गई फ्लाइट में एआई 2822 चेन्नई से मुंबई, एआई 2466 हैदराबाद से दिल्ली, एआई 2444 / 2445 मुंबईहैदराबादमुंबई, और एआई 2471 / 2472 मुंबईकोलकातामुंबई शामिल हैं.
24 नवंबर को भी रद्द हुई फ्लाइटें
24 नवंबर को रद्द की गई फ्लाइटों में एआई 106 न्यूयार्क से दिल्ली, एआई 102 न्यूयार्क से दिल्ली, एआई 2204
दुबई से हैदराबाद, एआई 2290 दोहा से मुंबई, एआई 2212 दुबई से चेन्नई, एआई 2250 दम्माम से मुंबई और
एआई 2284 दोहा से दिल्ली शामिल थीं.
कब सामान्य होगा हवाई यातायात
मन्नू सिंह ने कहा कि फिलहाल जेट स्ट्रीम वेस्टरली है. ऐसे में फ्लाइट मोमेंट को समान्य होने में 48 घंटे लगेंगे.
यह परिस्थिति तब संभव है जब कोई दूसरा विस्फोट नहीं होता है. उन्होंने कहा कि अभी भी मैं देख रहा हूं कि एक्टिविटी बड़ी हुई है. अगर ऐसी ही बेलचिंग होती रही तो तो टाइम लगेगा लेकिन अगर कोई विस्फोट नहीं होता है तो अगले 48 घंटे में भारी वाले जो कण होते हैं वह नीचे आ जाते हैं उसके बाद फ्लाइट मोमेंट समान्य हो जाएगा.
और भी हो सकते हैं विस्फोट
मन्नू सिंह ने कहा कि इथियोपिया के हाली गुब्बी नाम से डॉर्मेंट वोल्केनो में एक बड़ा विस्फोट हुआ है. इससे पहले
12000 साल पहले इसमें विस्फोट हुआ था. उन्होंने कहा कि एक बार जब बड़ा विस्फोट होता है तो उसके बाद भी कुछ छोटे छोटे विस्फोट होते हैं. ऐसे में ऐसा लगता है कि आने वाले दिनों में और भी विस्फोट हो सकता है.
क्या है इसका इतिहास
मन्नू सिंह ने कहा कि कनाडा में स्थित जो वोल्केनो है वह कई लाख वर्ष पहले उसमें विस्फोट हुआ था. पूरी धरती को उसने राख से ढक दिया था. इतना ही नहीं 1000 साल तक पूरी दुनियां को राख में ढाके रखा, जिसकी वजह से बहुत बड़ा स्पीशीज का एक्सटेंशन हुआ था. जब कारकोका का आधुनिक विस्फोट हुआ था, उसे भी बड़ा विस्फोट
माना जाता है. उसमें भी पूरी तरीके धरती पर अपने राख को बसाया था.
भारत पर कितना होगा प्रभाव
मन्नू सिंह ने कहा कि हवा का रुख वेस्टर्नेली है तो भारत में आना इसके सामान्य घटना है और प्रेडिक्शन यह है कि
दिल्ली में भी इसका प्रभाव कल रात से थोड़ा देखा जा सकता है. मगर, यह दिल्ली एनसीआर थोड़ा बच जाए क्योंकि
हवा की दिशा की थोड़ा परिवर्तित हुई है.
हवा में घुला है जहर
मन्नू सिंह ने बताया कि इस वक्त दिल्ली में पहले से ही हवा काफी जहरीली हो चुकी है. ऐसे में ज्वालामुखी विस्फोट
से निकले सूक्ष्ण और बड़े कण हवा को काफी विषाक्त कर सकते हैं. मसलन मौजूदा हवा में थोड़ी भी मात्रा में शीशे
के कण, इसके अलावा फ्लोराइड, सल्फर और नाइट्रोजन होता है. साथ ही बहुत ही खतरनाक इसमें कुछ गैस भी होती है, जिससे कि फेफड़ों की प्रतिरक्षा पूरी तरीके से नकारात्मक रूप में प्रभावित होती है.
दूरगामी हो सकते हैं इसके परिणाम
मन्नू सिंह ने कहा कि इससे वातावरण में दूरगामी परिणाम भी हो सकते हैं. मसलन जो भारी कण हैं वह तो यहां पर
रहेंगे और उन्हें नीच आने में लगभग एक से डेढ़ सफ्ताह लगेगा. इसके साथ ही बात अगर छोटे कणों की करें तो 6 से 8 महीने तक रह सकते हैं और इसके साथ ही यह भी निर्भर करता है कि जेट स्ट्रीम कैसी है वायु किस दिशा में जा
रही है उसे दिशा में कहीं भी जो इसका असर होता है वह दूसरे अप महाद्वीपों पर भी तक जाता है.



