विपक्ष के निशाने पर फिर आया चुनाव आयोग

  • कांग्रेस समेत कई दलों ने कहा- बीजेपी को लाभ पहुंचाने की हो रही कोशिश
  • 11 दिन बाद वोटिंग का डेटा आने पर उठाया सवाल
  • सिब्बल, दिग्विजय व फारूख ने ईवीएम पर भी घेरा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। दो चरणों के वोटिंग के बाद सियासी दल फिर आक्रामक मोड में आ गए हैं। जहां विपक्ष के निशाने पर बीजेपी व मोदी सरकार तो है ही अब चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर भी सभी दलों ने सवालिया निशान लगाया है। जहां दो चरणों में चुनाव अयोग द्वारा हुए वोटिंग के आंकड़े 11 दिन बाद जारी करने पर बवाल मच गया है। कांग्रेस समेत इंडिया गठबंधन के अन्य सहयोगियों ने आरोप लगाया है इतने दिनों बाद आंकड़े जारी करने के पीछे कोई न कोई साजिश है।
जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने अनंतनाग-राजोरी लोकसभा सीट पर मतदान 25 मई तक स्थगित करने के लिए भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) को जमकर घेरा। उधर कांग्रेस नेता दिग्विजय ङ्क्षसह भी आयोग पर हमला बोला है। राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने चुनाव आयोग पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि 11 दिन के बाद आयोग की वेबसाइट पर वोट का डेटा आ रहा है। ऐसे में मेरा सवाल है कि 11 दिन बाद डेटा क्यों आया? आज के दिन किसी भी संस्था पर जनता को भरोसा नहीं है। दरअसल, लोकसभा चुनाव को लेकर होने वाले सात चरण में से दो चरण हो चुके हैं। पहले चरण की वोटिंग 19 अप्रैल को तो दूसरी चरण के लिए मतदान 26 अप्रैल को हुआ था। वहीं अभी पांच चरण वोटिंग होनी है। रिजल्ट चार जून को आएगा।

 

मोदी सरकार ‘अंधाधुंध’ निजीकरण करके आरक्षण ‘छीन’ रही है : राहुल

कांग्रेस नेता ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि आरक्षण समाप्त करने का नरेन्द्र मोदी के अभियान का मंत्र है-‘न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी मतलब न तो सरकारी नौकरियां रहेंगी और न ही आरक्षण देना पड़ेगा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केन्द्र की मोदी सरकार पर ”अंधाधुंध” तरीके से निजीकरण लागू करके दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्गों से ”गुपचुप तरीके से” आरक्षण छीनने का बृहस्पतिवार को आरोप लगाया और कहा कि उनकी पार्टी सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को मजबूत करने और रोजगार के दरवाजे खोलने की गारंटी देती है। भाजपा सरकार निजीकरण से सरकारी नौकरियों को खत्म कर चुपके-चुपके दलितों, आदिवासियों और पिछड़ा वर्ग से आरक्षण छीन रही है। उन्होंने कहा कि 2013 में सार्वजनिक क्षेत्रों में 14 लाख स्थायी पद थे जो 2023 तक आते आते सिर्फ 8.4 लाख ही बचे हैं। कांग्रेस नेता ने कहा, ” बीएसएनएल, सेल, भेल जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के शीर्ष उपक्रमों को बरबाद करके सार्वजनिक क्षेत्र से कम से कम छह लाख स्थाई नौकरियां छीन ली गईं। ये ही वे पद हैं जिनमें आरक्षण का लाभ दिया जा सकता था।उन्होंने दावा किया कि रेलवे जैसे संस्थानों में सरकारी काम ठेके पर देकर पिछले दरवाजे से जो नौकरियां खत्म की जा रही हैं उनकी कोई गिनती नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया, ”मोदी मॉडल का ‘निजीकरण’ देश के संसाधनों की लूट है, जिसके जरिए वंचितों का आरक्षण छीना जा रहा है। गांधी ने कहा कि कांग्रेस की यह गारंटी है कि वह सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों को मजबूत करेगी और 30 लाख रिक्त सरकारी पदों को भरकर समाज के हर वर्ग के लिए रोजगार के द्वार खोलेगी।

दिग्विजय सिंह ने मप्र में ईवीएम पर खड़े किए सवाल

दिग्विजय सिंह ने कहा मध्यप्रदेश में भी ईवीएम पर सवाल उठा रहे लोग। उन्होंने कहा कि यहां भी जोर ईवीएम पर है, कुछ दिनों पहले भोपाल में अपने आवास पर एक मॉक पोल के जरिये दिग्विजय ने ईवीएम में हेरफेर के अपने आरोपों का समर्थन करने के लिए गुजरात के कुछ विशेषज्ञों को भी बुलाया था। हालांकि, बीजेपी का कहना है कि दिग्विजय सिंह को कोई गंभीरता से नहीं लेता।

आयोग पर भरोसा पर बताए क्यों लगा इतना समय : सिब्बल

कपिल सिब्बल ने कहा, सुप्रीम कोर्ट का ईवीएम पर निर्णय आया है, कोर्ट ने कहा कि लोगों को चुनाव आयोग पर भरोसा रखना चाहिए। पहले चरण की वोटिंग के बाद इसका डेटा 11 दिन बाद आया। इसमें बताया गया कि कितने प्रतिशन वोट पड़े, लेकिन कितने वोट डाले गए ये नहीं बताया गया। इसका कारण मैं नहीं जानता। हम चुनाव आयोग पर विश्वास रखेंगे, लेकिन आयोग को बताना चाहिए है कि 11 दिन डेटा जारी करने में क्यों लगे? संदेह पैदा होने पर लोगों का विश्वास भी कम होता है।

केंद्र के नियंत्रण में नहीं है सीबीआई : सरकार

  • पश्चिम बंगाल मामले में सुप्रीम कोर्ट में दी दलील

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सीबीआई पर केंद्र का नियंत्रण नहीं है। दरअसल पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दावा किया है कि सीबीआई ने कई मामलों में जांच के लिए राज्य सरकार की मंजूरी नहीं ली है। पश्चिम बंगाल सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत केंद्र के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा दायर किया है।
जिसमें आरोप लगाया गया है कि राज्य द्वारा सीबीआई को दी गई सामान्य सहमति वापस लेने के बावजूद भी संघीय एजेंसी एफआईआर दर्ज कर राज्य के मामलों की जांच कर रही है। संविधान का अनुच्छेद 131 केंद्र और राज्यों के अधिकारक्षेत्र से संबंधित है। केंद्र सरकार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ को बताया कि संविधान का अनुच्छेद 131 संविधान के सबसे पवित्र क्षेत्राधिकार में से एक है और इसके प्रावधानों का गलत इस्तेमाल नहीं किया जा सकता। राज्य सरकार के मुकदमे में जिस मामले के बारे में बताया गया है, वह भारत सरकार ने दायर नहीं किया है। मेहता ने कहा कि केंद्र सरकार ने मामला दर्ज नहीं किया था बल्कि सीबीआई ने किया था और सीबीआई, भारत सरकार के नियंत्रण में नहीं है।

दिल्ली महिला आयोग 223 कर्मचारी हटाए गए, आप और बीजेपी आमने-सामने

  • एलजी ने दिया आदेश, मालीवाल पर नियमों को तोड़कर नियुक्ति करने का आरोप

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। दिल्ली महिला आयोग के 233 कर्मचारियों को वहां के राज्यपाल ने हटा दिया है। इसको लेकर आप ने बीजेपी सरकार व एलजी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। दरअसल, दिल्ली महिला आयोग के कर्मचारियों पर दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने बड़ी कार्रवाई की है। वहीं स्वाति मालीवाल ने एक्स पर लिखा, एलजी साहब ने डीसीडब्ल्यू के सारे कॉन्ट्रैक्ट स्टाफ को हटाने का एक तुगलकी फरमान जारी किया है। आज महिला आयोग में कुल 90 स्टाफ है जिसमें सिर्फ आठ लोग सरकार द्वारा दिये गये हैं, बाकी सब तीन-तीन महीने के कॉन्ट्रैक्ट पर हैं। अगर सब कॉन्ट्रैक्ट स्टाफ हटा दिया जाएगा, तो महिला आयोग पर ताला लग जाएगा। ऐसा क्यों कर रहे हैं ये लोग? खून पसीने से बनी है ये संस्था। उसको स्टाफ और सरंक्षण देने की जगह आप जड़ से खत्म कर रहे हो? मेरे जीते जी मैं महिला आयोग बंद नहीं होने दूंगी। मुझे जेल में डाल दो, महिलाओं पर मत ज़ुल्म करो! उपराज्यपाल के आदेश में डीसीडब्ल्यू एक्ट का हवाला दिया गया है। जिसमें बताया गया है कि आयोग में सिर्फ 40 पद ही स्वीकृत हैं। डीसीडब्ल्यू के पास ठेके पर कर्मचारी रखने का अधिकार नहीं है।

जमानत के लिए दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचे सिसोदिया, कल होगी सुनवाई

आबकारी नीति घोटाला से जुड़े सीबीआई व ईडी मामले में जमानत देने से इन्कार करने के निचली अदालत के निर्णय को दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के समक्ष मामले का उल्लेख किया गया और अदालत ने इसे शुक्रवार को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया। 30 अप्रैल को निचली अदालत ने सियोदिया की याचिका खारिज कर दी थी। अदालत ने यह कहते हुए सिसोदिया को राहत देने से इन्कार कर दिया था कि सिसोदिया समेत अन्य सह-अभियुक्तों द्वारा मामले की सुनवाई में देरी करने का पुरजोर प्रयास किया जा रहा है। अदालत ने कहा था कि सिसोदिया समेत अन्य आरोपित कई आवेदन दायर कर रहे हैं या मौखिक दलीलें दे रहे हैं।

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