मोदी राज में किसान बेहाल! 30 साल के अहंकार का अब होगा अंत, जनता लिखेगी नई कहानी

मोदी राज में देश का अन्नदाता खुद को ठगा महसूस कर रहा है... बढ़ती महंगाई, फसल का सही दाम न मिलना...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः गुजरात में किसानों के आंदोलन को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है.. आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक.. और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने गुजरात की भाजपा सरकार पर तीखा हमला बोला है.. और उन्होंने कहा कि गुजरात में 30 साल से सत्ता में बैठी भाजपा ने अब दमन की सारी हदें पार कर दी हैं.. किसानों की आवाज़ उठाने वाले AAP नेताओं प्रवीण राम और राजू करपड़ा की गिरफ्तारी को उन्होंने लोकतंत्र पर हमला बताया… बता दें कि अरविंद केजरीवाल ने गुरुवार को एक्स पर एक वीडियो जारी करते हुए कहा कि गुजरात की भाजपा सरकार ने किसानों के साथ अन्याय करने वालों का साथ दिया है.. किसान अगर अपने हक की बात करें तो उन्हें जेल में डाल दिया जाता है.. यह लोकतंत्र नहीं, तानाशाही है..

उन्होंने कहा कि गुजरात के किसान आज बेहद दुखी हैं.. वे अपने हक की मांग के लिए सड़कों पर उतरने को मजबूर हैं.. पिछले कुछ हफ्तों से राज्य के कई जिलों में किसानों के प्रदर्शन चल रहे हैं.. जिनमें बोटाद, अमरेली, सुरेंद्रनगर, राजकोट और भावनगर शामिल हैं.. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने किसानों की जायज मांगों को अनदेखा किया है.. और उल्टा किसानों की आवाज़ उठाने वाले नेताओं को जेल भेज दिया…

आपको बता दें कि गुजरात में लंबे समय से चली आ रही ‘करदा प्रथा’ को लेकर किसानों में भारी असंतोष है.. इस प्रथा के तहत जब किसान मंडी में अपनी फसल बेचने जाता है.. तो व्यापारी के साथ पहले एक कीमत पर सहमति बनती है.. लेकिन व्यापारी पूरी फसल उसी दर पर नहीं खरीदते.. वे पहले 10–20 फीसदी फसल 1400 रुपये में खरीद लेते हैं.. और बाकी के लिए बहाना बनाते हैं कि फसल में खराबी है.. फिर उसी किसान की बाकी फसल 1000 या 1100 रुपये में खरीद लेते हैं…

जिसको लेकर किसानों का आरोप है कि यह व्यापारियों की मिलीभगत से चल रही लूट है.. और सरकार इस पर आंख मूंदे बैठी है..गुजरात के बोटाद जिले के किसानों ने इसी मुद्दे पर 12 अक्टूबर को हड़दड़ गांव में महापंचायत बुलाई थी.. जिसमें हजारों किसान शामिल हुए थे.. किसानों का कहना है कि इस प्रणाली से किसान का शोषण होता है.. फसल के दाम तय होने के बाद व्यापारी अपने हिसाब से भाव घटा देते हैं.. वहीं किसान चाहते हैं कि राज्य सरकार सभी प्रमुख फसलों खासकर कपास, मूंग, चना और गेहूं की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर करवाए.. ताकि व्यापारी मनमानी न कर सकें..

किसानों ने चेतावनी दी थी कि अगर सरकार ने जल्द कदम नहीं उठाया.. तो आंदोलन और बड़ा रूप लेगा.. वहीं महापंचायत के कुछ दिन बाद ही AAP के दो नेता प्रवीण राम और राजू करपड़ा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया.. और दोनों पर आरोप लगाया गया कि उन्होंने किसानों को उकसाया और भड़काऊ भाषण दिए.. हालांकि आम आदमी पार्टी का कहना है कि दोनों नेता सिर्फ किसानों की मांगों को सरकार तक पहुंचा रहे थे.. AAP के गुजरात प्रदेश अध्यक्ष इसुदन गढ़वी ने भी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह पहली बार नहीं है जब किसानों की आवाज़ उठाने पर नेताओं को गिरफ्तार किया गया.. भाजपा को लगता है कि डराकर आंदोलन रोक देगी.. लेकिन अब किसान पीछे नहीं हटेंगे..

बता दें कि अरविंद केजरीवाल ने गुजरात के राजनीतिक इतिहास का जिक्र करते हुए कहा कि 1985 में कांग्रेस को गुजरात विधानसभा में 182 में से 149 सीटें मिली थीं.. लेकिन कांग्रेस को अहंकार हो गया था… 1987 में किसान आंदोलन हुआ.. कांग्रेस ने उसका दमन किया.. और जनता ने अगले चुनाव में उसे उखाड़ फेंका.. केजरीवाल ने चेतावनी दी कि भाजपा भी अब उसी रास्ते पर चल रही है.. भाजपा को 30 साल की सत्ता का घमंड हो गया है.. अब वह किसानों पर लाठीचार्ज कर रही है.. आवाज उठाने वालों को जेल में डाल रही है.. गुजरात के लोग 2027 के चुनाव में भाजपा को भी वैसे ही बाहर का रास्ता दिखाएंगे.. जैसे 1980 के दशक में कांग्रेस को दिखाया था..

आपको बता दें कि गुजरात को अक्सर मॉडल राज्य कहा जाता है.. लेकिन खेती-किसानी की स्थिति पर सवाल उठते रहे हैं.. राज्य सरकार के कृषि विभाग के आँकड़ों के मुताबिक पिछले पांच वर्षों में कृषि आय में वृद्धि की दर औसतन केवल 2.8% रही है.. जबकि औद्योगिक वृद्धि दर 9% से अधिक रही.. राज्य के कई सूखा प्रभावित जिलों कच्छ, सुरेंद्रनगर, जामनगर और बोटाद में किसानों की बिजली, सिंचाई और बीज सब्सिडी को लेकर लगातार शिकायतें आती रही हैं… कपास और मूंग की फसलों के दाम कई बार एमएसपी से नीचे चले गए.. लेकिन सरकार ने खरीद नहीं की.. किसानों का कहना है कि जब वे अपनी समस्याएं बताने जाते हैं.. तो सरकार उन्हें राजनीति करने वाला कहकर नज़रअंदाज कर देती है..

 

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