पूर्व जस्टिस ने लगाई हाईकोर्ट से गुहार

नई दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट में पूर्व जस्टिस ने अपना दर्द बयां किया है कि किस प्रकार बांउसरों की मदद से उनको चार्ज नहीं लेने दिया गया। कर्नाटक हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस पी. कृष्ण भट्ट का कहना है कि वह जब बास्केटबॉल फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रशासक का चार्ज लेने पहुंचे तो उन्हें बाउंसरों ने रोक दिया। जस्टिस भट्ट ने दिल्ली उच्च न्यायालय में अपना दर्द जाहिर किया। उन्हें फेडरेशन के चुनाव कराने के लिए उच्च न्यायालय ने प्रशासक नियुक्त किया था, लेकिन वह अपना चार्ज ही नहीं ले सके। उन्होंने कहा कि जब मैं प्रशासक के तौर पर चार्ज लेने गया तो फेडरेशन के सदस्यों और पदाधिकारियों ने बाहर बाउंसर तैनात कर दिए। मुझे अंदर जाने से ही रोक दिया गया। बाउंसरों और सुरक्षाकर्मियों के जरिए ऐसा कराया गया। जस्टिस भट्ट की अर्जी पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने फेडरेशन के पदाधिकारियों को नोटि जारी किया है। यही नहीं उनसे पूछा है कि जिस तरह से जस्टिस भट्ट को रोका गया है, वह अदालत के आदेश का उल्लंघन है। ऐसे में आप लोगों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई क्यों नहीं होनी चाहिए। जस्टिस मनमीत प्रीतम अरोड़ा ने नोटिस जारी करते हुए कहा कि हमने 2 मई को ही इस संबंध में आदेश दिया था कि जस्टिस भट्ट प्रशासक होंगे। उसके बाद भी इस तरह की कार्रवाई क्यों की गई। अदालत ने इस मसले पर 1 जून तक जवाब भी मांगा है।\ठ्ठइससे पहले हाई कोर्ट ने 2 मई को आदेश जारी किया था, जिसमें जस्टिस भट्ट को बास्केटबॉल फेडरेशन का प्रशासक नियुक्त करने का फैसला हुआ था। अदालत ने कहा था कि वह फेडरेशन की गवर्निंग बॉडी का चुनाव कराएंगे। इसके साथ ही अदालत ने आदेश दिया था कि फेडरेशन के पदाधिकारी चेक बुक, बैंक पासबुक जैसे दस्तावेज प्रशासक को सौंप दें। चुनाव होने के बाद वह संबंधित पदाधिकारियों को देंगे। इसके अलावा कहा गया था कि किसी भी तरह की पेमेंट जस्टिस भट्ट की मंजूरी के बिना नहीं हो सकेगी। \ठ्ठयही नहीं अदालत ने बैंकों को भी आदेश दिया था कि वे फेडरेशन के बैंक खातों के बीते तीन सालों का ऑडिट करें। लेकिन जब जस्टिस भट्ट अपना चार्ज लेने के लिए फेडरेशन के ऑफिस पहुंचे तो उन्हें अंदर ही नहीं जाने दिया गया। जस्टिस भट्ट के मुताबिक उन्हें बाउंसरों और सुरक्षाकर्मियों ने रोक दिया था।

 

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