मोदी राज में फर्जीवाड़े का बोलबाला, नकली कोलगेट फैक्ट्री से 9 लाख का माल जब्त
देश में फर्जीवाड़े का जाल तेजी से फैल रहा है... मोदी राज में अब टूथपेस्ट तक सुरक्षित नहीं रहा... पुलिस ने एक ऐसी फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया है...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों देश में रोजमर्रा की चीजे.. जिन पर हम भरोसा करते हैं.. अब सुरक्षित नहीं रह गई हैं.. हाल ही में पुलिस ने एक बड़ी छापेमारी के दौरान नकली कोलगेट बनाने वाली फैक्ट्री का भंडाफोड़ किया.. और करीब 9 लाख रुपये का नकली माल जब्त किया.. यह सिर्फ एक घटना नहीं है.. यह संकेत है कि कैसे फर्जीवाड़ा अब आम लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी तक घुस चुका है.. आपको बता दें कि फैक्ट्री में केवल टूथपेस्ट नहीं, बल्कि ब्रांडिंग.. और पैकिंग तक पूरी तरह असली की तरह बनाई गई थी.. हर पैकेज में लोगो, रंग और लेबल असली जैसा था.. ताकि ग्राहक धोखा न पहचान पाए.. लेकिन अंदर जो चीजें भरी थी.. वे नकली और मिलावटी थी..
आपको बता दें कि यह घटना कई सवाल खड़े करती है.. क्या हम सच में भरोसा कर सकते हैं कि हमारे घरों तक पहुंचने वाली चीजें सुरक्षित हैं.. क्या कानून और प्रशासन ऐसे फर्जी उत्पादों पर काबू पा रहे हैं.. और जब रोजमर्रा की चीजें भी नकली बन सकती हैं… तो उपभोक्ता के पास विकल्प क्या हैं.. विशेषज्ञों का कहना है कि नकली उत्पादन केवल टूथपेस्ट तक सीमित नहीं है.. मार्केट में कई अन्य आवश्यक वस्तुएं भी नकली और मिलावटी बना कर बेची जा रही हैं.. यह न सिर्फ ग्राहक के स्वास्थ्य के लिए खतरा है.. बल्कि बाजार में ईमानदार व्यापारियों के लिए भी बड़ा नुकसान है..
सोचिए.. आप सुबह उठते हैं.. दांत साफ करने के लिए कोलगेट का ट्यूब उठाते हैं.. जो आपके पास ‘मेड इन इंडिया’ का गर्व तो दिखाता है.. लेकिन अंदर भरा होता है जहर.. जी हां गुजरात के कच्छ जिले के रापर तालुका के चित्रोड गांव में ऐसा ही एक ‘मिनी फैक्ट्री’ चल रही थी.. जहां नकली कोलगेट टूथपेस्ट बनाकर पूरे देश में बेचा जा रहा था.. गागोदरा पुलिस ने इसकी कलई खोल दी.. जब्त माल की कीमत करीब 9.43 लाख रुपये बताई जा रही है.. 500 से ज्यादा डुप्लीकेट पैकेट.. रसायनों के कंटेनर, पैकेजिंग मशीनें.. और नकली लेबल प्रिंटिंग मशीनें सब कुछ बरामद हो गया.. लेकिन सवाल ये है कि ये सब मोदी के ‘वाइब्रेंट गुजरात’ में ही ये सब क्यों धड़ल्ले से हो रहा है.. क्या ये ‘अमृत काल’ का वो अमृत है.. जो लोगों के मुंह में घुलकर जहर बन जाता है..
आपको बता दें कि आम आदमी के लिए ये खबर सिर्फ एक छोटी सी घटना नहीं है.. ये आपके रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा है.. टूथपेस्ट जैसी छोटी चीज में भी धोखा हो रहा है.. तो बड़े सपनों की क्या कीमत… नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री रह चुके हैं.. और आज देश के प्रधानमंत्री हैं.. अक्सर कहते हैं कि गुजरात मॉडल पूरे भारत के लिए मिसाल है.. लेकिन ये मॉडल क्या सिखा रहा है.. नकली माल बनाना.. अपराधियों को संरक्षण देना.. या फिर गरीब किसानों और मजदूरों को ऐसे धंधों में धकेलना.. जहां वो अपना और दूसरों का जीवन दांव पर लगा दें..
बता दें कि पुलिस को एक गुप्त सूचना मिली.. सूचना इतनी पुख्ता थी कि थाने के अफसरों ने तुरंत एक स्पेशल टीम बनाई.. चित्रोड गांव वो जगह है जहां रेगिस्तान की रेत और गरीबी की मार दोनों ही साफ दिखते हैं.. वहां एक पुरानी कोठरी जैसी जगह पर ये ‘फैक्ट्री’ चल रही थी.. बाहर से देखो तो शायद कोई छोटा सा गोदाम लगे.. लेकिन अंदर का नजारा देखकर किसी का भी कलेजा बैठ जाए..
पुलिस टीम ने छापा मारा.. और फैक्ट्री के अंदर 500 से ज्यादा कोलगेट के नकली पैकेट मिले.. हर पैकेट पर वैसा ही लोगो.. वैसी ही चमकदार पैकेजिंग.. लेकिन अंदर भरा हुआ सस्ता रसायन.. जो शायद कोई फ्लोराइड हो ही नहीं.. बल्कि कोई सस्ता केमिकल जो दांत न साफ करे.. बल्कि खराब कर दे.. कंटेनरों में भरे हुए गाढ़े पेस्ट जैसे मिश्रण.. जिनकी जांच अभी होनी है.. एक पैकेजिंग मशीन, जो छोटे-छोटे पैकेट भरने का काम कर रही थी.. और एक प्रिंटर जो नकली लेबल छाप रहा था.. कुल मिलाकर जब्त माल की कीमत 9.43 लाख रुपये थी.. पुलिस ने कोलगेट कंपनी के अधिकारियों से संपर्क किया.. और पुष्टि हो गई कि ये सब फर्जी है..
जिसके बाद मामला दर्ज हो गया.. जिसमें राजेश दियाभाई मकवाना, सुरेश माहेशभाई उमट, नतवर अजाभाई गोहिल और नरपत उर्फ नरू दियाभाई मकवाना आरोपी है.. सब एक ही गांव के रहने वाले है.. ये लोग रापर तालुका के ही हैं.. उनके खिलाफ कॉपीराइट एक्ट 1957 की धारा, आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी).. और उपभोक्ता स्वास्थ्य को खतरे में डालने के आरोप लगे हैं.. गिरफ्तारी के प्रयास चल रहे हैं.. लेकिन सवाल ये कि ये लोग इतने बिंदास कैसे थे.. क्या उन्हें पता था कि पुलिस का हाथ कभी नहीं पहुंचेगा.. और ये गुजरात का कच्छ है.. जहां मोदी ने कई बार रैलियां की हैं.. विकास के वादे किए हैं.. लेकिन विकास कहां है.. सिर्फ अपराध का विकास हुआ है..
गुजरात को नरेंद्र मोदी ने ‘वाइब्रेंट गुजरात’ बनाया.. 2003 में जब वो मुख्यमंत्री बने.. तब से हर साल समिट होते हैं.. निवेशक आते हैं, फैक्टरियां लगती हैं.. लेकिन असली फैक्टरियां या नकली ये सवाल पुराना नहीं है.. 2025 में भी कच्छ जैसे दूरदराज इलाकों में नकली सामान की फैक्टरियां पनप रही हैं.. क्योंकि निगरानी का अभाव है.. पुलिस है लेकिन भ्रष्टाचार है.. अधिकारी हैं लेकिन लापरवाही है.. और सबसे ऊपर वो राजनीतिक इच्छाशक्ति का अभाव.. जो मोदी के राज में गुजरात को ‘क्राइम-फ्री’ बनाने का दावा करते हैं..
मोदी ने 2014 में कहा था कि अच्छे दिन आने वाले हैं.. लेकिन गुजरात में अच्छे दिन कब आएंगे.. 2020 में अहमदाबाद में नकली दवाओं का रैकेट पकड़ा गया.. 2022 में सूरत में नकली मसाले बनते थे.. 2023 में वडोदरा में फर्जी ब्रांडेड कपड़े.. और अब 2025 में कच्छ में नकली टूथपेस्ट बनाने का मामला सामने आया है.. पैटर्न साफ है नकली माल का बाजार बढ़ रहा है.. क्योंकि ‘मेक इन इंडिया’ के नाम पर छोटे-छोटे अवैध कारखाने खड़े हो जाते हैं.. लेकिन लाइसेंस चेक करने वाला कोई नहीं होता.. FDA, पुलिस, सब सोते रहते हैं.. और जब पकड़े जाते हैं.. तो सिर्फ चार लोगों पर केस कर दिया जाता है.. और बड़े मास्टरमाइंड राजनीतिक संरक्षण में छिपे रहते हैं..
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के मुताबिक.. 2024 में गुजरात में कॉपीराइट उल्लंघन के 1500 से ज्यादा केस दर्ज हुए.. 2023 में 1200 थे.. ये ‘वाइब्रेंट’ गुजरात है या ‘वायब्रेंट क्राइम’ गुजरात.. गुजरात में ही 2019 में एक नकली टूथपेस्ट रैकेट पकड़ा गया था.. जिसमें लेड और मरकरी मिला था.. दो दर्जन लोग अस्पताल पहुंचे थे.. अब ये चित्रोड वाला केस भी वैसा ही लग रहा है.. FDA अगर टेस्ट करेगी तो शायद वही निकले.. लेकिन तब तक हजारों ट्यूब बाजार में घूम चुकी होंगी.. सस्ता दाम देखकर लोग खरीद लेंगे.. और फिर डॉक्टर के पास दौड़ेंगे..
ये सिर्फ टूथपेस्ट नहीं भरोसे का सवाल है.. जब ब्रांडेड प्रोडक्ट में धोखा हो.. तो उपभोक्ता संरक्षण कानून क्या बकवास है… कॉपीराइट एक्ट तो है.. लेकिन उसपर कोई अमल नहीं हो रहा है.. आईपीसी 420 है, लेकिन सजा नहीं मिल रही है.. मोदी जी आपका ‘न्यू इंडिया’ कहां है.. जहां लोग नकली माल बेचकर अमीर बनें.. और गरीब जहर खाकर मरें..



