20 जुलाई से मानसून सत्र, पुरानी बिल्डिंग से ही होगी सेशन की शुरुआत, मणिपुर हिंसा, दिल्ली अध्यादेश व यूसीसी मुद्दे पर सरकार को घेरने की कवायद में विपक्ष

नई दिल्ली। संसद का मानसून सत्र 20 जुलाई से शुरू होगा। संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने शनिवार को यह ऐलान किया। मानसून सत्र का समापन 11 अगस्त को होगा। सत्र 23 दिनों तक चलेगा और 17 बैठकें होंगी। सरकार की मानसून सत्र को प्रोडक्टिव बनाने की कोशिश होगी। केंद्रीय मंत्री ने सभी विपक्षी पार्टियों से सार्थक चर्चा की अपील की। दूसरी तरफ विपक्ष मणिपुर पर सरकार को घेरने की पुरजोर कोशिश में है। सत्र का आयोजन संसद की पुरानी बिल्डिंग में होगा और समापन नई बिल्डिंग में होगा। 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बिल्डिंग का उद्घाटन किया था।
मानसून सत्र हंगामेदार रहने की संभावना है। बैठकें ऐसे समय में हो रही है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड की जबरदस्त वकालत की है। 22वें विधि आयोग ने इस संबंध में देशभर के लोगों समेत एक्सपट्र्स और धार्मिक संगठनों से अपनी-अपनी राय देने की अपील की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में अमेरिका यात्रा से होकर आए हैं। 31 एमक्यू-9 रीपर ड्रोन की अमेरिका के साथ डील हुई है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने इस डील के बारे में ज्यादा कुछ जानकारी नहीं दी। इस मुद्दे पर कांग्रेस और विपक्षी दल केंद्र सरकार को घेर सकती है।
पिछले दो महीने से भी ज्यादा समय से मणिपुर में हिंसा हो रही है। गृह मंत्री ने तो राज्य का दौरा किया लेकिन पीएम मोदी वहां नहीं गए। कांग्रेस नेता और संसद से अयोग्य सासंद राहुल गांधी ने पिछले दिनों मणिपुर का दौरा किया था। कांग्रेस नेता का यहां गर्मजोशी से स्वागत हुआ। राहुल की तस्वीरों के साथ कांग्रेस सोशल मीडिया पर पहले ही पीएम मोदी को निशाने पर लिए हुए हैं। मणिपुर में डेढ़ सौ से ज्यादा लोगों की मौत हुई है। विपक्ष सीएम से इस्तीफा मांग रहा है। पीएम मोदी से भी कुछ प्रतिक्रिया देने की अपील की। प्रधानमंत्री ने अबतक इस हिंसा पर कुछ नहीं कहा। विपक्ष संसद में इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से सवाल करने के मूड में है।
सत्र के दौरान आम आदमी पार्टी और उनके साथ कुछ अन्य लामबंद विपक्षी पार्टियों का हंगामा देखने को मिल सकता है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने संसद में सभी विपक्षी दलों से मदद की अपील की थी। लोकसभा में आप के एक भी सांसद नहीं है। दिल्ली पर केंद्र ने अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया था। कोर्ट ने दिल्ली की विधायी और प्रशासनिक जिम्मेदारी दिल्ली सरकार को देने का फैसला किया था। बाद में केंद्र ने अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली सरकार को सौंपी गई राइट्स छीन ली। इस मुद्दे पर कांग्रेस ने अपना रुख पहले ही साफ कर दिया है। उसके नेता आप का समर्थन नहीं करेंगे। दिल्ली के मुद्दे पर राज्यसभा में हंगामे की आशंका है।

 

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