गीतिका शर्मा सुसाइड केस से गोपाल कांडा बरी, जानिए कांडा के बारे सबकुछ

नई दिल्ली। हरियाणा के सिरसा से विधायक गोपाल कांडा इस समय सुर्खियों में हैं। वजह जिस गीतिका शर्मा नाम की एयरहोस्टेस के सुसाइड केस में गोपाल कांडा आरोपी थे, उसी केस में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में उनको बरी कर दिया है। गीतिका शर्मा ने 11 साल पहले सुसाइड किया था। अपने सुसाइड नोट में गीतिका ने गोपाल कांडा पर गंभीर आरोप लगाए थे, जिसके बाद उनकी मुसीबतें काफी बढ़ गई थीं। वह कभी एक एयरलाइन कंपनी के मालिक और हरियाणा की कांग्रेस सरकार में गृह राज्यमंत्री थे, लेकिन इस कांड के बाद उनका राजनीतिक करियर ऐसा डूबा कि वह अर्श से फर्श पर पहुंच गए।
बता दें कि मौजूदा समय में हरियाणा में मनोहर लाल खट्टर की अगुवाई में भाजपा-जजपा की सरकार चल रही है। गोपाल कांडा हरियाणा के सिरसा से हरियाणा लोकहित पार्टी (हलोपा) के विधायक हैं। ये उनकी खुद की पार्टी है। वह भाजपा-जजपा सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे हैं। हालांकि गोपाल कांडा के भाई गोविंद कांडा बीजेपी में हैं।
2019 में जब हरियाणा में किसी भी पार्टी को समर्थन नहीं मिला था तो बीजेपी और गोपाल कांडा की नजदीकि काफी अधिक देखने को मिली थी। हालांकि उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की पार्टी जब गठबंधन में शामिल हुई तो कांडा की दाल नहीं गल पाई। अब जब गोपाल कांडा के दाग धुल गए हैं तो हो सकता है कि बीजेपी उनको गले भी लगा ले, क्योंकि एनडीए की बैठक में हरियाणा लोकहित पार्टी भी शामिल हुई थी।
गोपाल कांडा का शुरुआत से राजनीति में जाने का कोई रुझान या मन नहीं था। वह तो एक मामूमी सा दुकानदार था, लेकिन वो कहते हैं न कि अगर किस्मत में राजयोग लिखा है तो वह मिलकर ही रहेगा। गोपाल कांडा को भी नहीं पता था कि वह एक दिन एयरलाइंस कंपनी का मालिक बन बैठेगा। गोपाल कांडा का सफर काफी अनोखा रहा है। अपनी दुकान शुरू करने के लिए चंदा मांगा, धीरे-धीरे दुकान चल पड़ी तो जूते के कारोबार में कूद गया, लेकिन यहां उसको झटका लगा और सारे पैसे डूब गए। नौबत ये आ गई कि गोपाल कांडा को टीवी रिपेयरिंग और इलेक्ट्रिशियन तक का काम करना पड़ा।
गोपाल कांडा के मन में जो एक टीश थी, वह यह थी कि वह जूते के कारोबार में फेल कैसे हो गया? जब उसके पास थोड़े बहुत पैसे हो गए तो उसने फिर से जूते के कारोबार में हाथ आजमाया और इस बार उसकी किस्मत ने साथ दे दिया। गोपाल कांडा का जूता का कारोबार इस कदर चला कि उनसे 1998 में गुडग़ांव में प्रॉपर्टी के कारोबार में कदम रख दिया। प्रॉपर्टी के कारोबार कदम रखते ही उसकी राजनीतिक लोगों से जान-पहचान होने लगी।
धीरे-धीरे गोपाल कांडा का रियल एस्टेट का कारोबार देश के कई शहरों तक फैल गया। अब गोपाल कांडा की नजर एविएशन सेक्टर पर थी। रियल एस्टेट से जो भी पैसे गोपाल कांडा ने कमाए थे, सब एयरलाइंस में कंपनी डालने में लगा दिए। कांडा ने गुडग़ांव से एमडीएलआर एयरलाइंस की शुरुआत की। इस एयरलाइंस का नाम कांडा ने अपने पिता मुरलीधर लेखा राम पर रखा था। हालांकि एयरलाइंस का काम साल 2009 में बंद हो गया था।
गोपाल कांडा ने राजनीतिक लोगों से पहचान और जूते का कारोबार, रियल स्टेट और एयरलाइंस से इतना सबकुछ बना लिया था कि अब उसकी नजर हरियाणा के विधानसभा चुनाव पर टिक गई थी। वह किसी भी तरह विधायक बनना चाहता था। साल 2009 में जब कांडा को इनेलो से टिकट नहीं मिला तो उसने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और पहली ही बार में छह हजार से अधिक वोटों से चुनाव जीत लिया।
इसी जीत ने कांडा को राजनीतिक रसूख को इतना बड़ा कर दिया कि वह किंगमेकर बन गया। हरियाणा में कांग्रेस की सरकार में गोपाल कांडा को गृह राज्यमंत्री बना दिया गया। यही नहीं बाद में वह शहरी निकाय, वाणिज्य और उद्योग मंत्री भी बनाया गया। तीन साल तो सब कुछ ठीक चलता रहा, लेकिन साल 2012 में गीतिका शर्मा सुसाइड केस ने गोपाल कांडा से मंत्री पद छीन लिया।
गीतिका उनकी एयरलाइंस में ही एयर होस्टेस थीं। गितिका ने अपने सुसाइड नोट में कहा था कि गोपाल कांडा ने उन्हें प्रताडि़त किया है, जिससे परेशान होकर वह इस तरह का कदम उठा रही हैं। इस कांड ने हरियाणा की कांग्रेस सरकार को भी कटघरे में खड़ा कर दिया था। आनन-फानन में सरकार को गोपाल कांडा की गिरफ्तारी के आदेश देने पड़े, जिसके बाद वह साल 2014 तक जेल में ही रहा। जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद किसी भी पार्टी में उसकी दाल नहीं गली तो खुद की अपनी पार्टी ‘हरियाणा लोकहित पार्टी’ बना ली।

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