क्या UAE ने दरवाजे कर दिए बंद? Pakistani Expats पर निशाना!

UAE से जुडी एक ऐसी खबर के बारे में आज हम आपसे बात करने जा रहे हैं जिसकी दुनियांभर में खूब चर्चा हो रही है। दरअसल खबर जुडी है पाकिस्तान और visa से। दोस्तों जैसा की आप जानते हैं यूएई यानी संयुक्त अरब अमीरात, एक ऐसा देश जो अपनी चमचमाती इमारतों, लग्जरी लाइफस्टाइल और आर्थिक समृद्धि के लिए जाना जाता है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: नमस्कार दोस्तों 4PM मिडिल ईस्ट में आपका इस्तकबाल है। 4PM के इस चैनल पर हम आपके लिए लेकर आते हैं खाड़ी देशों से जुड़ी जरूरी जानकारी और रोचक कहानियां। साथ ही यहां हम दुनिया तमाम बड़ी खबरों को आपके समाने पेश करते हैं।

इसी कड़ी में UAE से जुडी एक ऐसी खबर के बारे में आज हम आपसे बात करने जा रहे हैं जिसकी दुनियांभर में खूब चर्चा हो रही है। दरअसल खबर जुडी है पाकिस्तान और visa से। दोस्तों जैसा की आप जानते हैं यूएई यानी संयुक्त अरब अमीरात, एक ऐसा देश जो अपनी चमचमाती इमारतों, लग्जरी लाइफस्टाइल और आर्थिक समृद्धि के लिए जाना जाता है। यहां हर साल लाखों लोग घूमने, काम करने या बसने आते हैं। लेकिन हाल ही में, नवंबर 2025 में, एक खबर ने सुर्खियां बटोरीं – यूएई ने पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वीजा जारी करना रोक दिया है।

यह प्रतिबंध इतना सख्त है कि साधारण पाकिस्तानी पासपोर्ट धारकों को अब वीजा मिलना मुश्किल हो गया है। सामने आई खबरों के मुताबिक, इसके पीछे मुख्य वजह है पाकिस्तानी प्रवासियों का व्यवहार – वे टूरिस्ट वीजा पर आकर भीख मांगते हैं, अपराध करते हैं और वहां का माहौल खराब करते हैं। वहीं इस मामले पर शेख ने सख्त बयान दिया है, जिसमें उन्होंने कहा कि ऐसे लोग अरब देशों की साफ-सुथरी छवि को धूमिल कर रहे हैं। आइए, इस मुद्दे को सरल शब्दों में समझते हैं। हम बात करेंगे इसके कारणों, इतिहास, प्रभाव और भविष्य की संभावनाओं की। यह खबर सिर्फ वीजा की नहीं, बल्कि दो देशों के रिश्तों, प्रवासियों की जिंदगी और सामाजिक बदलावों की भी है।

तो चलिए दोस्तों सबसे पहले जानते हैं यह प्रतिबंध क्या है। यूएई ने पाकिस्तानी नागरिकों के लिए टूरिस्ट, विजिट और ज्यादातर वर्क वीजा पर रोक लगा दी है। सिर्फ डिप्लोमैटिक या ब्लू पासपोर्ट वालों को छूट है। पाकिस्तान के इंटीरियर मिनिस्ट्री के एक सीनियर अधिकारी ने सीनेट की कमिटी को बताया कि यह कोई आधिकारिक बैन नहीं है, लेकिन प्रैक्टिकल में वीजा रिजेक्शन रेट 99 प्रतिशत से ऊपर चला गया है। लोग आवेदन करते हैं, लेकिन रिजेक्ट हो जाता है। वजह की अगर बात की जाए तो यूएई की सरकार का कहना है कि पाकिस्तानी लोग वीजा लेकर आते हैं, लेकिन काम करने की बजाय भीख मांगने लगते हैं।

खासकर अबू धाबी, शारजाह और दुबई जैसे शहरों में संगठित भीख मांगने के गिरोह पकड़े गए हैं, जिनमें ज्यादातर पाकिस्तानी शामिल हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, जनवरी 2025 से ही यह समस्या बढ़ रही थी। ओवरसीज एम्प्लॉयमेंट प्रमोटर ऐसम बैग ने कहा कि यूएई को चिंता है कि विजिट वीजा पर आने वाले लोग वर्क वीजा की बजाय सड़कों पर भीख मांगते हैं। यह सुनने में छोटी बात लगती है, लेकिन यूएई जैसे अमीर देश के लिए यह बड़ी समस्या है। वे अपनी इमेज को साफ रखना चाहते हैं – एक ऐसा देश जहां पर्यटक और निवेशक सुरक्षित महसूस करें।

अब बात करते हैं उस शेख के बयान की, जिसने इस मुद्दे को और गरमा दिया। शेख सैफ बिन जायद अल नाहयान, जो यूएई के इंटीरियर मिनिस्ट्री के लेफ्टिनेंट जनरल हैं, ने जुलाई 2025 में पाकिस्तान के इंटीरियर मिनिस्टर मोहसिन नकवी से मुलाकात की थी। उस मीटिंग में पाकिस्तानी पक्ष ने वीजा रिलैक्सेशन की मांग की। शेख सैफ ने आश्वासन दिया कि वे “पूर्ण सहयोग” करेंगे और वीजा प्रोसेस को तेज करेंगे। लेकिन रिपोर्ट्स कहती हैं कि शेख ने साफ शब्दों में चिंता जताई – पाकिस्तानी एक्सपैट्स अरब आकर भीख मांगते हैं, अपराध करते हैं और माहौल खराब करते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोग विजिट वीजा का दुरुपयोग कर रहे हैं।

यह बयान सीधा और कठोर था, जैसे एक दोस्त को डांटना। शेख सैफ ने यह भी इशारा किया कि अगर सुधार न हुए, तो फुल पासपोर्ट बैन लग सकता है। पाकिस्तान ने इसे गंभीरता से लिया, लेकिन समस्या हल नहीं हुई। सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हुए, जहां यूएई पुलिस पाकिस्तानी भिखारियों को पकड़ रही है। एक पोस्ट में लिखा था, “पाकिस्तानी लोग यहां आकर हमारी साफ-सुथरी सड़कों को गंदा कर रहे हैं।” यह बयान सिर्फ शेख का नहीं, बल्कि पूरे यूएई सिस्टम की भावना को दर्शाता है। वे चाहते हैं कि प्रवासी सम्मानजनक तरीके से आएं, न कि बोझ बनें।

इस समस्या की जड़ें गहरी हैं। पाकिस्तान और यूएई के रिश्ते पुराने हैं। 1970 के दशक से पाकिस्तानी यूएई में काम करने जाते रहे हैं। आज करीब 15 लाख पाकिस्तानी वहां रहते हैं – ड्राइवर से लेकर इंजीनियर तक। रेमिटेंस के मामले में यूएई पाकिस्तान का बड़ा स्रोत है। हर साल अरबों डॉलर भेजे जाते हैं, जो पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को संभालते हैं। लेकिन समस्या तब शुरू हुई जब आर्थिक संकट बढ़ा। पाकिस्तान में महंगाई, बेरोजगारी और गरीबी ने लोगों को मजबूर किया। कई लोग टूरिस्ट वीजा पर जाते हैं, लेकिन काम नहीं मिलने पर भीख मांगने लगते हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2024 में यूएई ने 30 पाकिस्तानी शहरों से आने वालों पर अनिश्चितकालीन वीजा बैन लगाया था। वजह की बात करें तो इसमें भीख मांगना, स्मगलिंग, ड्रग ट्रैफिकिंग और ह्यूमन ट्रैफिकिंग शामिल है। सऊदी अरब ने भी ऐसा ही किया – 4700 पाकिस्तानी भिखारियों को डिपोर्ट किया, खासकर मक्का-मदीना में। एक रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तानी 50 प्रतिशत क्राइम्स में शामिल पाए गए। सोशल मीडिया पर थ्रेट्स, महिलाओं को टारगेट करना, प्रॉस्टिट्यूशन और यूएई के खिलाफ प्रोपगैंडा – ये सब वजहें जुड़ीं।

इन कारणों को और गहराई से देखें तो इसमें सबसे पहले बात करते हैं भीख मांगने के गिरोह। यूएई में रमजान या हज के समय भिखारी बढ़ जाते हैं। कई पाकिस्तानी परिवार संगठित तरीके से आते हैं – बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग। वे होटलों, मस्जिदों के बाहर भीख मांगते हैं। पुलिस ने ऐसे कई रिंग्स तोड़े हैं। स्ट्रीट क्राइम, चोरी, ड्रग्स – इनमें पाकिस्तानी नाम आते हैं। एक रिपोर्ट कहती है कि वीजा ओवरस्टे करने वाले ज्यादातर पाकिस्तानी हैं। साथ ही बात करें फर्जी डॉक्यूमेंट्स की तो लोग नकली डिग्री या अनुभव दिखाकर वीजा लेते हैं, लेकिन काम पर फेल हो जाते हैं।

अब बात की जाए सोशल मीडिया के रोल की तो पाकिस्तानी एक्सपैट्स यूएई सरकार के खिलाफ पोस्ट करते हैं, खासकर इमरान खान समर्थक। इससे टेंशन बढ़ती है। शेख सैफ ने मीटिंग में कहा, “हम पाकिस्तानियों का सम्मान करते हैं, लेकिन बुरे तत्वों को बर्दाश्त नहीं।” यह साफ है कि समस्या कुछ लोगों की है, लेकिन पूरा समुदाय भुगत रहा है। जनवरी 2025 में सीनेट कमिटी को बताया गया कि यूएई और सऊदी ने पासपोर्ट बैन लगाने की सोची थी, लेकिन अभी टाला।

इस प्रतिबंध का प्रभाव गहरा है। सबसे पहले, आर्थिक। यूएई पाकिस्तान का बड़ा ट्रेड पार्टनर है। रेमिटेंस कम होने से परिवार टूट सकते हैं। लाखों लोग बेरोजगार हो जाएंगे। एक रिपोर्ट कहती है कि 2024 में ही 30 शहरों का बैन लगा था, अब यह पूरे देश पर। सामाजिक प्रभाव की बात करें तो पाकिस्तानी समुदाय में डर फैल गया। लोग कहते हैं, “हम अच्छे हैं, लेकिन बुरे लोगों की वजह से सजा।” सोशल मीडिया पर डिबेट चल रही – कुछ कहते हैं प्रोपगैंडा बंद करो, कुछ सरकार को दोष देते हैं।

राजनयिक की बात की जाए तो पाकिस्तान को अब सऊदी, कतर जैसे दूसरे देशों पर निर्भर होना पड़ेगा। लेकिन वहां भी समस्या है। लंबे समय में, अगर सुधार न हुए, तो गल्फ कंट्रीज में पाकिस्तानी वर्कफोर्स कम हो सकता है। लेकिन सकारात्मक पक्ष भी है – यह पाकिस्तान को मजबूर कर रहा है कि वह अपनी जनता को स्किल्ड बनाए।

अब इतिहास की ओर नजर डालें। 1971 में यूएई बना, तब से पाकिस्तानी वहां गए। 1980-90 के दशक में ऑयल बूम ने लाखों को नौकरियां दीं। लेकिन 2008 की रिसेशन के बाद समस्या शुरू हुई। लोग ओवरस्टे करने लगे। 2010 में यूएई ने सख्त कानून बनाए। 2020 में कोविड ने और बिगाड़ा। 2024 में सऊदी ने बैन लगाया, यूएई ने फॉलो किया। जनवरी 2025 में पहली बार अनऑफिशियल क्लोजर की खबर आई। जुलाई में मीटिंग हुई, लेकिन नवंबर तक फ्रीज हो गया। यह पैटर्न दिखाता है कि समस्या पुरानी है, लेकिन अब सख्ती बढ़ी। विशेषज्ञ कहते हैं कि गल्फ देश अब क्वालिटी वर्कफोर्स चाहते हैं, क्वांटिटी नहीं। भारत, बांग्लादेश जैसे देशों के लोग वहां ज्यादा सफल हैं क्योंकि वे ट्रेंड होते हैं। पाकिस्तान को यही सीखना चाहिए।

बात की जाए भविष्य की तो अगर पाकिस्तान ने ट्रेनिंग, लॉ एंड ऑर्डर सुधार किया, तो बैन हट सकता है। यूएई ने कहा है कि वर्क वीजा खुले हैं, अगर क्रेडेंशियल्स साफ हों। लेकिन अगर नहीं, तो दूसरे देशों पर असर पड़ेगा। यह एक सबक है – प्रवास सम्मान का विषय है। शेख का बयान कठोर था, लेकिन जरूरी। अरब देश कह रहे हैं, “आओ, लेकिन योगदान दो, बोझ मत बनो।” पाकिस्तान को अपनी युवा पीढ़ी को स्किल्ड बनाना होगा। आखिरकार, यह मुद्दा सिर्फ वीजा का नहीं, बल्कि गरिमा और विकास का है। उम्मीद है कि बातचीत से समाधान निकलेगा, और रिश्ते मजबूत होंगे। वहीं visa बैन की खबर से दुनियाभर में हलचल तेज हो गई है। और इसे लेकर तरह-तरह की बातें की जा रही हैं।

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