हैवान का काम तमाम

  • भारी सुरक्षित जगह पर हुए वारदात को लेकर भी उठ रहे सवाल
  • धार्मिक आयोजनों में सेवा के बहाने छोटी बच्च्यिों का करता था यौन शोषण
  • दीपक वर्मा को पुलिस ने किया मुठभेड़ में ढेर
  • त्वरित कार्रवाई, पांच टीमें 300 सीसीटीवी फुटेज और मारा गया आरोपी
  • बुधवार रात ढाई साल की बच्ची के साथ किया था दुराचार

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। यूपी की राजधानी लखनऊ में एक बेहद चौंकाने वाली घटना सामने आयी। इस घटना ने समाज और कानून व्यवस्था दोनों को झकझोर दिया है। धार्मिक आयोजनों में हिस्सा लेने वाला व्यक्ति जो झांकी सजाने और जागरण में भाग लेने के नाम पर समाज का हिस्सा बना हुआ दीपक वर्मा नाम के व्यक्ति ने बीती रात आलमबाग मेट्रो स्टेशन पर अपने पिता के साथ सो रही ढाई वर्षीय मासूम बच्ची का अपहारण करने के बाद रेप की घटना को अंजाम दिया। रेपिस्ट दीपक वर्मा को पुलिस ने गुरुवार रात मुठभेड़ में मार गिराया। आलमबाग मेट्रो स्टेशन के पास बच्ची के साथ हुई घटना के बाद पुलिस ने तत्परता से जांच शुरू की और आरोपी को चिन्हित किया। हालांकि सवाल भी उठ रहे हैं कि आस-पास कई पुलिस चौकियों की मौजूदगी व कैमरे से लेस इस जगह पर इतनी बड़ी वारदात को उस अपराधी ने अंजाम कैसे दिया। बुधवार रात आलमबाग मेट्रो स्टेशन के नीचे फुटपाथ पर एक परिवार सो रहा था। दीपक वर्मा नामक युवक ने मौके का फायदा उठाकर ढाई साल की बच्ची को अपने साथ ले गया। पुलिस के अनुसार वह पहले कई बार उस इलाके की निगरानी कर चुका था। बाद में बच्ची की स्थिति देख पुलिस ने गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया। पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि आरोपी की पहचान के लिए 300 से अधिक सीसीटीवी कैमरों की जांच की गई। स्कूटी की पहचान के बाद उसके ठिकानों पर निगरानी शुरू हुई। गुरुवार रात एसीपी कैंट ऑफिस के पास पुलिस चेकिंग चल रही थी तभी दीपक पुलिस को देखकर भागने लगा। इस दौरान उसने पुलिस पर फायरिंग भी की जवाबी कार्रवाई में वह घायल हुआ और अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई।

पुलिस का टीम वर्क

इस मामले में पुलिस ने बेहद संवेदनशीलता और फुर्ती से काम किया। पांच टीमों को लगातार निगरानी, तकनीकी जांच और संभावित स्थानों पर भेजा गया। सीसीटीवी की मदद से स्कूटी और पहनावे की पहचान कर आरोपी को घेरा गया।

इन बातों का कौन देगा जवाब

  • क्या धार्मिक आयोजनों में काम करने वालों की पृष्ठभूमि की जांच अनिवार्य नहीं होनी चाहिए?
  •  क्या समाज अब भी चुप रहेगा या ऐसे मामलों में खुलकर सामने आएगा?
  •  क्या बच्चियों की सुरक्षा अब भी प्राथमिकता नहीं बनेगी?
  •  इस मामले ने यह दिखा दिया है कि सिर्फ पुलिस ही नहीं, बल्कि समाज की सजगता भी जरूरी है। बच्चों को सुरक्षित माहौल देना हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है।

जांच में आया सामने धार्मिक आयोजनों में झांकी निकालने का काम करता था अपराधी

जांच में सामने आया कि दीपक धार्मिक आयोजनों में झांकी निकालने का काम करता था और इसी दौरान वह छोटी बच्चियों को पास बुलाता था। कुछ घटनाओं में उसने अनुचित व्यवहार किया लेकिन डर या सामाजिक बदनामी की वजह से परिवारों ने कोई शिकायत नहीं दर्ज कराई। दीपक जैसे अपराधियों की दोहरी पहचान समाज के लिए खतरा बनती है। एक तरफ वे धार्मिक कार्यक्रमों में सेवा करते हैं वहीं दूसरी तरफ निजी तौर पर कानून और नैतिकता की सीमाएं पार कर चुके होते हैं। जब पहले की घटनाओं पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आती तो ऐसे अपराधी और अधिक निडर हो जाते हैं।

ये होना चाहिए जरूरी

1. धार्मिक आयोजनों में काम करने वालों का पंजीकरण और पुलिस वेरिफिकेशन।
2. स्कूलों, मोहल्लों और माता-पिता के स्तर पर बच्चों को सुरक्षा शिक्षा।
3. बच्चों से जुड़े मामलों में जल्द सुनवाई और दोषियों को त्वरित सजा।
4. पीडि़तों और उनके परिवारों को सहयोग, ताकि वे बिना डर शिकायत दर्ज करा सकें।

पहले भी कई बच्चियों को बना चुका है निशाना

पुलिस ने बताया कि जांच में सामने आया कि दीपक झांकियों में छोटी बच्चियों को ले जाता था। वहां भी कई बार अलग अलग बच्चियों के साथ दुष्कर्म किया, लेकिन बदनामी के डर से शिकायत नहीं की थी। इसी के चलते दीपक को हिम्मत बढ़ गई थी और इस घटना को अंजाम दे दिया।

समाज की जिम्मेदारी बुलंद करे आवाज

समाजिक कार्यकर्ता डीके त्रिपाठी कहते हैं कि दीपक वर्मा अब इस दुनिया में नहीं है लेकिन उसके जैसे सोच रखने वाले अभी भी समाज में छिपे हो सकते हैं। हमें व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक स्तर पर सतर्कता बरतनी होगी, ताकि किसी मासूम के साथ फिर ऐसी घटना न हो। कानून व्यवस्था ने अपनी जिम्मेदारी निभाई, अब समाज की बारी है कि वह अपराध के खिलाफ आवाज़ बुलंद करे।

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