निकाय चुनाव आरक्षण पर हाई कोर्ट में सुनवाई जारी
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण लागू किए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में सुनवाई अभी भी जारी है। आज याची पक्ष व सरकारी पक्ष के वकील ने दलीलें दी। मामले की सुनवाई दोपहर के भोजन के बाद भी जारी रहेगी। शुक्रवार को समय की कमी के कारण सुनवाई पूरी नहीं हो सकी थी। न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ लवानिया की खंडपीठ में बीते बुधवार को सुनवाई के दौरान याचियों की ओर से दलील दी गई थी कि निकाय चुनावों में ओबीसी आरक्षण एक प्रकार का राजनीतिक आरक्षण है।
ओबीसी आरक्षण तय किए जाने से पहले सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई व्यवस्था के तहत डेडिकेटेड कमेटी द्वारा ट्रिपल टेस्ट कराना अनिवार्य है। वहीं, राज्य सरकार ने हलफनामे में कहा है कि स्थानीय निकाय चुनाव मामले में 2017 में हुए ओबीसी के सर्वे को आरक्षण का आधार माना जाए।
अवकाश में भी खुले हैं अदालत के कपाट
शुक्रवार को भी निकाय चुनाव पर सुनवाई हुई थी, मगर समय की कमी के कारण सुनवाई पूरी नहीं हो सकी थी। जिसके चलते आज अवकाश के दिन भी मामले की सुनवाई की जा रही है। दरअसल, शीतकालीन अवकाश को देखते हुए कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति या वरिष्ठ न्यायाधीश से जरूरी अनुमति लेकर इस मामले को 24 दिसंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए। वैभव पांडे के अलावा 51 याचिकाएं वार्ड आरक्षण को लेकर दाखिल की जा चुकी हैं। फिलहाल अधिवक्ताओं का यह मानना है कि सभी याचिकाएं एक ही जैसे मुद्दों की आपत्तियों पर हैं। इसलिए इसको एक साथ ही सुना जा रहा है।
डेडीकेशन कमीशन बनाने की मांग
इससे पहले आज शुरू हुई सुनवाई में सबसे पहले याचिकाकर्ता की वकील एलपी मिश्रा ने अपना पक्ष रखना शुरू किया। वकील ने कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण जो किया गया है वह राजनीतिक रिपोर्ट के आधार पर तैयार की गई है। एक डेडीकेशन कमीशन बनाया जाए जो आरक्षण को लेकर फैसला करे। मौजूदा आरक्षण प्रणाली से पिछड़ा वर्ग के साथ न्याय नहीं हो रहा है। याचिकाकर्ता की वकील ने सुरेश महाजन बनाम मध्य प्रदेश सरकार-2021 केस में सुप्रीम कोर्ट का आदेश विस्तार से पढ़कर जज के सामने सुनाया। जज ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पढऩे के बाद आगे की सुनवाई शुरू की। डेडीकेटेड आयोग पर सरकारी वकील ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि उनका रैपिड सर्वे डेडीकेटेड आयोग द्वारा किए गए ट्रिपल टेस्ट जैसा ही है। याचिकाकर्ता के पक्ष पर सरकारी वकील ने कहा कि महिला आरक्षण को होरिजेंटल आरक्षण बताया गया। फिर जज ने कहा इस इंडिविजुअल केस को अलग से सुना जाएगा, आज केवल ओबीसी रिजर्वेशन पर बात सुनी जाएगी।
महंगाई के मुद्दे पर क्यों चुप बैठी है भाजपा: हेमंत
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बीजेपी और केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि ये लोग अब महंगाई पर नहीं बोलते। 400 रुपए वाली गैस 1200 में और 5 रुपये का प्लेटफार्म टिकट 50 रुपये में मिल रहा है। रुपये के मुकाबले डॉलर का भाव आजादी के बाद सबसे उच्च स्तर पर है। आज रेलवे, आर्मी में नौकरी बंद हैं। अग्निवीर योजना लाकर इन्होंने चार साल में युवाओं को बेरोजगार करने का प्रबंध कर दिया। ग्रामीण क्षेत्र में ज्यादातर लोग इन्हीं क्षेत्रों में नौकरी में जाते हैं, लेकिन इनके बारे में ये नहीं सोचते।
मुख्यमंत्री ने विधानसभा में शीतकालीन सत्र के समापन पर अपना वक्तव्य दिया। इस दौरान प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा के विधायक गैरहाजिर रहे। मुख्यमंत्री ने इसपर तंज करते हुए कहा कि इन्हें सच्ची और कड़वी बातें सुनने की आदत ही नहीं है। हो भी कैसे, जिन लोगों ने 20 वर्षों तक मखमल पर समय गुजारा है, जिन्होंने कभी गरीबी, मुफलिसी की मार नहीं झेली, वे उनके हक की बात कैसे सुन सकते हैं।
झारखंड सरकार की नियोजन नीति के कोर्ट से खारिज होने का ठिकरा भी मुख्यमंत्री ने भाजपा पर फोड़ा। उन्होंने कहा कि नियोजन नीति झारखंडियों के हित में बनाई थी। इस नीति में आदिवासी, दलित और ओबीसी के हितों की रक्षा थी। भाजपा के वरिष्ठ नेता रमेश हांसदा और बाकी यूपी-बिहार के 19 लोगों ने इसके खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर कर दी। क्या इस राज्य में मूलवासी-आदिवासी को यहां नौकरी का अधिकार नहीं? सोरेन ने कहा कि राज्य में 20 साल के बाद वातावरण में बदलाव हो रहा है। हमने कई नीतियां बनाई। कई उद्योग शुरू हुए। हमारी नीति से बड़े बड़ेे उद्योग घराने खुश थे। हमसे बात हो रही थी उद्योग लगाने की। इन्हें यह नहीं पच रहा है कि एक आदिवासी नौजवान के नेतृत्व में सरकार काम कर रही है। ये भय का वातावरण तैयार किये हुए हैं, लेकिन सरकार मजबूती के साथ खड़ी है। केंद्र पर झारखंड की हकमारी का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री सोरेन ने कहा कि झारखंड की रॉयल्टी के करोड़ों रुपये का बकाया है। जब मांगते हैं तो कोई जवाब नहीं मिलता। जीएसटी के 5000 करोड़ बकाया है, जो नहीं मिल रहा है।
भट्ठा चिमनी के नीचे दबकर 8 मजदूरों की मौत से छाया मातम
पीएम राहत कोष से मृतकों के परिजनों को दो लाख, घायलों को मिलेगी 50 हजार की सहायता
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
मोतिहारी। बिहार के पूर्वी चंपारण में ईंट-भट्ठे की चिमनी गिरने से बड़ा हादसा हो गया। इसमें अब तक 8 लोगों के शव निकाले जा चुके हैं, जबकि कई लोग घायल भी हैं। देर रात तक रेस्क्यू ऑपरेशन चला। वहीं एसडीआरएफ की टीम अभी भी कार्रवाई में जुटी हुई है। जिले के डीएम ने मामले में जांच के आदेश दे दिए हैं। इस दर्दनाक हादसे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दुख जताया है। हादसे में जान गंवाने वालों के परिजनों और घायलों को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से आर्थिक मदद का ऐलान किया।
पीएमओ ने ट्वीट में बताया कि दर्दनाक हादसे में जान गंवाने वाले लोगों की मौत से प्रधानमंत्री बेहद दुखी हैं। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से प्रत्येक मृतक के परिजनों को दो लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने का ऐलान किया। घायलों को 50 हजार रुपये दिए जाएंगे। भीषण हादसा रामगढ़वा थाना क्षेत्र में शुक्रवार की शाम को हुआ जब एक ईंट भ_े की चिमनी गिर गई, जिसमें मलबे से 8 लोगों के शव निकाले जा चुके हैं। कुछ लोगों के अभी भी मलवे में दबे होने की आशंका व्यक्त की जा रही है।
अभी रामसेतु के अस्तित्व से है इनकार कल भगवान राम पर भी उठाएंगे सवाल
शिवसेना नेता संजय राउत ने भाजपा पर बोला बड़ा हमला
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
मुंबई। बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह के रामसेतु के पुख्ता सबूत नहीं हैं। वाले बयान पर शिवसेना के ठाकरे गुट के सांसद संजय राउत ने बीजेपी पर जोरदार हमला किया। जितेंद्र सिंह ने संसद में कहा था कि रामसेतु पर कुछ कहने जाएं तो इसमें हमारी कुछ सीमाएं हैं। यह करीब 18 हजार साल पुराने इतिहास को खंगालने की बात है। इस पुल की लंबाई 56 किलोमीटर है। यहां के अवशेष एक तरह की श्रंखला में तो दिखाई देते हैं, लेकिन इसके रामसेतु होने के पुख्ता तौर पर सबूत नहीं हैं।
इस पर आज संजय राउत ने कहा कि बीजेपी ने रामसेतु का प्रचार तो खूब किया था। अब इसके अस्तित्व से इनकार कर रहे हैं। भविष्य में रामायण को बता देंगे कि यह किंवदंती है। श्रीराम के अस्तित्व से इनकार कर देंगे। इसके अलावा संजय राउत ने कथित नागपुर एनआईटी जमीन घोटाले में सीएम एकनाथ शिंदे के घिरने पर कहा कि यह तो अभी शिंदे-फडणवीस सरकार के भ्रष्टाचार की बोहनी है। 110 करोड़ रुपए को पसंदीदा बिल्डरों में बांटा गया है। गरीबों को घर तक नहीं दिया गया।