अडानी मामले में अपने आरोपों पर फंस गया हिंडनवर्ग, सेबी ने भेजा नोटिस
साजिश का खुलासा होने से हडक़ंप
- कोटक महिंद्रा बैंक को कारण बताओ नोटिस
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अडानी को क्लीन चिट दे दी है और सेबी को शॉर्ट सेलिंग में शामिल संस्थाओं की जांच करने का निर्देश दिया है। जांच के क्रम में सेबी ने हिंडनबर्ग को कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जिससे उनकी साजिश का खुलासा होने से हडक़ंप मच गया है।सेबी की जांच में खुलासा हुआ कि कोटक महिंद्रा और हिंडनबर्ग ने मिलकर अडानी के शेयरों में शॉर्ट पोजीशन लेने की साजिश रची थी। शॉर्टिंग में हिंडनबर्ग की हिस्सेदारी 25 फीसदी थी जिससे उन्हें करोड़ों रुपये का फायदा हुआ। कोटक महिंद्रा बैंक के अधिकारियों की चैट का उल्लेख करते हुए सेबी ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। चैट से पता चलता है कि कैसे कोटक ने पैसा लगाने और अडानी फ्यूचर्स में शॉर्ट पोजीशन लेने के लिए ऑफशोर फंड स्थापित किए, जिससे उन्हें 184 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ।
सेबी के कारण बताओ नोटिस से यह भी पता चलता है कि कैसे हिंडनबर्ग की रिपोर्ट अनुमानों, झूठ और गलतबयानी से भरी थी, जिसका एकमात्र उद्देश्य सिर्फ शॉर्ट पोजीशन से फायदा कमाना था। सेबी की जांच, जो अमेरिकी अदालतों और एसईसी रिकॉर्ड से प्राप्त दस्तावेजों और सबूतों पर आधारित है उसका जवाब देने के बजाय, हिंडनबर्ग ने सेबी पर हमला करना शुरू कर दिया और उनके रवैये को एकतरफा बताया।
शुरू से ही आरोपों को बेबुनियाद बताता रहा अडानी समूह
अडानी समूह पिछले साल हिंडनबर्ग की रिपोर्ट जारी होने के बाद से ही रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों को मनगढ़ंत और बेबुनियाद बताता रहा है, और समूह ने इस रिपोर्ट को भारत की तरक्की पर हमला करार दिया था। अब एक्सपर्ट कमेटी और सेबी की जांच में हिंडनबर्ग के सभी आरोप गलत साबित होने के बाद ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी ने समूह की फ़्लैगशिप कंपनी अडानी एंटरप्राइज़ेज़ की सालाना आम बैठक में शॉर्टसेलर के हमले का जिक़्र करते हुए कहा कि समूह इस हमले से ज़्यादा मज़बूत होकर उबरा है, और इससे साबित होता है कि किसी भी तरह की कोई भी चुनौती समूह की मूलभूत मज़बूती को कमज़ोर नहीं कर सकती है. उन्होंने कहा था, कामयाबी का असल पैमाना ही विपरीत हालात में मज़बूती से खड़े रहने की क्षमता होता है।
सुप्रीम कोर्ट भी लगा चुका है शॉर्टसेलर को फटकार
इससे पहले, हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर एक्सपर्ट कमेटी और सेबी द्वारा कई महीनों तक की गई जांच के बाद सुप्रीम कोर्ट भी इसी साल जनवरी में अडानी ग्रुप को मिली क्लीन चिट पर मुहर लगा चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक कहा था कि सेबी की जांच नियमों के तहत की गई है, और उसमें कतई कोई खामी नहीं, इसलिए इस मामले की जांच एसआईटी से करवाने का औचित्य नहीं बचा है। सुप्रीम कोर्ट ने हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट और उससे मुनाफ़ा कमाने की हरकत को लेकर अमेरिकी शॉर्ट सेलर को फटकार भी लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने जांच को किसी केंद्रीय जांच एजेंसी को स्थानांतरित करने से भी इंकार किया था, और कहा था कि अब याचिकाकर्ताओं को ठोस सबूत प्रस्तुत करने होंगे कि सेबी और एक्सपर्ट कमेटी ने पक्षपातपूर्ण तरीके से जांच की। इस फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और सेबी को आदेश दिया था कि भारतीय निवेशकों के हित मज़बूत करने के लिए विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों पर काम किया जाए। सुप्रीम के अनुसार वैधानिक नियामकों पर सवाल उठाने के लिए समाचार पत्रों की रिपोर्टों और बाहरी संगठनो पर विश्वास करना सही नही । इनको जांच के लिए सबूत नहीं माना जा सकता है।
हिंडनबर्ग बिना किसी सबूत के रिपोर्ट तैयार करता है
- हिंडनबर्ग ने एमएससीआई इंडिया इंडेक्स पर ईटीएफ से कमाए 80 करोड़
हिंडनबर्ग व्यापक जांच का दावा करता है फिर भी मीडिया रिपोर्ट और प्रेस नोट पर ज्यादा निर्भर करता है। हिंडनबर्ग बिना किसी सबूत के एक रिपोर्ट तैयार करता है और हमें ये भरोसा दिलाने की कोशिश करते हैं कि उन्होनें अदाणी के शेयरों को शार्ट कर मुनाफा नहीं कमाया। हिंडनबर्ग ने जानबूझकर भ्रामक बयानों के आधार पर अपनी रिपोर्ट में कुछ निष्कर्ष प्रस्तुत किए जिसमें तथ्यों का दूर रखा गया और एक गलत सनसनीखेज रिपोर्ट तैयार की गई। हिंडनबर्ग का इस रिपोर्ट का जारी करने का रवैया भी पूरी तरह से गैर जिम्मेदार था। सेबी ने अपनी जांच में पाया कि हिंडनबर्ग ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के निष्कर्षों को गलत तरीके से प्रस्तुत किया, बिना सबूत के सरकार पर भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का आरोप लगाए। इसके अलावा सिक्योरिटी मार्केट से प्रतिबंधित ब्रोकर के झूठे बयान पर भरोसा करते हुए सेबी पर गलत आरोप लगाए। अडानी के शेयरों को शॉर्ट करके मुनाफा कमाने का दावा करने के बावजूद, सेबी की जांच से पता चला है कि हिंडनबर्ग ने एमएससीआई इंडिया इंडेक्स पर ईटीएफ और ऑप्शंस में शॉर्ट पोजीशन लेकर अडानी इलेक्ट्रिसिटी मुंबई लिमिटेड, एजीईएल और एपीएसईज़ेड के बॉन्ड में ट्रेडिंग करके 80 करोड़ रुपए कमाए।