एनडीए में छेद : चिराग-प्रशांत की नूराकु श्ती

- बिहार विधानसभा चुनाव में सब गोल माल है!
- उपेन्द्र कु शवाहा भी डाल रहे हैं रंग में भंग
- चिराग पिता की विरासत, बेटे की बगावत
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। बिहार की राजनीति एक बार फिर चूल्हे पर चढ़ी उस खिचड़ी की तरह हो गयी है। जिसमें न तो मसाले का अंदाजा है न ही पानी का हिसाब। बस कोई भी नेता चम्मच घुमा देता है और खुशबू बदल जाती है। विधानसभा चुनाव से पहले का माहौल देखकर यही लगता है कि एनडीए की थाली में छेद हो चुका है और चिराग पासवान और प्रशांत किशोर की नूराकुश्ती चुनाव की दिशा को एनडीए से दूर करती दिखाई दे रही है वहीं उपेन्द्र कुशवाहा भी इस खिचड़ी पर नमक डालने में पीछे नहीं दिखाई दे रहे हैं। चिराग पासवान को कभी मोदी का हनुमान कहा गया लेकिन अब उनका हनुमान रूप कुछ ज्यादा ही आत्मनिर्भर होता जा रहा है। एलजेपी (रामविलास) का चेहरा बन चुके चिराग ने साबित कर दिया है कि वे अब भाजपा के पिछलग्गू नहीं रहेंगे। विधानसभा चुनावों से पहले वे अपनी शर्तों पर सीट बांटने का खेल खेल रहे हैं। चिराग का असली एजेंडा साफ है कि पासवान वोट बैंक भाजपा की जेब में नहीं बल्कि चिराग की जेब में है। चिराग ने प्रशांत किशोर को बिहार का केजरीवाल बता कर नहले पर दहला जड़ दिया है। हालांकि उन्होंने बयान प्रशांत किशोर के जदयू और बीजेपी नेताओं पर लगाये गये आरापों के संदर्भ में दिया लेकिन हो उल्टा गया और बिहार की जनता ने इसे प्रशांत की तरीफ के तौर पर ले लिया।
गोलमाल समीकरण कौन किसके साथ?
बिहार में सियासी समीकरण इतने उलझ चुके हैं कि कोई भी भविष्यवाणी करना आत्महत्या के बराबर है। भाजपा को लगता है कि अकेले वह राज्य में नंबर वन बन सकती है लेकिन बिना सहयोगियों के दलित, अति पिछड़ा और अल्पसंख्यक वोट बैंक हाथ से निकल जाएगा। जेडीयू अपने सुशासन बाबू के ब्रांड से थक चुका है। नीतीश की छवि अब भरोसे से ज्यादा मजाक का विषय है। वहीं आरजेडी अपने यादव—मुस्लिम समीकरण पर टिका है लेकिन नई पीढ़ी की राजनीति में यह कार्ड हमेशा काम करेगा ऐसा जरूरी नहीं। चिराग, पीके और कुशवाहा तीनों मिलकर बीच का खेल बिगाड़ रहे हैं।,
पुराने समीकरण तोडऩे की तैयारी
प्रशांत किशोर की बिहार चुनाव में इंट्री एक ब्रांड मैनेजर के तौर पर हुई थी। लेकिन अब वे केवल मैनेजर नहीं खुद खिलाड़ी बनने की कोशिश में हैं। जन सुराज अभियान ने बिहार की गली गली में दस्तक दी है। पीके जिस रणनीतिक रथ पर सवार है उसमें जनता को सीधे जोड़ो, सोशल मीडिया पर पकड़ बनाओ और नेताओं को अस्थिर करो जैसा दिखाई दे रहा है। वह दिन प्रति दिन एनडीए के लिए नई मुसीबत बनते जा रहे हैं। क्योंकि पीके न तो भाजपा के सख्त आलोचक हैं और न ही कांग्रेस के गुलाम। वे बीच में खड़े होकर सबको असहज करते हैं। पीके न तीसरा मोर्चा है न चौथा रास्ता बल्कि यह बिहार की राजनीति के पुराने समीकरण तोडऩे की तैयारी में जुटे हैं जिस प्रकार से चिराग पासवान बिहार की राजनीति को मथ रहे हैं और प्रशांत किशोर आगे बड़ रहे हैं वह इस बात का संकेत हैं कि आगे चलकर दोनो एक हो सकते हैं।
उपेन्द्र कुशवाहा डाल रहे हैं रंग में भंग
नीतीश कुमार के हर राजनीतिक उतार-चढ़ाव के गवाह रहे उपेन्द्र कुशवाहा भी बिहार की राजनीतिक खिचड़ी में अपना मसाला डाल रहे हैं। वह कभी जेडीयू में रहे फिर अलग हुए फिर एडीए में लौटे और अब राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के बैनर तले अपनी अलग पहचान बनाने में जुटे हैं। उपेन्द्र कुशवाहा से भोजपुरी स्टार पवन सिंह की हालिया मुलाकात से एनडीए की बैचेनी बड़ गयी है। पवन सिंह वैसे तों बीजेपी में है लेकिन पिछला चुनाव वह निर्दलिये लड़ गये थे जिससे उन्हें बीजेपी से निकाल दिया गया था। अब एक बार फिर पवन सिंह ने कुशवाहा से मुलाकात कर बीजेपी को बैचेने कर दिया है। कुशवाहा का असली कार्ड कोइरी—कुशवाहा वोट बैंक है। वह जानते हैं कि बिना इस ओबीसी ताकत के बिहार का चुनाव अधूरा है। लिहाजा वे एनडीए से भी जुड़े भी रहते हैं और अलग आवाज भी उठाते हैं। यही रंग में भंग है जो भाजपा की नींद हराम कर रहा है।
पाकिस्तान के क्वेटा में जबरदस्त विस्फोट, कई लोगों की मौत
- अस्पतालों में इमरजेंसी घोषित
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
करांची। पाकिस्तान के क्वेटा शहर में जबरदस्त विस्फोट हुआ है, जिसमें कई लोगों की मौत होने की आशंका है। धमाके में कई लोग घायल भी हुए हैं। क्वेटा पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत की राजधानी है। स्वास्थ्य विभाग के सचिव ने बताया कि बम विस्फोट के चलते क्वेटा के अस्पतालों में आपातकाल लागू कर दिया गया है।
सभी डॉक्टर्स, पैरामेडिकल स्टाफ नर्सों आदि को ड्यूटी पर मौजूद रहने का निर्देश दिया गया है। बलूचिस्तान के स्वास्थ्य विभाग के मीडिया संयोजक ने बताया कि बम धमाके में 19 लोग घायल हुए हैं। घायलों को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। बम धमाके का एक वीडियो भी सामने आया है, जिसमें दिख रहा है कि सड़क पर वाहन चल रहे हैं, तभी एक तेज धमाका होता है।
लद्दाख में हिंसा-भय की राजनीति बंद हो: राहुल
- नेता प्रतिपक्ष की केंद्र से अपील, बातचीत से समस्या का हल निकले
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को केंद्र से लद्दाख के लोगों से बातचीत करने का आग्रह किया। उन्होंने सरकार से बातचीत करने और हिंसा व भय की राजनीति बंद करने का आह्वान किया। उन्होंने लेह में हुई हालिया हिंसा की निष्पक्ष न्यायिक जांच की मांग की, जिसमें चार लोगों की जान चली गई। राहुल ने निष्पक्ष न्यायिक जांच की मांग को आगे बढ़ाते हुए इस मौत को हत्या बताया और कहा, हमारी मांग है कि लद्दाख में हुई इन हत्याओं की निष्पक्ष न्यायिक जांच हो और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा मिले। मोदी जी, आपने लद्दाख के लोगों के साथ विश्वासघात किया है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लद्दाख के लोग अपने अधिकारों की मांग कर रहे हैं। वे अपने अधिकारों की मांग कर रहे हैं, बातचीत कर रहे हैं -हिंसा और भय की राजनीति बंद करें। इससे पहले, 24 सितंबर को लेह में विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंसा भड़क उठी थी, जब स्थानीय भाजपा कार्यालय में आग लगा दी गई थी।
भाजपा सरकार ने देश के वीर सपूत की जान ली
एक पोस्ट में, राहुल गांधी ने इस बात पर जोर दिया कि गोली लगने से मारे गए लोगों में से एक सैनिक परिवार से था। उन्होंने कहा, पिता सैनिक, बेटा भी सैनिक – जिनके खून में देशभक्ति दौड़ती है। फिर भी भाजपा सरकार ने देश के वीर सपूत की सिर्फ इसलिए गोली मारकर जान ले ली, क्योंकि वह लद्दाख और उसके अधिकारों के लिए खड़ा था। पिता की दर्द भरी आंखें बस एक ही सवाल पूछ रही हैं – क्या आज देश सेवा का यही इनाम है?




