मोदी के गुजरात में कैसे हुआ इतना बड़ा घोटाला? AMC में काम कर रहे भूत
मोदी के गुजरात में अहमदाबाद म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन में चौंकाने वाला खुलासा... वेतन सूची में दर्ज कई कर्मचारी सालों से मौजूद ही नहीं...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः अहमदाबाद, गुजरात का सबसे बड़ा शहर है…. जो अपनी ऐतिहासिक विरासत और तेजी से बढ़ते विकास के लिए जाना जाता है…… यहां की नगर निगम शहर की सफाई, पानी, सड़कें और अन्य सेवाओं का जिम्मा संभालती है….. लेकिन हाल ही में एक ऐसा घोटाला सामने आया है जो पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर रहा है…… एएमसी में निजी एजेंसियों से रखे गए 20 आईटी प्रोफेशनल्स को हर महीने 3.24 लाख रुपये की सैलरी दी जा रही है……. यह रकम न सिर्फ सरकार के तय मानकों से ज्यादा है…… बल्कि यहां काम करने वाले आईएएस अधिकारियों की सैलरी से भी ऊपर है…… सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन कर्मचारियों का न तो कोई पता है…… न उनका काम मालूम है और न ही उनकी शैक्षणिक योग्यता का कोई रिकॉर्ड है….. जिसको लेकर विपक्ष ने इन्हें ‘भूतिया कर्मचारी’ का नाम दिया है…… और जांच की मांग की है……. एएमसी की स्थायी समिति ने इन पर 5 साल में 17 करोड़ रुपये खर्च करने की मंजूरी दी है…….. यह खबर शहरवासियों में गुस्सा पैदा कर रही है…… क्योंकि यह टैक्सपेयर्स के पैसे का दुरुपयोग लगता है……..
अहमदाबाद नगर निगम गुजरात की सबसे बड़ी नगर निकायों में से एक है…… यहां पर कमिश्नर से लेकर डिप्टी कमिश्नर तक कई आईएएस अधिकारी तैनात हैं……. जो शहर की प्रशासनिक जिम्मेदारियां संभालते हैं…… एएमसी में आईटी विभाग का कोई आधिकारिक कैडर नहीं है…….. यानी आईटी से जुड़े कामों के लिए स्थायी कर्मचारी नहीं रखे जाते…… इसके बजाय निजी एजेंसियों से आउटसोर्सिंग के जरिए कर्मचारी लाए जाते हैं……. इसी व्यवस्था के तहत ये 20 आईटी प्रोफेशनल्स रखे गए……. लेकिन समस्या यह है कि इनकी नियुक्ति और कामकाज पर कोई पारदर्शिता नहीं है…….
बता दें कि यह घोटाला तब सामने आया जब कांग्रेस नेता शहजाद खान पठान ने नगर निगम कमिश्नर को चिट्ठी लिखकर सवाल उठाए….. और उन्होंने आरोप लगाया कि ये कर्मचारी ‘भूतिया’ हैं……. यानी कागजों पर तो हैं लेकिन असल में उनका कोई अस्तित्व नहीं……. एएमसी के किसी भी अधिकारी को इनके बारे में जानकारी नहीं है……. न तो ये दफ्तर आते हैं……. न उनका कोई काम ट्रैक होता है……. यह मामला अब राजनीतिक रूप से गर्म हो गया है……. और विपक्ष इसे विधानसभा और कोर्ट तक ले जाने की धमकी दे रहा है…..
आपको बता दें कि इन 20 आईटी प्रोफेशनल्स को हर महीने 3.24 लाख रुपये सैलरी मिल रही है……. अगर कुल सैलरी जोड़ें तो महीने में 31.54 लाख रुपये और साल में 3.40 करोड़ रुपये का खर्च होता है…… वहीं यह रकम इतनी ज्यादा है कि एएमसी में तैनात आईएएस अधिकारियों की सैलरी से भी ऊपर है…… आईएएस अधिकारियों की सैलरी सरकारी पैमानों पर तय होती है……. जो आमतौर पर 1.5 लाख से 2.5 लाख रुपये महीने के बीच होती है….. जो उनके पद के आधार पर निर्धारित होती है….. लेकिन ये आउटसोर्स कर्मचारी इससे ज्यादा कमा रहे हैं……. विपक्ष का कहना है कि यह सरकारी नियमों का उल्लंघन है…… क्योंकि आउटसोर्सिंग में सैलरी तय सीमा से ऊपर नहीं होनी चाहिए…..
एएमसी की स्थायी समिति ने इन कर्मचारियों पर 5 साल में 17 करोड़ रुपये खर्च करने की मंजूरी दी है…. यह मंजूरी तब दी गई जब समिति को बताया गया कि आईटी कामों के लिए ये जरूरी हैं…….. लेकिन अब सवाल यह है कि अगर ये कर्मचारी काम ही नहीं कर रहे…… तो यह पैसा कहां जा रहा है? क्या यह किसी को फायदा पहुंचाने की साजिश है? विपक्ष ने इसे ‘सोची-समझी चाल’ बताया है….. ताकि कुछ चुनिंदा लोगों को लाभ पहुंचाया जा सके……
जानकारी के अनुसार ये आईटी प्रोफेशनल्स निजी एजेंसियों से आउटसोर्सिंग के जरिए रखे गए हैं…… एएमसी में आईटी विभाग नहीं होने की वजह से यह तरीका अपनाया जाता है…… लेकिन समस्या यह है कि इनकी नियुक्ति में कोई पारदर्शी प्रक्रिया नहीं अपनाई गई…… न तो इनकी शैक्षणिक योग्यता का रिकॉर्ड है…… न उनके काम का कोई लॉग….. एएमसी के अधिकारी खुद कहते हैं कि उन्हें इनके बारे में कुछ नहीं पता…… न इनका ऑफिस लोकेशन मालूम है, न वे क्या काम करते हैं……. यह स्थिति ‘भूतिया कर्मचारियों’ की तरह है…… जो सिर्फ कागजों पर मौजूद हैं और सैलरी लेते रहते हैं…..
जिसको लेकर विपक्ष ने सवाल उठाया है कि अगर केंद्र और राज्य सरकारों में आईटी कैडर है…… तो एएमसी में क्यों नहीं बनाया जाता…… इससे युवाओं को सरकारी नौकरियां मिल सकती हैं……. बजाय निजी एजेंसियों से लोगों को रखने के…… कांग्रेस नेता शहजाद खान पठान ने कहा कि यह घोटाला जानबूझकर किया गया है ताकि अपने लोगों को फायदा पहुंचाया जा सके……. हम जांच की मांग करते हैं, वरना विधानसभा और कोर्ट जाएंगे……
आपको बता दें कि कांग्रेस इस मुद्दे पर काफी आक्रामक है….. उन्होंने इन कर्मचारियों को ‘भूतिया’ कहा है क्योंकि इनका कोई ठिकाना नहीं…… शहजाद खान पठान ने कमिश्नर को चिट्ठी लिखकर पूछा कि ये कर्मचारी कहां हैं……. क्या काम करते हैं और उनकी योग्यता क्या है…… उन्होंने आरोप लगाया कि यह सरकारी दिशानिर्देशों का उल्लंघन है…… अगर जांच नहीं हुई तो वे विधानसभा में मुद्दा उठाएंगे और कोर्ट जाएंगे…… जनता में भी गुस्सा है, क्योंकि यह उनके टैक्स के पैसे का मामला है……. लोग कह रहे हैं कि ऐसे घोटालों से शहर का विकास रुकता है……
वहीं अभी तक एएमसी की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है….. न तो कमिश्नर ने जवाब दिया है, न कोई जांच शुरू हुई है…… लेकिन अगर विपक्ष की मांग मानी गई तो जांच हो सकती है….. ऐसे मामलों में अक्सर सीआईडी या अन्य एजेंसियां जांच करती हैं…… अगर घोटाला साबित हुआ तो जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई हो सकती है…..
वहीं यह पहला मामला नहीं है जब ‘भूतिया कर्मचारी’ का मुद्दा सामने आया हो…… दिल्ली की एमसीडी में 2011 में 48,000 फर्जी कर्मचारियों का घोटाला हुआ था….. जिससे 500 करोड़ का नुकसान हुआ…… लुधियाना एमसी में 2024 में 40 फर्जी कर्मचारियों पर 2 करोड़ का स्कैम पकड़ा गया……. मध्य प्रदेश में 2025 में 50,000 फर्जी कर्मचारियों का 230 करोड़ का घोटाला सामने आया……. गुजरात में भी सूरत में फर्जी प्रॉपर्टी स्कैम हुआ…… ये सभी मामले बताते हैं कि सरकारी निकायों में पारदर्शिता की कमी से ऐसे घोटाले होते रहते हैं……
वहीं एएमसी के मामले में अगर जांच हुई तो यह पता चलेगा कि पैसा कहां गया……. जरूरी है कि आउटसोर्सिंग में सख्त नियम लागू हों, जैसे बैकग्राउंड चेक, काम का ट्रैकिंग और योग्यता का वेरिफिकेशन…… इससे युवाओं को नौकरियां मिलेंगी और घोटाले रुकेंगे…… अहमदाबाद जैसे शहर में जहां विकास तेज है जहां पर ऐसे घोटाले सरकार पर बड़ा सवाल उठाते हैं….. जनता के टैक्स का पैसा सड़कों, पानी और सफाई पर लगना चाहिए, न कि फर्जी कर्मचारियों पर……. अगर यह घोटाला साबित हुआ तो राजनीतिक पार्टियां इसे चुनावी मुद्दा बना सकती हैं……. गुजरात में भाजपा की सरकार है, इसलिए विपक्ष इसे बड़ा हथियार बना रहा है……..



