एलजी ऐसे दखल देते हैं तो फिर लोकतंत्र का क्या होगा? एमसीडी स्थायी समिति के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट सख्त
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एमसीडी स्टैंडिंग कमिटी के छठे मेंबर के चुनाव कराने को लेकर एलजी ऑफिस द्वारा अपने कार्यकारी शक्ति के प्रयोग में अत्यधिक जल्दबाजी किए जाने पर सवाल किया है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस पीएस नरसिम्हा की अगुवाई वाली बेंच ने एलजी ऑफिस से कहा है कि वह एमसीडी के स्टैंडिंग कमिटी के चेयरमैन के पद पर चुनाव अभी न कराएं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मेयर शैली ओबेराय ने छठे मेंबर के चुनाव को चुनौती दे रखी है और याचिका पर सुनवाई होने तक चेयरमैन का चुनाव न कराएं। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में कहा गया है कि स्टैंडिंग कमिटी के सदस्य का चुनाव एलजी के निर्देश के आधार पर कराया गया और साथ ही म्युनिसिपल कमिश्नर (आईएएस) का निर्देश था। इसके बाद मीटिंग की गई। याचिका में कहा गया है कि इस तरह की मीटिंग सिर्फ मेयर बुला सकती हैं। मीटिंग कब और कहां होगी और स्टैंडिंग कमिटी का चुनाव कहां होगा वह भी मेयर तय करेंगी।
सुनवाई के दौरान, शीर्ष अदालत ने एमसीडी की स्थायी समिति के छठे सदस्य के लिए चुनाव कराने के लिए एलजी द्वारा निर्देश जारी करने के तरीके पर आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि मेयर की अनुपस्थिति में चुनाव कराने में इतनी जल्दी क्या थी। दिल्ली नगरपालिका अधिनियम की धारा 487 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करने के एलजी के फैसले पर सवाल उठाते हुए, पीठ ने पूछा कि धारा 487 के तहत आपको इसे (चुनाव) रोकने की शक्ति कहां से मिलती है? 487 एक कार्यकारी शक्ति है, इसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है। यह एक सदस्य का चुनाव है। अगर आप इस तरह हस्तक्षेप करते रहेंगे तो लोकतंत्र का क्या होगा? धारा 487 नगर निकाय के कामकाज के बारे में प्रशासक (एलजी) की शक्तियों से संबंधित है। एलजी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील संजय जैन ने कहा कि मेयर ने खुद चुनाव को 5 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया और इस तरह एक महीने के भीतर रिक्ति को भरने के लिए 5 अगस्त को दिए गए अदालत के निर्देश का उल्लंघन किया।
मेयर की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने शीर्ष अदालत से स्थायी समिति के अध्यक्ष के चुनाव को रोकने के लिए आदेश पारित करने का आग्रह किया। इस पर, पीठ ने एलजी कार्यालय से कहा कि वह याचिका पर सुनवाई होने तक स्थायी समिति के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव न करायें और अगर इस बीच चुनाव होते हैं तो शीर्ष अदालत इसे गंभीरता से देखेगी। जस्टिस नरसिम्हा ने जैन से कहा कि हम आपसे सिर्फ इतना कह रहे हैं कि चुनाव न कराएं।